गोपालपुरा माताजी मंदिर- लकवा पीड़ितों की आस्था का केंद्र, 400 साल से अधिक पुराना है चमत्कारी मंदिर
24 घंटे प्रज्वलित रहता है अखंड हवन
यहां नवरात्र के अलावा शनिवार व रविवार को श्रद्धालुओं का तांता।
मंडाना। मंडाना के पास गोपालपुरा गांव में स्थित गोपालपुरा माताजी मंदिर लगभग 400 साल पुराना रियासतकालीन मंदिर है, जो बीजासन माता और कंकाली माता के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर को लकवा (पैरालिसिस) पीड़ितों की आस्था का केंद्र माना जाता है। मंडाना कस्बे से 7 किमी दूर नेशनल हाइवे 52 से 250 मीटर दूर गोपालपुरा गांव मे स्थित है मां राजराजेश्वरी बिजासन माता का चमत्कारी मन्दिर मान्यता है कि है कि लोग यहां रोते रोते आते है व हंसते हंसते जाते है। माँ का ऐसा अद्धभुत चमत्कार है की यहाँ लकवा पैरालाइज अन्य बीमारियां से पीड़ित मरीज ठीक हो जाते है। नवरात्रा के अलावा हर शनिवार व रविवार को श्रद्धालु आते है।
मान्यताएं और महत्व
मान्यता है कि शनिवार और रविवार को यहां दर्शन करने से लकवाग्रस्त मरीजों को राहत मिलती है। मरीज माता की परिक्रमा करते हैं और पाठ (मंत्रोच्चार) करते हैं, जिससे स्वास्थ्य में सुधार होने की बात कही जाती है। भक्त इसे चमत्कारिक स्थल मानते हैं, जहाँ मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
मंदिर की विशेषताएँ
मंदिर में दो प्रतिमाएँ है। मंदिर में बीजासन माता और कंकाली माता की प्रतिमाएं विराजमान हैं। अखंड हवन भक्तों के सहयोग से यहाँ 24 घंटे अखंड हवन प्रज्वलित रहता है। रियासतकालीन विरासत यह मंदिर लगभग 400 वर्ष पुराना है और उस समय की स्थापत्य कला की झलक दिखाता है
सेवाएं और सुविधाएं
भंडारा नवरात्र के दौरान प्रतिदिन भंडारे का आयोजन होता है, जिसमें एक हजार से अधिक भक्त प्रसादी ग्रहण करते हैं। प्रतिदिन सुबह 4 बजे मंगला आरती और शाम 7 बजे शयन आरती होती है। धर्मशाला भक्तों के ठहरने की सुविधा भी उपलब्ध है, जहां लोग 9 दिन तक रहकर आरती और पूजा में भाग लेते हैं। नवरात्र और अन्य पर्वों पर मंदिर परिसर में हजारों की संख्या में भक्त पहुँचते हैं। दूर-दराज से आने वाले लकवा पीड़ित यहाँ दर्शन कर अपनी बीमारी से राहत पाने की आशा रखते हैं।

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