स्लीपर बसों का संचालन लगातार दूसरे दिन भी ठप : परीक्षा एवं शादियों ने बढ़ाई प्रशासन की मुसीबत, बढ़ा यात्री भार
बस ऑनर एसोसिएशन ने बस संचालन बंद करने का फैसला लिया
ने कई बसों के चालान काटे और दर्जनों को सीज किया। इसी कार्रवाई के विरोध में आॅल इंडिया टूरिस्ट परमिट बस आॅनर एसोसिएशन ने बस संचालन बंद करने का फैसला लिया।
जयपुर। राजस्थान में परिवहन विभाग की कार्रवाई के विरोध में ऑल इंडिया परमिट वाली स्लीपर बसों का संचालन लगातार दूसरे दिन भी ठप रहा। इससे प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों के साथ ही शादियों में जाने वाले यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एक राज्य से दूसरे राज्यों में जाने वाली करीब आठ हजार स्लीपर बसों का संचालन नहीं होने से यात्रियों का सफर मुश्किल हो गया है और यात्रियों को ट्रेनों एवं हवाई सेवाओं का सहारा लेना पड़ रह है जिससे यात्रियों पर आर्थिक भार भी बढ़ा है और मध्यम वर्ग के यात्रियों को सफर भी कैंसिल करना पड़ रहा है। ट्रेवल एजेंसियों ने आॅनलाइन बुकिंग भी बंद कर दी है, इसका असर रेलवे स्टेशनों पर और रोडवेज बस स्टेंडों पर भीड़ बढ़ गई है। हालही में स्लीपर बसों में हादसों के बाद परिवहन विभाग ने नियम उल्लंघन करने वाली बसों पर कड़ी कार्रवाई शुरू की थी। विभाग ने कई बसों के चालान काटे और दर्जनों को सीज किया। इसी कार्रवाई के विरोध में आॅल इंडिया टूरिस्ट परमिट बस ऑनर एसोसिएशन ने बस संचालन बंद करने का फैसला लिया।
प्रशासन कर रहा है मनमानी
आॅल राजस्थान कॉन्ट्रैक्ट कैरिज बस आॅपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने कहा कि परिवहन विभाग एक तरफा कार्रवाई कर रहा है, जो बदलाव अब किया जाना संभव नहीं है उन नियमों के लिए दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि परिवहन विभाग को सीटर के आधा पर टैक्स दिया जा रहा है। यदि विभाग टैक्स वसूल कर रहा है तो नियमों को दरकिनार कहा किया जा रहा है। इस संबंध में गोपालबाड़ी में हुई एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ बॉडी बिल्डर्स के पदाधिकारियों के साथ बैठक भी हुई। शर्मा ने बताया कि विभाग सुरक्षा मानकों की जो शर्ते लगा रहा है स्लीपर बस संचालन उसमें बदलाव करने को तैयार भी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में करीब आठ हजार और जयपुर से करीब एक हजार स्लीपर बसें प्रतिदिन संचालित होती है।
सरकार को दिया अल्टीमेटम
राजस्थान प्राइवेट बस ऑपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष सत्यनारायण साहू ने चेतावनी दी है कि सरकार ने बस संचालकों की मांगें नहीं मानीं, तो 4 नवंबर से प्रदेशभर में करीब 30 हजार बसों (स्टेट कैरिज, लोक परिवहन, उप नगरीय बय सेवा, ग्रामीण परिवहन सेवा, सिटी बस, स्कूल व अन्य बसों ) का चक्का जाम करने का निर्णय लिया जाएगा। इसके लिए चार नवंबर को बैठक आयोजित की गई। उन्होंने बताया कि अभी शादियों के लिए पूर्व में बुकिंग की गई बसें तीन नवंबर को वापस आ जाएंगी और इसके बाद पूर्णतया चक्का जाम किया जाएगा। विभाग का कहना है कि कार्रवाई केवल उन्हीं बसों पर की जा रही है जो सुरक्षा मानकों-एआईएस-153, एआईएस-119 और एआईएस-52 के अनुरूप नहीं हैं।
यह है मांगें
नाजायज तरीके से चालान काटकर की प्रक्रिया को रोकने, बसों को सही कराने के लिए 3 माह की मोहलत देने, चालान काटने के बजाय बस मालिकों से एफिडेविट लेकर सुधार का मौका देने, लोक परिवहन परमिट की अवधि बढ़ाने, राजस्थान में स्लीपर कोच बसों पर टैक्स दरें मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के समान करने, ओपन ग्लास सीटिंग बसों पर छूट देने, इमरजेंसी फाटक के आगे की सीट खोलने के लिए मजबूर न करने, शहरों में सिटी बसों का स्कोप बढ़ाने, बसों की जब्ती पर रोक लगाने, चुनावी समय में किराया दरें पड़ोसी राज्यों के समान बढ़ाने सहित अन्य मांगे शामिल है।

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