मोनोपॉली और डुओपॉली से आम आदमी को फायदा?

एंट्री- एग्जिट को सरल बनाना क्यों जरूरी?

मोनोपॉली और डुओपॉली से आम आदमी को फायदा?

कंपनियों की मनमानी रोकने का एक ही रास्ता—कॉम्पिटिशन।

कोटा। आमतौर पर ये देखा गया है कि जिस भी फील्ड में मोनोपॉली या डुओपॉली होती है, वहाँ समय के साथ आम आदमी को नुकसान उठाना पड़ता है। किसी भी उद्योग में एंट्री और एग्जिट बैरियर कम होने चाहिए, ताकि कोई भी सक्षम व्यवसायी आसानी से उस क्षेत्र में प्रवेश कर सके या आवश्यकता पड़ने पर बाहर निकल सके।मोनोपॉली और डुओपॉली वाली स्थिति में ये बैरियर काफी ऊँचे होते हैं, जिन्हें हर उद्यमी पार नहीं कर पाता। नतीजा यह होता है कि पूरी पब्लिक कुछ चुनिंदा कंपनियों पर निर्भर हो जाती है, और वही कंपनियाँ बाजार की दिशा और नियम तय करने लगती हैं।इसीलिए जरूरी है कि सरकारी नीतियाँ ऐसी हों जो किसी भी क्षेत्र में नए व्यवसायों के प्रवेश को सरल बनाएँ। जब किसी उद्योग में कंपनियों की संख्या बढ़ती है, तो उपभोक्ताओं को विकल्प मिलते हैं, और सख्त प्रतिस्पर्धा के कारण कीमतें, गुणवत्ता और सेवाएँ बेहतर होती हैं। इस तरह अंत में सबसे बड़ा लाभ आम जनता को ही मिलता है। सवाल यह है कि क्या मोनोपॉली या डुओपॉली से आम आदमी को कोई फायदा होता है। साथ ही, एंट्री और एग्जिट बैरियर कम करने से हेल्दी कॉम्पिटिशन बढ़ेगा और आम व्यक्ति को कितना लाभ मिलेगा? इस पर अर्थशास्त्रियों और जनता की क्या राय है इसे जाना ।

कम बैरियर, ज्यादा अवसर
बिजनेस या किसी भी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा का होना अत्यंत आवश्यक है। यदि प्रतिस्पर्धा नहीं होगी, तो कोई भी व्यवसाय एक समय के बाद ठहर जाएगा या बंद हो सकता है। प्रतिस्पर्धा हमेशा दो प्रकार से लाभ पहुँचाती है—पहला, यह आगे बढ़ने और बेहतर करने की प्रेरणा देती है; दूसरा, यह इनोवेशन को बढ़ावा देती है, जिससे ग्राहकों को बेहतर उत्पाद और सेवाएँ मिलती हैं। केवल सार्वजनिक या निजी व्यवसायों में मोनोपॉली होना उचित नहीं है। किसी भी सेक्टर में प्रतिस्पर्धियों का होना जरूरी है। डुओपॉली व्यवस्था में गुणवत्ता बेहतर होती है और ग्राहकों को अधिक एवं अच्छे विकल्प मिलते हैं। कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा यह सुनिश्चित करती है कि बेहतर उत्पाद सही मूल्य पर उपभोक्ताओं तक पहुँचें। इसलिए प्रतिस्पर्धा केवल कंपनियों के लिए ही नहीं, बल्कि जनता के हित में भी आवश्यक है। सरकार का मुख्य उद्देश्य यही है कि उद्योगों में प्रवेश के बैरियर कम से कम हों, ताकि अधिक से अधिक उद्योग स्थापित हो सकें। जब बैरियर कम होंगे तो इनपुट कॉस्ट घटेगी, और जब इनपुट कॉस्ट कम होगी तो प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। बढ़ती प्रतिस्पर्धा का सीधा लाभ आम जनता को मिलेगा।
- हरिमोहन शर्मा, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र, कोटा

