शिशुओं में सबसे ज्यादा समस्या हृदय रोग की
नए आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा समस्या जन्मजात हृदय रोग से जुड़ी हैं
इससे पहले वर्कशॉप आयोजित की गई, जिसमें इमेजिंग की नई तकनीकों के बारे में जानकारी दी गई।
जयपुर। गर्भावस्था के दौरान होने वाली एडवांस सोनोग्राफी टेस्ट से अब जन्म से पूर्व शिशुओं में होने वाली समस्याओं के बारे पता करना संभव हो सका है। टेस्टिंग बढ़ने से शिशुओं की समस्याओं के बारे में आए नए आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा समस्या जन्मजात हृदय रोग से जुड़ी हैं। देश में जन्म लेने वाले प्रत्येक एक हजार में से आठ शिशुओं को जन्मजात हृदय रोग सामने आ रहा है। जयपुर फीटल मेडिसिन एंड रिसर्च सेंटर, नार्ची राजस्थान चैप्टर और सोनोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ राजस्थान की ओर से आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस फीटल मेडिसिन अपडेट 2024 के एक्सपर्ट्स ने कुछ ऐसी ही विचार व्यक्त किए। कॉन्फ्रेंस के ऑर्गनाइजिंग सेके्रटरी डॉ.सीके गर्ग ने बताया कि कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन डॉ. एसएस अग्रवाल और आरएमसी के रजिस्ट्रार डॉ. गिरधर गोयल ने किया। इससे पहले वर्कशॉप आयोजित की गई, जिसमें इमेजिंग की नई तकनीकों के बारे में जानकारी दी गई।
इस दौरान डॉ. चिन्मयी राठा ने स्पाइन एंड स्केलेटल सिस्टम के स्कैन, डॉ. प्रिया देशपांडे ने फीटल हार्ट स्कैन की बेसिक गाइडलाइन की जानकारी साझा की। हैदराबाद से आई डॉ.चिन्मयी राठा ने बताया कि गर्भावस्था के पांचवें महीने से पहले ही अब एडवांस अल्ट्रासाउंड से शिशु के हृदय की गहन जांच की जा सकती है। उसे दिल की क्या बीमारी हो सकती है और उसका इलाज संभव है कि नहीं, कितना खर्च आ सकता है, इसकी काउंसिलिंग करके पेरेंट्स को आगामी निर्णय लेने में मदद मिलती है।
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