अलर्ट: रोजाना 6 सिगरेट पीने को मजबूर हो रहे कोटावासी

फेफड़ों के जरिए शरीर में समा रहा जहरीला धुआं

अलर्ट: रोजाना 6 सिगरेट पीने को मजबूर हो रहे कोटावासी

शहर में एक्यूआई का लेवल 210 पर पहुंचा

कोटा।  मौसम में बदलाव का दौर जारी है। ऐसे में कोटा शहर की आबो हवा इन दिनों दूषित हो रही है। शहर में शुक्रवार को  एयर क्वालिटी डंडेक्स (एक्यूआई)  210 दर्ज किया गया। यानी यहां की हवा इतनी प्रदूषित हो चुकी है कि रोजाना 6 सिगरेट पीने बराबर धुआं कोटावासियों के फेफड़ो में सांस के जरिए जा रहा है। इस समय वातावरण में इतना प्रदूषण व्याप्त हो रहा है कि बिना सिगरेट पीने वाले व्यक्ति की सांसों में उतना ही प्रदूषण घुल रहा है, जितना 6 सिगरेट पीने से धुआं शरीर में जाता है। इससे अब  शहरवासियों में विभिन्न घातक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों के अनुसार सर्दियों में एयर क्वालिटी की स्थिति बेहद खराब रहती है। इस समय मौसम में बदलाव के कारण हवा पूरी गति से नहीं चल रही और कोहरे की वजह से हवा में मौजूद प्रदूषण के कण वायुमंडल में नहीं जा पा रहे है। ऐसे में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ है।

एक्यूआई का कौनसा स्तर कितनी सिगरेट पीने बराबर
यदि वायु प्रदूषण के स्तर की तुलना सिगरेट के धुएं से करें तो आंकड़े चौंकाने वाले हैं। यदि एक्यूआई 500 या उससे अधिक है इसका मतलब है प्रदूषण का लेवल गंभीर स्तर पर पहुंच गया है और 30 से अधिक सिगरेट पीने के बराबर धुआं आपके शरीर में पहुंच रहा है। वहीं, 450-500 एक्यूआई 25-30 सिगरेट और 401-450 एक्यूआई16-20 सिगरेट पीने के बराबर है। इसके अलावा 301-400 लेवल पर 11-15 और 201-300 एक्यूआई पर शरीर में जो धुआं पहुंचता है वो 6-10 सिगरेट पीने के बराबर है। इसके अलावा 101-200 लेवल पर 3-5 और 51-100 एक्यूआई लेवल 1-2 सिगरेट पीने के बराबर है। 0-50 एक्यूआई लेवल को अच्छा माना जाता है। इस समय कोटा में एक्यूआई 210 है यानी 6 सिगरेट पीने बराबर धुआं हमारे शरीर में जा रहा है।

प्रदूषण से कई बीमारियों का खतरा
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार वाहनों से निकलने वाले धुएं में अनगिनत नैनो पार्टिकल्स होते हैं, जिनके हवा के साथ शरीर में प्रवेश करने से कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जिसमें  खांसी, सिर में दर्द, जी-मिचलाना, घबराहट होना, आंखों में जलन, दिल से संबंधित बीमारियां, दिमाग,  फेफड़े,  हृदय,  गुर्दे,  फेफड़े के कैंसर, सांस अटैक, दमा, एलर्जी सहित कई बीमारियों का खतरा बना रहता है। सड़कों पर बेधड़क दौड़ रहे खटारा वाहनों से निकलने वाला काला धुआं अपने पीछे गंभीर बीमारियां छोड़ रहा है, जिससे राहगीरों पर सांस के अटैक से लेकर आंखों में सूजन तक कई गंभीर बीमारियों का खतरा रहता है। इन खतरों से बचने के लिए व्यक्ति को मास्क का उपयोग करना चाहिए।

