कर्मचारी चयन बोर्ड ने ड्रेस कोड में किया बदलाव, अब कुर्ता-पजामा पहनकर ही दे सकेंगे परीक्षा
परीक्षा में शामिल होने की अनुमति नहीं
अभ्यर्थियों और छात्र संगठनों ने इस आदेश का विरोध करते हुए इसे वापस लेने का आग्रह किया है ताकि अभ्यर्थियों पर ड्रेस के नाम पर अतिरिक्त आर्थिक भार नहीं पड़े।
जयपुर। राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने ड्रेस कोड में बदलाव कर दिया है। बोर्ड की आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं में अभ्यर्थियों को अब कुर्ता-पजामा पहनकर ही परीक्षा देने जाना होगा। बोर्ड अध्यक्ष मेजर जनरल आलोक राज ने सभी अभ्यर्थियों को मेटल चैन और मेटल जिप वाले जींस, पैंट या जैकेट पहनने पर रोक लगाई है। अभ्यर्थी यदि ऐसे कपडे पहनकर परीक्षा केन्द्र पहुंचेगा तो उसे परीक्षा में शामिल होने की अनुमति नहीं मिलेगी। आलोक राज ने सोशल मीडिया के माध्यम से लिखा है कि हमने ड्रेस कोड में बदलाव किया है, पुरूष अभ्यर्थियों को अब कुर्ता-पजामा अलाउ है। वहीं महिला अभ्यर्थी बिना मेटल चैन का सादा सलवार सूट, साड़ी पहनकर आएंगी। दरअसल हाल ही में आयोजित जूनियर इंस्ट्रक्टर भर्ती परीक्षा में डमी अभ्यर्थियों को रोकने और पारदर्शी परीक्षा के उद्देश्य से डीटेल्ड फ्रिस्किंग, बायोमेट्रिक और सीसीटीवी लाइव कवरेज की शुरुआत की गई थी। डीटेल्ड फ्रिस्किंग के दौरान अभ्यर्थियों को मुख्य द्वार पर ही मेटल डिटेक्टर से जांच की गई, जिसमें अभ्यर्थियों के पहने जैकेट, जींस और पेंट में लगी जिप और चैन की वजह से मेटल डिटेक्टर में बीप की आवाज आई। ऐसे में अभ्यर्थियों की और गहनता से जांच करनी पड़ी कि कहीं उनके पास परीक्षा में नकल संबंधी कोई उपकरण तो नहीं है। लिहाजा अब ड्रेस कोड में बदलाव का निर्णय लिया गया है। उधर अभ्यर्थियों और छात्र संगठनों ने इस आदेश का विरोध करते हुए इसे वापस लेने का आग्रह किया है ताकि अभ्यर्थियों पर ड्रेस के नाम पर अतिरिक्त आर्थिक भार नहीं पड़े।
पहले यह था नियम
पुरूष अभ्यर्थी आधी या पूरी आस्तीन के शर्ट, टी-शर्ट और पेंट पहनकर आएंगे। महिला अभ्यर्थी सलवार सूट, चुन्नी या साड़ी, आधी या पूरी आस्तीन का कुर्ता, ब्लाउज पहनकर एवं बालों में साधारण रबर बैंड लगाकर आएंगी। लाख या कांच की चूड़ियों के अलावा किसी भी प्रकार के जेवरात, अन्य प्रकार की चूड़ियां, कान की बाली, अंगूठी, ब्रासलेट, घड़ी, धूप का चश्मा, बेल्ट, हैण्डबैग, हेयरपिन, गण्डा, ताबीज, कैप, हैट, स्कार्फ, स्टॉल, शॉल, मफलर अलाउ नहीं थे। हवाई चप्पल (स्ल्पिर), सैण्डल, जूते और मौजू सभी छोटे टखने तक के पहनना स्वीकृत था।
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