देश में पशु पालकों के लिए पहली अनूठी योजना है देव नारायण आवासीय योजना

105 हैक्टेयर में 300 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुई है योजना, 1238 आवासों की यह योजना बनकर हुई तैयार

 देश में पशु पालकों के लिए पहली अनूठी योजना है देव नारायण आवासीय योजना

शहर को कैटल फ्री बनाने के लिए नगर विकास न्यास द्वारा पशु पालकों के लिए देश में पहली व अनूठी योजना बनाई गई है देव नारायण आवासीय योजना। करीब 105 हैक्टेयर भूमि में 300 करोड़ रुपए की लागत से यह योजना तैयार की गई है।

कोटा। शहर को कैटल फ्री बनाने के लिए नगर विकास न्यास द्वारा पशु पालकों के लिए देश में पहली व अनूठी योजना बनाई गई है देव नारायण आवासीय योजना। करीब 105 हैक्टेयर भूमि में 300 करोड़ रुपए की लागत से यह योजना तैयार की गई है। 1238 आवासों वाली यह योजना बनकर तैयार है। शीघ्र ही इस योजना में पशु पालकों का गृह प्रवेश कराया जाएगा।

न्यास द्वारा विकसित की गई देव नारायण आवासीय योजना में दो श्रेणी के 1238 आवास बनाए गए हैं। लेकिन पहले फेज में 501 पशु पालकों को शिफ्ट किया जाएगा। ये पशु पालक कोटा दक्षिण नगर निगम क्षेत्र के होंगे। पशु पालकों को शिफ्ट करने से पहले वहां उनके लिए बिजली-पानी की सुविधा प्रदान करने के लिए न्यास की ओर से शिविर लगाए गए थे। उन शिविरों में अधिकतर लोगों ने आवेदन कर कनेक्शन ले भी लिए हैं। हांलाकि जितने पशु पालकों को वहां शिफ्ट किया जाना है उतने पशु पालकों ने अभी तक भी कनेक्शन नहीं लिए हैं। योजना बनाने से पहले नगर विकास न्यास द्वारा शहर में पशु पालकों के व आवारा घूमने वाले मवेशियों का सर्वे कराया गया था।

शहर को कैटल फ्री बनाने के लिए नगर विकास न्यास की ओर से देव नारायण आवासीय योजना बनाई गई है। शहर से दूर बंधा धर्मपुरा के पास देवरी पूृनिया में करीब 105 हैैक्टेयर भूमि में इस योजना को विकसित किया गया है। करीब 300 करोड़ रुपए की लागत से बनी इस योजना का काम वर्ष 2020 में शुरू हुआ था। इस योजना में पशु पालकों के आवासों के साथ ही पशुओं के बाड़े, चिकित्सालय, विद्यालय, सामुदायिक भवन, डेयरी प्लांट, दूध मंडी व बायो गैस प्लांट समेत कई तरह की सुविधाएं विकसित की गई हैं। शहर को कैटल फ्री बनाने के लिए न्यास की ओर से देव नारायण योजना तो बना दी लेकिन अभी तक भी उसमें पशु पालकों को शिफ्ट नहीं करने से शहर की सड़कों पर मवेशियों के झुंड देखे जा सकते हैं। मुख्य मार्गों से लेकर चौराहों तक और डिवाइडरों पर भी मवेशियों के झुंड लगे हुए हैं। जिससे अभी भी आए दिन हादसे हो रहे हैं। गत दिनों भी एक सांड ने बुजुर्ग को उठकर फेक दिया था। जिससे उनके हाथ-पैर में गम्भीर चोट लगी है। निगम ने भी पहले की तुलना में मवेशियों को पकड़ना कम कर दिया है।

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