ये हैं साफ हवा के दुश्मन
ग्राउंड लेवल ओजोन: ग्राउंड लेवल ओजोन भी वायु प्रदूषक है। यह पृथ्वी के वायुमंडल में नाइट्रोजन ऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों के बीच सूरज की रोशनी में केमिकल रिएक्शन से बनता है। यह फोटोकेमिकल स्मॉग का एक बड़ा फैक्टर है और जो आंख, नाक और गले में जलन की वजह बन सकता है।
पार्टिकुलेट मैटर: यह कई चीजों का मिश्रण होता है। इनमें अकार्बनिक आयन, धातु यौगिक, मौलिक कार्बन, कार्बनिक यौगिक हो सकते हैं। पर्टिकुलेट मैटर दो तरह केपीएम-2.5 और पीएम-10.0 होते हैं। पीएम 2.5 वो सूक्ष्म कणों का समूह होता, जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या इससे कम है। वहीं 10 माइक्रोमीटर या इससे कम डायमीटर वाले सूक्ष्म कण को पीएम-10 कहते हैं।
कार्बन मोनोऑक्साइड: यह एक रंग, गंध और स्वादहीन गैस है। यह गैस कार्बन वाले ईधन के जलने पर निकलती है। जैसे- वाहन, बिजली संयंत्र, आग, तेल या गैस से चलने वाली भट्टियां, गैस ओवन, चारकोल ग्रिल और लकड़ी के जलने पर यह निकलती है और सांस के जरिए शरीर में पहुंचती है।
सल्फर डाईऑक्साइड: सल्फर डाईऑक्साइड यानी रंगहीन और जहरीली गैस होती है। यह सल्फर और ऑक्सीजन से मिलकर बनती है। तेल या कोयला जलने पर यह गैस बनती है और वायुमंडल में जाकर हवा को दूषित करती है।

Read More प्रदेश में सड़क विकास का नया अध्याय : रिकॉर्ड निर्माण, बढ़ी कनेक्टिविटी और तेज रफ्तार विकास

 शहर में वायु प्रदूषण के कारण बुजुर्गो को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सुबह के समय मार्निंग वॉक के दौरान भी सड़कों पर प्रदूषण होना चिंताजनक है। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार और जनप्रतिनिधियों को विशेष प्रयास करने चाहिए ताकि आमजन स्वच्छ हवा में सांस ले सकें। 
-बलबीर कुमार, सीनियर सिटीजन

Read More परिवहन विभाग के ऑटोमेशन प्रोजेक्ट में बड़ा अपडेट आया सामने : ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रायल ट्रैक तैयार, अब होंगे डमी परीक्षण

 वायु प्रदूषण का स्तर बीमारियों को बढ़ावा देता है। वाहनों के कारण शहर के चौराहों पर प्रदूषण का ज्यादा होता है। ऐसे में यहां से निकलने वाले लोगों को बीमारियों की संभावना अधिक होती है। सौ से ऊपर एक्यआई होना यानी कई सिगरेट पीने के बराबर धुआं शरीर में समा रहा है। 
-डॉ. के. के. डंग, श्वास रोग विशेषज्ञ

Read More राजस्थान की बावड़ियों का होगा संरक्षण; शिल्प ग्राम बनेगा लोक कलाओं का नया केंद्र : उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी

 

Post Comment

Comment List

Latest News

Gold and silver price : शुद्ध सोना पांच सौ रुपए सस्ता, चांदी पांच सौ रुपए महंगी Gold and silver price : शुद्ध सोना पांच सौ रुपए सस्ता, चांदी पांच सौ रुपए महंगी
शुद्ध सोना 500 रुपए कम होकर 1,36,000 रुपए प्रति दस ग्राम रहा। जेवराती सोना 400 रुपए टूटकर 1,27,200 रुपए प्रति...
दिल्ली में कोहरे का असर : दृश्यता कम होने से 27 उड़ानें रद्द, कई फ्लाइटों में देरी
केंद्र से 2000 करोड़ हासिल करने की तैयारी, SASCI अर्बन रिफॉर्म्स को लागू करने पर मंथन
‘तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी’ का ट्रेलर रिलीज : हंसी, रोमांस और इमोशनल ड्रामा का लगेगा तड़का, जानें रिलीज डेट 
राज्यपाल की राम. वी. सुतार के निधन पर शोक संवेदना, कहा- भारतीय कला के महान कलाकार थे
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्र के नाम संदेश, 'टैरिफ' के फायदों सहित अपनी आर्थिक उपलब्धियों को गिनाया
एस्ट्रोटर्फ तो दूर, शहर में नहीं हॉकी मैदान,कैसे तैयार होंगे ध्यानचंद