 प्रतिस्पर्धा से रेट संतुलन
मोनोपॉली कस्टमर के लिए लगभग हमेशा नुकसानदायक होती है, क्योंकि एक ही कंपनी रेट और प्रॉफिट खुद तय करती है और सरकार भी हर जगह हस्तक्षेप नहीं कर सकती। सरकार आमतौर पर केवल उन्हीं सेक्टर्स में प्राइस कंट्रोल करती है जो सीधे पब्लिक से जुड़े होते हैं।डुओपॉली में कस्टमर को कुछ हद तक फायदा मिल सकता है, लेकिन सबसे ज्यादा फायदा प्योर कॉम्पटीशन में होता है। जब एक ही मार्केट में कई कम्पटीटर्स होते हैं, तो कम्पटीशन का पूरा लाभ कस्टमर तक ट्रांसफर होता है, रेट कम होते हैं और क्वालिटी बेहतर होती है। कस्टमर के पास जितने ज्यादा विकल्प होंगे, उतना ही बेहतर संतुलन रेट और क्वालिटी में मिलेगा। हालाँकि कुछ सेक्टर्स में एंट्री बैरियर जरूरी होते हैं। अगर बिना किसी कंट्रोल के सबको एंट्री दे दी जाए, तो क्वालिटी से समझौता करना पड़ सकता है और आगे चलकर कस्टमर को नुकसान होता है। इसलिए एंट्री और एग्जिट बैरियर फ्लेक्सिबल होने चाहिए, लेकिन सरकार या संबंधित अथॉरिटी द्वारा स्पष्ट पॉलिसी के तहत नियंत्रित होने चाहिए, ताकि वही लोग इस क्षेत्र में आएँ जो तय किए गए मानदंड पूरे करते हों।
- विष्णु गर्ग, सीए

जहाँ गुणवत्ता, वहीं ग्राहक
आज के समय में मोनोपॉली काफी हद तक कम हो गई है। अब ऐसे बहुत कम क्षेत्र रह गए हैं जहाँ केवल एक या दो कंपनियाँ ही उत्पाद बनाती हों। अधिकांश सेक्टरों में कई कंपनियाँ सक्रिय हैं और सभी अपने-अपने उत्पाद बाजार में ला रही हैं।डुओपॉली में ग्राहक वही उत्पाद चुनता है, जिससे उसे संतुष्टि मिलती है। जो भी नई कंपनियाँ बाजार में आती हैं, वे अपने उत्पाद की गुणवत्ता को प्रदर्शित करती हैं और यह साबित करने का प्रयास करती हैं कि उनका उत्पाद बेहतर है।ग्राहक तब तक किसी उत्पाद को स्वीकार नहीं करता, जब तक उसे उस उत्पाद की गुणवत्ता पर पूरा विश्वास न हो जाए। जब लोगों को यह भरोसा हो जाता है कि कौन-सा उत्पाद सबसे अच्छी गुणवत्ता का है, तभी वह कंपनी और उसका उत्पाद बाजार में सफल हो पाता है।
- क्रांति जैन, अध्यक्ष, कोटा व्यापार महासंघ

Read More राज्य सरकार की दूसरी वर्षगांठ पर विशेष, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में प्रदेश में भर्ती की क्रांति

 जहाँ प्रतिस्पर्धा, वहीं प्रगति
मोनोपॉली से हमेशा नुकसान ही होता है। जब बिजनेस में कम्पटीशन नहीं होता, तो कंज्यूमर के पास न तो रेट की तुलना का विकल्प रहता है और न ही बेहतर क्वालिटी की उम्मीद। ऐसे में कीमतें ऊँची रहती हैं और क्वालिटी से समझौता होने लगता है।जहाँ दो या उससे अधिक कंपनियाँ होती हैं, वहाँ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनती है और सभी बेहतर प्रोडक्ट व सर्विस देने की कोशिश करते हैं। डुओपॉली में कम से कम इतना फायदा जरूर होता है कि कम्पटीटिव एडवांटेज बना रहता है।किसी भी सेक्टर में एंट्री और एग्जिट बैरियर नहीं होने चाहिए। नई टेक्नोलॉजी और नए आइडियाज को आने का मौका मिलेगा तभी डेवलपमेंट और इनोवेशन संभव है। प्रतिबंध लगाने से प्रगति रुक जाती है।
-नितिन सैनी,डायरेक्टर, सुमंलगम ग्रुप

Read More विधायक घोघरा का कलक्ट्रेट में घुसने का प्रयास : बेरिकेटिंग पर चढ़कर नारेबाजी, ढोल बजाकर जमकर प्रदर्शन ; धरना 19वें दिन समाप्त 

अधिक प्रतिस्पर्धा, बेहतर उत्पाद
सामान्य उपभोक्ता को वास्तविक लाभ तभी मिलता है, जब किसी भी क्षेत्र में मोनोपॉली के बजाय अधिक संख्या में प्लेयर मौजूद हों। जितने अधिक खिलाड़ी होंगे, उतना ही अधिक प्रतिस्पर्धी माहौल बनेगा और उपभोक्ताओं को बेहतर टर्म्स एंड कंडीशंस तथा बेहतर सेवाएँ मिलेंगी। मोनोपॉली की स्थिति में आम आदमी को लगभग हमेशा नुकसान ही होता है। एंट्री और एग्जिट बैरियर के संदर्भ में सरकार की रेग्युलेटरी बॉडी को ऐसे बेसिक स्टैंडर्ड तय करने चाहिए, जो कंपनी के टर्नओवर या संसाधनों पर नहीं, बल्कि प्रोडक्ट और सर्विस की गुणवत्ता पर आधारित हों। उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता को सख्ती से रेग्युलेट किया जाना चाहिए, जो वर्तमान में भारत में प्रभावी रूप से नहीं हो पा रहा है। हम मैन्युफैक्चरिंग की बात तो करते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में हम चीन से कई वर्षों पीछे हैं, और लगभग हर सेक्टर में पिछड़े हुए हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि हमारे उत्पाद ग्लोबल मार्केट में प्रतिस्पर्धी नहीं बन पा रहे हैं। हमें सबसे पहले इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद तैयार किए जाएँ। सरकार की रेग्युलेटरी बॉडी को केवल क्वालिटी प्रोडक्ट्स को ही बाजार में अनुमति देनी चाहिए।
- मनोज राठी , अध्यक्ष, द एसएसआई एसोसिएशन, कोटा

