अंबेडकर की मूर्तियों की डिमांड पिछले कुछ सालों से बढ़ी : राजा
ब्लैक और व्हाइट मार्बल से तैयार होती हैं मूर्तियां
ज्ञातव्य है कि हर साल 14 अप्रैल को भीमराव अंबेडकर जयंती देशभर में धूमधाम से मनाई जाती है।
जयपुर। डॉ. बी. आर. अंबेडकर की 134वीं जयंती धूमधाम से मनाई जाएगी। इसको लेकर जयपुर के मूर्तिकार राजा भी अंबेडकर की मूर्तियां बनाकर जयंती को मनाने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। राजा का कहना है कि पिछले कुछ सालों से अंबेडकर की मूर्तियों की बिक्री में बढ़ोतरी हुई है। हर महीने करीब पांच से सात बड़ी मूर्तियों की बिक्री होती है। जो कि पहले एक-दो के करीब रहती थी। वहीं बात की जाए सालभर की तो ये करीब 28 से 30 मूर्तियों की बिक्री हो जाती है। वहीं छोटी मूर्तियों की बिक्री करीब 15 रहती है। सबसे बड़ी मूर्ति सात फीट की है, जिसकी कीमत करीब 2.5 लाख रूपए रहती है। मूर्तिकार ने बताया कि इसकी रेट में भी अंतर मूर्ति की बनावट से रहता है। एक मूर्ति ऐसी है, जिसमें अंबेडकर के हाथ में किताब और एक हाथ संविधान की तरफ की मर्ति की कीमत 2.50 से 3 लाख तक के करीब रहती है। मूर्तिकार ने कहा कि पहले अंबेड़कर की मूर्तियों को बनवाने के ऑर्डर इतने नहीं आते थे, लेकिन कुछ सालों में अंबेड़कर जयंती को लेकर लोगों में खासा जोश देखने को मिल रहा है।
राजा ने कहा कि पिछले कुछ सालों से पूरे देशभर से अंबेड़कर की मूर्तियों के ऑर्डर आ रहे है। विभिन्न समितियों के ऑर्डर के अनुसार मूर्तियां तैयार की जाती है। राजा ने बताया कि अंबेडकर की मूर्तियां ब्लैक और व्हाइट मार्बल से तैयार होती हैं। ब्लैक मार्बल भैसराणा से आता है और व्हाइट मार्बल मकराना से। पुरानी यादों को ताजा करते हुए कलाकार ने बताया कि 2008 में 15 फीट की मूर्ति बना रहे थे, लेकिन 2-3 बार मूर्ति बन नहीं पाई। लेकिन बाद में जब वो मूर्ति इतनी सुंदर बनी की उसको लेने वाले ने पांच-छह मूर्तियों का ऑर्डर एडवांस में दे दिया। एक मूर्ति अंबेडकर जयंती के लिए महाराष्ट्र भेजी है। ज्ञातव्य है कि हर साल 14 अप्रैल को भीमराव अंबेडकर जयंती देशभर में धूमधाम से मनाई जाती है।
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