6 दिन बाद परीक्षा, स्कूलों में 35% कोर्स अधूरा, शिक्षक-विद्यार्थियों की बढ़ी धड़कनें, शिक्षक बोले- 20%कोर्स में हो कटौती तो छात्रों को मिले राहत
अर्द्धवार्षिक परीक्षा में 10वीं-12वीं बोर्ड में शत-प्रतिशत, 9 व 11वीं में 70% कोर्स से आएगा पेपर
विभाग ने परीक्षा को 22 दिन पहले आयोजित करने का निर्णय तो ले लिया।
कोटा। शिक्षा विभाग की ओर से 20 नवम्बर से राज्य स्तरीय समान परीक्षा (अर्द्धवार्षिक) आयोजित की जाएगी। परीक्षा शुरू होने में शुक्रवार से 6 दिन बचे हैं, लेकिन सरकारी विद्यालयों में 10वीं व 12वीं बोर्ड कक्षाओं का सिलेबस करीब 30 से 35% अधूरा है। जबकि, विज्ञान, गणित और एसएसटी जैसे विषयों के एक लेसन (पाठ व प्रश्नावली) को पूरा करवाने में 2 से 3 दिन का समय लगता है। इस तरह परीक्षा से पहले शेष बचे दिनों में कोर्स पूरा होना संभव नहीं है। ऐसे में जहां विद्यार्थियों की धड़कनें तेज हो गई वहीं, शिक्षकों में पाठ्यक्रम पूरा करवाने को लेकर असमंजस्य की स्थिति बनी हुई है। इधर, शिक्षक संगठनों ने निदेशालय से बोर्ड कक्षाओं के पाठ्यक्रम में 20% सिलेबस में कटौती किए जाने की मांग की है। हालांकि, विभाग द्वारा इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया।
कोर्स कटौती की राहत नहीं, 22 दिन पहले परीक्षा
शिक्षकों का कहना है, हर साल राज्य स्तरीय समान परीक्षा 12 दिसम्बर से आयोजित की जाती थी, जिसे इस बार 20 नम्बर से करवाई जाएगी। जिसका शेड्यूल भी जारी कर दिया गया है। विभाग ने परीक्षा को 22 दिन पहले आयोजित करने का निर्णय तो ले लिया, लेकिन कक्षा 9वीं से 12वीं तक के कोटा से करीब 92 हजार विद्यार्थियों को कोर्स कटौती को लेकर कोई राहत नहीं दी। जिससे विद्यार्थी परेशान हैं वहीं, शिक्षकों के सामने 5 दिन में कोर्स पूरा करवाना चूनौती बना हुआ है।
72 वर्किंग-डे ही मिले, जिसमें से 65 दिन ही कक्षाएं
शिक्षक संघ रेसटा के प्रदेश महासचिव नवल सिंह ने बताया कि वर्तमान सत्र के प्रारंभ से अक्टूबर तक करीब 72 वर्किंग डे ही मिले हैं। जिसमें से भी 60-65 दिन ही कक्षाएं लगी हैं। जबकि, गणित व विज्ञान विषयों का एक लेसन ही पूरा करवाने में 3 से 4 दिन तक लग जाते हैं। वहीं, गत जुलाई से 31 अक्टूबर तक चार माह में कुल 120 दिन वर्किंग-डेज थे। लेकिन, अत्यधिक बारिश, पर्व, त्योहार पर अवकाश होने से कक्षाएं 60 से 65 दिन ही लगी है।
यह है अर्द्धवार्षिक परीक्षा में सिलेबस का नियम
अर्द्धवार्षिक परीक्षा में 9वीं-11वीं कक्षा में 70% कोर्स से और 10वीं-12वीं में 100% कोर्स से सवाल पूछे जाते हैं। ऐसे में जिले के कई सरकारी विद्यालय ऐसे हैं, जहां कोर्स 30 से 35% अधूरे हैं। इसलिए कोर्स में 20% कटौती की मांग की थी। जिसे दरकिनार करते हुए विभाग ने पेपर भी तैयार करा लिए हैं।
क्या कहते हैं विद्यार्थी
गणित विषय में एक प्रश्नावली में ही 50 से ज्यादा प्रश्न होते हैं। जिसे छात्रों को सॉल्व करवाने में ही 3 से 4 दिन का समय लग जाता है। ऐसे में एक दिन में एक प्रश्नावली पूरा करवाना संभव ही नहीं है। स्कूलों में गणित व विज्ञान संकाय के कोर्स अधूरे हैं और 10वीं-12वीं का पेपर 100 फीसदी सिलेबस से आएगा। अधूरे कोर्स के बीच पेपर देना मजबूरी बन गया है। विभाग को स्थिति देखते हुए कोर्स में 20 प्रतिशत की कटौती कर राहत देनी चाहिए।
- रघुवीर मेहरा, सुशांत वर्मा, छात्र नया नोहरा
इन दिनों महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक बीएलओ की भूमिका निभा रहे हैं। जबकि, उनके विषयों का कोर्स ही अधूरे चल रहे हैं। सामाजिक विज्ञान हो या अंगे्रजी सब के हालात एक जैसे ही हैं। सरकार को छात्रहित में कदम उठाना चाहिए।
- यशवंत धाकड़, संजय रावल, विभोर कुमार, छात्र विज्ञान नगर
छात्रहित में 20% कोर्स की हो कटौती
अर्द्धवार्षिक परीक्षा में 20% कोर्स कटौती कर छात्रों को राहत दी जानी चाहिए। विभाग चाहे तो अब भी 20% कटौती का आदेश जारी कर सकता है। इसमें यह कर सकते हैं कि कटौती के बाद तय कोर्स से बाहर सवाल आए तो उनके अंकों का विभाजन अन्य सवालों में बांट दिए जाएं या बोनस अंक देकर राहत दी जा सकती है। वहीं, शिक्षकों को बीएलओ के रूप में चुनाव कार्य में लगा रखा है। ऐसे में परीक्षा से पहले कोर्स पूरा होना संभव नहीं है।
- मोहर सिंह सलावद, प्रदेशाध्यक्ष शिक्षक संघ रेस्टा
20% कटौती का आदेश जारी करे विभाग
स्कूलों में कोर्स अधूरे है, इसलिए अर्द्धवार्षिक परीक्षा में 20% सिलेबस कटौती की जानी चाहिए ताकि, विद्यार्थियों को राहत मिल सके। ऐसे में सरकार को छात्रहित में सकारात्मक कदम उठाना चाहिए।
- नवल सिंह, प्रदेश महासचिव शिक्षक संघ रेसटा
इनका कहना है
सीबीईओ, यूसीईईओ व पीईईओ के माध्यम से शाला प्रधानों को स्कूल समय में ही अतिरिक्त पीरियड लगाकर कोर्स पूरा करवाने के लिए निर्देशित किया गया है। वहीं, विशेष गहन पुननिरीक्षण कार्य में लगे शिक्षकों (बीएलओ) द्वारा शिक्षा व चुनाव कार्य के बीच सामंजस्य बनाकर शिक्षण कार्य बेहतर किया जा रहा है। दोनों ही महत्वपूर्ण कार्य सुविधानुसार पूरे करवाए जा रहे हैं।
- रामचरण मीणा, जिला शिक्षाधिकारी माध्यमिक कोटा

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