आभानेरी में 25 साल बाद खुला मंदिरनुमा महल संरचना का हिस्सा : पर्यटकों को मिलेगा नया अनुभव, पर्यटकों के लिए खोले गए ऐतिहासिक परिसर के द्वार
पर्यटकों को नि:शुल्क प्रवेश भी दिया
जानकारी के अनुसार विश्व योग दिवस के अवसर पर शनिवार को एएसआई के संरक्षित स्मारकों में पर्यटकों को नि:शुल्क प्रवेश भी दिया गया।
जयपुर। किसी स्मारक के 30 से 40 फीट नीचे की ओर जाकर उसकी सुंदरता और स्थापत्य कला को निहारना पर्यटकों के रोमांचकारी होता है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने पर्यटकों कोकुछ ऐसा ही खास तोहफा दिया। प्रदेश के दौसा जिले की आभानेरी बावड़ी परिसर में 30 से 40 फीट नीचे स्थित एक मंदिरनुमा महल संरचना के उस हिस्से को पहली बार 25 वर्षों के बाद आमजन के लिए खोला गया है, जो काफी समय तक बंद था। जानकारी के अनुसार विश्व योग दिवस के अवसर पर शनिवार को एएसआई के संरक्षित स्मारकों में पर्यटकों को नि:शुल्क प्रवेश भी दिया गया।
बावड़ी परिसर के धार्मिक महत्व से रूबरू होंगे सैलानी
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुसार, आभानेरी में स्थित यह प्राचीन मंदिरनुमा महल संरचना अब देशी और विदेशी पर्यटकों के लिए खुली रहेगी। बीते दो दशकों से अधिक समय तक यह संरचना सुरक्षा और मरम्मत कारणों से बंद थी। अब इसे फिर से पर्यटन के लिए खोलने का उद्देश्य विजिटर्स एक्सपीरियंस को समृद्ध करना है, ताकि वे स्मारक से न केवल जुड़ाव महसूस करें, बल्कि इसके धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को भी गहराई से समझ सकें।
स्मारक परिसर में किया सुरक्षा संकेतों का प्रबंध
पर्यटकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एएसआई ने चेतावनी बोर्ड लगाए हैं, ताकि भ्रमण के दौरान वे किसी तरह की असावधानी से बच सकें। स्मारक परिसर के खुलते ही वहां पर्यटकों की अच्छी आवाजाही देखी गई। कई पर्यटकों ने खुली संरचना के साथ फोटोज ली और इस नए अनुभव की सराहना की।
नवीन पहल से पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
एएसआई की इस पहल से न केवल पर्यटकों को एक नया आयाम मिलेगा, बल्कि राजस्थान के सांस्कृतिक पर्यटन को भी नया प्रोत्साहन मिलेगा। आने वाले समय में ऐसे और भी संरक्षित हिस्सों को चरणबद्ध तरीके से खोलने की योजना है।
इनका कहना
पर्यटक अब स्मारक से गहराई से जुड़ सकेंगे। यह निर्णय विजिटर एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने के लिए लिया गया है। अब पर्यटक स्मारक में अधिक समय बिता पाएंगे और इसकी धार्मिक प्रकृति और सांस्कृतिक विरासत से खुद को जोड़ सकेंगे। हमारी कोशिश है कि ऐसे ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण करते हुए उन्हें जनसामान्य से जोड़ा जाए।
-विनय गुप्ता, अधीक्षण पुरातत्वविद्, जयपुर सर्किल, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग
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