गायों पर भारी पड़ रही गर्मी और बीमारी
निगम की गौशाला में रोजाना हो रही 10 से 15 गौवंश की मौत
गौशाला में बंद गौवंश की तुलना में वहां छाया की भी पर्याप्त सुविधा नहीं है। गौशाला में वहां करीब 4 हजार से अधिक गौवंश है। वहां जगह की कमी के कारण उन्हें सही ढंग से घूमने की जगह तक नहीं मिल पा रही है।
कोटा। एक तरफ तो गौमाता का पूजन किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ उनकी लावारिस हालत में अकाल मौत हो रही है। गर्मी और बीमारी गायों पर भारी पड़ रही है। जिससे नगर निगम की गौशाला में रोजाना 10 से 15 गायों की मौत हो रही है। शहर को कैटल फ्री बनाने के लिए नगर निगम व नगर विकास न्यास की ओर से सड़कों पर लावारिस हालत में घूमने वाली गायों और सांडों को पकड़कर गौशाला में बंद किया जा रहा है। जिससे पहले जहां गौशाला में 2 से ढाई हजार ही गौवंश रहा करता था। वह वर्तमान में बढ़कर करीब 4 हजार से अधिक हो गया है। हालत यह है कि गौशाला में गायों को रखा तो जा रहा है लेकिन उनका सही ढंग से उपचार नहीं हो पा रहा है। जिससे अधिकतर बीमार गाय एक बार बैठक लेने के बाद उठ नहीं पाती और उनकी मौत हो रही है। वहीं गर्मी के कारण भी बैठक लेने वाली गायों की मौत हो रही है। हालत यह है कि वर्तमान में रोजाना 10 से 15 गायों की मौत हो रही है। जानकारी के अनुसार एक महीने में ही करीब 400 से अधिक गौवंश की मौत हो चुकी है।
छाया की भी पर्याप्त सुविधा नहीं
गौशाला में बंद गौवंश की तुलना में वहां छाया की भी पर्याप्त सुविधा नहीं है। चारे की खेलों वाली जगह पर ही शेड लगे हुए हैं। जबकि अधिकतर हिस्सा खुला है। ऐसे में गर्मी अधिक पड़ने से गौवंश को उससे बचाने की वहां सुविधा नहीं है। जितेन्द्र सिंह ने बताया कि उन्होंने गायों को धूप व गर्मी से बचाने के लिए हरा पर्दा लगाने का सुझाव दिया है।
बैठक लेने वाली गायों को उठाने की व्यवस्था नहीं
गौशाला में वहां करीब 4 हजार से अधिक गौवंश है। वहां जगह की कमी के कारण उन्हें सही ढंग से घूमने की जगह तक नहीं मिल पा रही है। ऐसे में पहले से ही बीमार गाय भर पेट चारा खाने के बाद एक बार बैठक ले लेती है तो उन्हें उठाने की गौशाला में व्यवस्था तक नहीं है। गौशाला के कर्मचारियों द्वारा प्रयास कर कुछ गायों को उठा भी दिया जाता है लेकिन सभी को ऐसा कर पाना संभव नहीं हो रहा है। जिससे अधिकतर गायों की मौत हो रही है। जिन गायों को उठाकर बीमार गायों के बाड़े में रखा जाता है तो वहां कुछ समय बाद उनकी भी मौत हो रही है। हालत यह है कि गौशाला में रोजाना कई जगह पर गाय सुबह के समय मृत मिल रही है। जिन्हें रोजाना मुर्दा मवेशी ठेकेदार द्वारा उठाया जा रहा है।
काऊ लिफ्टिंग मशीन की दरकार
