कोटा के तीन बड़े औद्योगिक संस्थाओं को एनजीटी का नोटिस, कोर्ट ने उद्योगों को बनाया पक्षकार
कोटा प्रशासन, स्थानीय निकायों और प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से एकमात्र एसटीपी प्लांट लगाया गया है, जो पूरी तरह से कार्य भी नहीं कर रहा है।
कोटा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल सेंट्रल जोनल बैंच भोपाल ने चंबल को प्रदूषित करने के मामले में कोटा के तीन बड़े औद्योगिक संस्थाओं को नोटिस थमाया है। पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते न्यायाधिपति शिवकुमार सिंह, न्यायिक सदस्य डॉ. ए. सेंथिल विशेषज्ञ सदस्य की बैंच ने नोटिस जारी कर तीनों औद्योगिक संस्थाओं से 9 जनवरी 2025 तक जवाब मांगा है। जाजू ने याचिका में बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सेन्ट्रल जोनल बैंच, भोपाल में निर्णित हो चुकी याचिका संख्या 318/2014 बाबूलाल जाजू बनाम राजस्थान राज्य व अन्य में एनजीटी ने गंदे नालों को देश की एकमात्र घड़ियाल सेंचुरी चम्बल में जाने से रोकने के लिए नालों के गंदे पानी को एसटीपी प्लांट लगाकर साफ करके ही चम्बल में छोड़े जाने के निर्देश दिए थे। जिस पर कोटा प्रशासन, स्थानीय निकायों और प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से एकमात्र एसटीपी प्लांट लगाया गया है, जो पूरी तरह से कार्य भी नहीं कर रहा है।
करोड़ों खर्च, मात्र 15 % पानी का शोधन
सरकार की ओर से करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद वर्तमान में लगभग 15 प्रतिशत पानी का शोधन ही हो रहा है, शेष सीधे नदी में जा रहा है, जिससे बदबू आ रही है। 10 वर्ष पूर्व दायर याचिका में पारित आदेशों की पालना कोटा प्रशासन नहीं कर पाया है। जिसके चलते नदी में शहर के सैकड़ों छोटे बड़े सीवरेज के नाले चम्बल नदी में जा रहे हैं। वहीं, कुछ औद्योगिक इकाइयों द्वारा गर्म व प्रदूषित पानी चोरी छिपे सीधे चम्बल में छोड़ा जा रहा है। इस पर कोर्ट ने तीनों औद्योगिक संस्थाओं को प्रदूषण फैलने में आवश्यक पक्षकार मान विपक्षी पक्षकार कायम कर नोटिस जारी किया है।
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