रेबड़ी या फ्रीबीज बन्द करनी हैं तो जल्द करवाएं सामाजिक, आर्थिक एवं जातिगत जनगणना : गहलोत
चुनावी लाभ के लिए फ्रीबीज की घोषणा भी नहीं करनी पड़ती
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी राज्यों में फ्रीबीज या रेबड़ी बंद करने के लिए केंद्र सरकार से जल्दी जनगणना कराने की मांग की है
जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी राज्यों में फ्रीबीज या रेबड़ी बंद करने के लिए केंद्र सरकार से जल्दी जनगणना कराने की मांग की है। गहलोत ने कहा है कि कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार सामाजिक, आर्थिक एवं जातिगत जनगणना (एसईसीसी) की मांग कर रहे हैं। यह सभी गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवारों के साथ न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। आज की तारीख में सरकारों के पास ऐसा कोई डाटा उपलब्ध नहीं है जो परिवारों की सामाजिक, आर्थिक और जातिगत स्थिति को बता सके। इस कारण ऐसी योजनाएं नहीं बनाई जा सकती जो अलग-अलग वर्ग की अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप हो। अपना जीवन चलाने के लिए धन अर्जित करना बेहद आवश्यक है परन्तु कई परिवारों में ऐसी विकट परिस्थितियां होती हैं कि वो चाहकर भी एक सामान्य रहन-सहन के लिए आवश्यक धन अर्जित कर सकें। इसका कारण बीमारी, गरीबी, स्किल की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी आदि हैं।
दुनिया के अनेक विकसित और विकासशील देशों में सभी जरूरतमंद परिवारों को सामाजिक सुरक्षा योजनाएं बनाकर साप्ताहिक और मासिक तौर पर एक निश्चित राशि दी जाती है क्योंकि वहां अलग-अलग वर्ग का बेहतर डाटा उपलब्ध है। इससे वहां चुनावी लाभ के लिए फ्रीबीज की घोषणा भी नहीं करनी पड़ती। पूरे देश में एक जैसी सामाजिक सुरक्षा योजना होने पर अलग-अलग राज्यों पर अनावश्यक दबाव भी नहीं पड़ेगा। राजस्थान में राजस्थान न्यूनतम इनकम गारंटी एक्ट से इस दिशा में एक कदम बढ़ाया गया था। नई सरकार ने इस कानून को ठीक से लाग नहीं रखा परन्तु हमारे समय भी सही डाटा की व्यापक तौर पर उपलब्धता इसमें भी एक चुनौती थी। यूपीए सरकार द्वारा करवाई गई एसईसीसी के आधार पर ही वर्तमान में केन्द्र सरकार की आयुष्मान भारत जैसी तमाम योजनाएं चल रही हैं। अब वक्त सामाजिक सुरक्षा कानून का है जिससे अमीर-गरीब की खाई कम हो एवं देश में फ्रीबीज के नाम पर हर राजनीतिक पार्टी द्वारा की जा रहीं घोषणाएं भी रुक सकें।
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