नगर निगम गौशाला समिति के अध्यक्ष जितेद्र सिंह ने बताया कि गौशाला में रोजाना बड़ी संख्या में गाय बैठक ले रही हैं। उन्हें समय पर फिर से खड़ा करने के लिए काऊ लिफ्टििंग मशीन की आवश्यकता है। करीब 20 से अधिक मशीनें चाहिए। निगम ने एक दो मशीनें तैयार करवाई हैं लेकिन उनमें पट्टे नहीं लगने से उनका उपयोग नहीं हो पा रहा है। इस कारण गायों की मौत अधिक हो रही है। सिंह ने बताया कि गौशाला में गायों को चारा व पानी पर्याप्त मात्रा में दिया जा रहा है। लेकिन चारा खाने के बाद आफरा आने पर गाय जगह की कमी के कारण घूम नहीं पा रही जिससे उनकी मौत अधिक हो रही है। डॉक्टरों के अनुसार अधिकर गाय बीमार हालत में और पॉलिथीन खाए हुए हैं जिससे वे चारा पचा नहीं पाती और अधिक खाने पर बैठक लेने से उनकी मौत हो रही है।
सड़ा भूसा खिलाने से हो रही मौत
धिर नगर निगम कोटा दक्षिण के भाजपा पार्षद सुरेन्द्र राठौर का आरोप है कि गौशाला में गायों को सड़ा हुआ भूृसा खिलाया जा रहा है। गायों की देखभाल के लिए मेडिकल स्टाफ तक नहीं है। जिससे गायों की मौत अधिक हो रही है। हालत यह है कि कई बार तो एकदिन में 20 से 30 गायों तक की मौत हुई है। गायों की मौत होने पर उन्हें समय पर उठाया तक नहीं जा रहा है।
गायों की दुर्दशा को रोकना होगा
दादाबाड़ी निवासी राकेश शर्मा का कहना है कि गाय को गौमाता के रूप में पूजा जाता है। निजी गौशालाओं में जिस तरह से गायों की देखभाल हो रही है। उसी तरह से निगम की गौशाला में भी होनी चाहिए। तभी उनकी दुर्दशा को रोका जा सकेगा। महावीर नगर निवासी संजय जैन का कहना है कि सरकार द्वारा गौरक्षा के नाम पर जनता से टैक्स वसूल किया जा रहा है। फिर गायों की सही ढंग से देखभाल क्यों नहीं की जा रही। गाय भले ही दूध नहीं दे लेकिन उसका गोबर, गौमूत्र समेत अन्य उत्पाद उपयोगी हैं। गायों की रक्षा होगी तभी ये उत्पाद मिल सकेंगे।
इनका कहना
गौशाला में गायों की अधिक मौत का कारण उनका बीमार हालत में और पॉलिथीन खाना है। गौशाला में गायों की देखभाल के लिए मेडिकल स्टाफ की कमी है। साथ ही गर्मी और बीमारी के कारण बैठक लेने से गायों की मौत अधिक हो रही है। उन्हें समय पर उठाने के लिए काऊ लिफ्टििंग मशीनों की आवश्यकता है। गौशाला में कभी अधिक तो कभी कम लेकिन रोजाना गायों की मौत हो रही है। हालांकि व्यवस्थाओं में पहले से सुधार हुआ है।
-जितेन्द्र सिंह, अध्यक्ष, नगर निगम गौशाला समिति
गौशाला में गायों की देखभाल की पर्याप्त व्यवस्था की जा रही है। बीमार गायों के गौशाला में आने से उनकी मौत अधिक हो रही है। गौशाला में पहले की तुलना में गायों की मौत में कमी आई है। फिर भी 10 से 15 गायों की मौत रोजाना हो रही है। मृत्यु दर को कम करने के लिए गौवंश का वैक्सीनेशन व दवा पिलाने का काम किया जा रहा है। गौवंश को 500-500 के बाड़ों में शिफ्ट किया जा रहा है।
-दिनेश शर्मा, प्रभारी, नगर निगम गौशाला
गौशाला में गायों की देखभाल व सुरक्षा पर पूरा फोकस है। वहां भूसे का गोदाम बनाने समेत खेलों की मरम्मत व अन्य निमाण कार्य करवाए जाएंगे। इसके लिए करीब दो करोड़ का टेंडर जारी किया है। गायों की मौत का कारण बीमारी और पॉलिथीन है। पहले जहां एक से डेढ़ फीसदी गायों की मौत हो रही थी उसकी तुलना में मृत्यु दर में कमी हुई है।
-राजीव अग्रवाल, महापौर, नगर निगम कोटा दक्षिण
Comment List