Read More नव नियुक्त महिला पर्यवेक्षकों और आँगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मिलेगी आईटी एनेबल्ड ट्रेनिंग, आधारभूत विकास कार्यों को गति देने के दिए निर्देश

एक्सपर्ट व्यू
एंट्री और एग्जिट दोनों लचीले हो
मोनोपॉली और डुओपॉली से आम आदमी को कभी फायदा नहीं होता। लाभ हमेशा प्रतिस्पर्धा (कॉम्पिटिशन) से आता है। मोनोपॉली में केवल एक कंपनी कीमत तय करती है और उपभोक्ता के पास विकल्प नहीं होते। यही कारण है कि सरकार और सिस्टम हमेशा कंपनियों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देते हैं। प्रतिस्पर्धा होने पर उत्पाद की गुणवत्ता बेहतर होती है, कीमतें कम होती हैं और उपभोक्ता को सीधे लाभ मिलता है। स्वस्थ कॉम्पिटिशन बनाए रखने के लिए एंट्री और एग्जिट दोनों लचीले होने चाहिए। उद्यमी जब चाहे बाजार में प्रवेश कर सकें और जरूरत पड़ने पर आसानी से बाहर निकल सकें। कई बार व्यवसाय शुरू नहीं करने का कारण यही डर होता है कि भविष्य में बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा। भारत ने हाल के वर्षों में एंट्री और एग्जिट से जुड़ी कई पाबंदियाँ कम की हैं। नीति के लिहाज से मोनोपॉली को हमेशा रोकना चाहिए। रेग्युलेटरी अवरोध कम किए जाएं, लेकिन नियंत्रण पूरी तरह खत्म न किया जाए। नियंत्रण जरूरी है, लेकिन इसे सरल और प्रभावी बनाया जाना चाहिए। सभी आवश्यक अनुमतियाँ, दस्तावेज और प्रक्रियाएँ एक ही जगह उपलब्ध हों, ताकि एंट्री आसान बन सके। एंट्री और एग्जिट क्लॉज स्पष्ट और लचीले होने चाहिए। भारत में कॉम्पटीशन कमीशन आफ इंडिया (सीसीआई) इसी कारण बनाया गया है, ताकि मोनोपॉली और डुओपॉली फर्म अपनी एकाधिकारिक शक्तियों का दुरुपयोग नहीं कर सकें।
- प्रो. वी. वी. सिंह, अर्थशास्त्री

Related Posts

Post Comment

Comment List

Latest News

‘तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी’ का ट्रेलर रिलीज : हंसी, रोमांस और इमोशनल ड्रामा का लगेगा तड़का, जानें रिलीज डेट  ‘तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी’ का ट्रेलर रिलीज : हंसी, रोमांस और इमोशनल ड्रामा का लगेगा तड़का, जानें रिलीज डेट 
कार्तिक आर्यन और अनन्या पांडे की फिल्म ‘तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी’ का ट्रेलर रिलीज हो गया...
महान मूर्तिकार राम वी सुतारा का निधन, पंचतत्व में हुए विलीन, राष्ट्रपति मुर्मू-पीएम मोदी ने व्यक्त किया शोक
हरियालो राजस्थान कॉनक्लेव : भजनलाल शर्मा ने किया पर्यावरण प्रदर्शनी का उद्घाटन, हरित नीतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाना कॉनक्लेव का उद्देश्य
Gold and silver price : शुद्ध सोना पांच सौ रुपए सस्ता, चांदी पांच सौ रुपए महंगी
दिल्ली में कोहरे का असर : दृश्यता कम होने से 27 उड़ानें रद्द, कई फ्लाइटों में देरी
केंद्र से 2000 करोड़ हासिल करने की तैयारी, SASCI अर्बन रिफॉर्म्स को लागू करने पर मंथन
राज्यपाल की राम. वी. सुतार के निधन पर शोक संवेदना, कहा- भारतीय कला के महान कलाकार थे