कोटा से राजनीति में आधी शक्ति को नहीं मिला अब तक जौहर दिखाने का मौका

महिला आरक्षण बिल आने से प्रतिनिधित्व बढ़ने की संभावना : दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने गिनती की महिलाओं को दिया विधानसभा का टिकट

कोटा से राजनीति में आधी शक्ति को नहीं मिला अब तक जौहर दिखाने का मौका

कोटा जिले की 6 विधानसभा सीटों में कोटा दक्षिण व लाड़पुरा से ही कांग्रेस ने महिला प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है।

कोटा। राज्य में हर पांच साल में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इस बार भी 25 नवम्बर को चुनाव होने हैं। हालत यह है कि राज्य की 200 विधानसभा सीटों में से बहुत कम महिलाओं को टिकट मिल पाते हैं। कोटा में भी दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों से महिलाओं को कम मौका दिया गया। वहीं अब महिला आरक्षण बिल संसद में पास होने से आगामी चुनावों में महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका मिलने की उम्मीद जगी है। कोटा जिले में 6 विधानसभा सीट हैं। उनमें से अभी तक गिनती की ही महिलाओं को विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका मिला है। पिछले कई विधानसभा चुनाव के आंकड़ों को देखा जाए तो दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दलों भाजपा व कांग्रेस ने जहां पुरुष उम्मीदवारों पर अधिक भरोसा जताया उतना महिलाओं पर विश्वास नहीं किया। यही कारण है कि दोनों ही दलों ने विधानसभा चुनावों में बहुत कम महिलाओं को टिकट देकर चुनाव लड़ने का मौका दिया। भले ही संसद में महिला आरक्षण बिल पास हो गया है लेकिन इसे 2029 से लागू किया जाएगा। जिसमें 33 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा। लेकिन इससे महिलाओं को आगे बढ़ने का एक अवसर तो मिलने की उम्मीद जगी है। 

कांग्रेस ने इन महिलाओं पर जताया भरोसा
कोटा जिले की 6 विधानसभा सीटों में कोटा दक्षिण व लाड़पुरा से ही कांग्रेस ने महिला प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है। लाड़पुरा विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 1998 और 2003 में पूृनम गोयल  को टिकट देकर उम्मीदवार बनाया था। जिसमें से वे पहला चुनाव तो जीती थी जबकि दूसरी बार में हार का सामना करना पड़ा लेकिन अंतर बहुत कम रहा था। उसके बाद 15 साल तक किसी  महिला को टिकट नहीं दिया गया। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कोटा दक्षिण से राखी गौतम को और लाड़पुरा विधानसभा क्षेत्र से गुलनाज बानो को प्रत्याशी बनाया था। हालांकि दोनों ही प्रत्याशियों को हार का सामना करना पडा था। वहीं बूंदी से ममता शर्मा, खानपुर से मिनाक्षी चंद्रावत, निर्मला सहरिया और उससे पहले नगेन्द्र बाला व सुहाग कपलाश को भी कई साल पहले टिकट दिया था। 

भाजपा ने मौका दिया तो महिलाओं ने किया साबित
इधर भाजपा की ओर से भी कोटा जिले में अधिक महिलाओं  को तो विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका नहीं दिया। लेकिन जिन्हें भी मौका मिला उन्होंने साबित भी करके दिखाया है। झालावाड़ से वसुंधरा राजे को टिकट दिया तो वे जीती और दो बार मुख्यमंत्री भी बनी। वहीं कोटा जिले की बात करें तो वर्ष 2008 में कोटा उत्तर विधानसभा से पूर्व महापौर सुमन श्रृंगी को टिकट देकर मैदान में उतारा था। लेकिन उन्हें मंत्री शांति धारीवाल के सामने हार का सामना करना पड़ा था। उसके बाद रामगंजमंडी व के. पाटन से चंद्रकांता मेघवाल को दिकट दिया। वे दोनों ही सीटों से जीतकर  विधायक बनी। वहीं पिछले चुनाव में लाड़पुरा से कल्पना देवी को टिकट दिया तो वे भी जीती। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आई ममता शर्मा को भाजपा ने वर्ष 2018 में पीपल्दा विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इनके अलावा दोनों ही प्रमुख दलों ने किसी भी महिला को उम्मीदवार नहीं बनाया। 

मौका मिलेगा तो साबित भी करेंगी महिलाएं
महिलाओं को कोटा में राजनीति में आने का मौका कम मिला है। लेकिन जब भी महिलाओं को मौका मिला तो उन्होंने साबित भी करके दिखाया है। आगे भी मौका मिला तो महिलाएं बेहतर साबित होंगी। महिला आरक्षण बिल पास होने से महिलाओं को राजनीति में आगे आने का अवसर मिलेगा। महिलाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है उन्हें जरूरत मौका देने की है। 
- डॉ. रत्ना जैन, पूर्व महापौर

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आरक्षण का इंतजार क्यों
पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को भी आगे बढ़ने का मौका मिलना चाहिए। महिलाओं को राजनीति में आगे बढ़ाने के लिए आरक्षण का इंतजार क्यों करना पड़े। महिलाओं में इतनी प्रतिभा है कि उन्हें मौका मिले तो वे काम करके दिखा सकती हैं। राजनीतिक दलों को स्वेच्छा से ही हर संभाग से दो ने तीन महिलाओं को तो टिकट देना ही चाहिए। चुनाव में पुरुषों के जीतने और महिलाओं के हारने की कोई गारंटी नहीं है।
- सुमन श्रृंगी, पूर्व महापौर

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