जयपुर, अजमेर सहित 13 जिलों की प्यास बुझाएगा नोनेरा बांध
कोटा के दीगोद में 37 हजार पांच सौ करोड़ से हो रहा निर्माण, 55 फीसदी काम पूरा हुआ, अक्टूबर 2022 में काम पूरा होने की उम्मीद
कोटा के दीगोद में काली सिंध नदी पर नोनेरा बांध निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट राजस्थान में इतिहास बनाने जा रहा है। जब यह बांध बनकर तैयार होगा और इसका पानी जब बीसलपुर बांध में जाएगा, तब जयपुर ,अजमेर सहित राजस्थान के 13 जिले के लोगों के कंठ इससे गीले होंगे।
बूढ़ादीत। कोटा के दीगोद में काली सिंध नदी पर नोनेरा बांध निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट राजस्थान में इतिहास बनाने जा रहा है। जब यह बांध बनकर तैयार होगा और इसका पानी जब बीसलपुर बांध में जाएगा, तब जयपुर ,अजमेर सहित राजस्थान के 13 जिले के लोगों के कंठ इससे गीले होंगे। कोरोना महामारी और बरसात के कारण इसके निर्माण कार्य प्रभावित हुआ था। लेकिन अब इसके काम में तेजी आई। वर्तमान में 55 फीसदी काम पूरा हो चुका है। अक्टूबर 2022 में इस बांध के काम पूरा होने की उम्मीद है। बांध का शिलान्यास 15 नवम्बर 2019 को पीपल्दा विधायक रामनारायण मीणा द्वारा किया गया था। इसके प्रथम चरण का कार्य प्रारंभ किया गया था। अधीशासी अभियंता पीके गुप्ता ने बताया कि राजस्थान की बहुत बड़ी योजना है जिससे सिंचाई सहित पीने के पानी की समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी। इस बांध का निर्माण जल संसाधन विभाग व सिंचाई विभाग की दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड कंपनी द्वारा करवा जा रहा है। इसमे अब तक 5 से 7 गेट के कॉलम पूर्ण हो चुके है। डेम प्रोजेक्ट मैनेजर रामजी वर्मा ने बताया कि डेम का कार्य नवम्बर 2019 से चल रहा है। इस डेम का अब तक 50 से 55 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो गया है । डेम निर्माण में 500 से अधिक लोग कार्य करते है। जिसमें से 10 कनिष्ठ अभियंता, 3 सहायक अभियंता ,1 अधिशासी अभियंता 1 अधीक्षण अभियंता मॉनीटरिंग कर रहे है।
बूंदी जिले के 366 गांवों को मिलेगा पानी
काली सिंध नदी पर कोटा के दीगोद में बनाए जा रहे नोनेरा बांध से बूंदी जिले के 366 गांवों को पीने के लिए पानी मिलेगा। कोरोना के चलते एक साल का एक्सटेंशन मिलने के बाद अब नोनेरा बांध का काम अक्टूबर 2022 में पूरा होने की उम्मीद है। हालांकि इससे पहले की तैयारी प्रोजेक्ट डिवीजन ने पूरी कर ली हैए यानी बांध निर्माण के साथ ही पेयजल परियोजना को धरातल पर उतरने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। बूंदी जिले के लिए 1661.16 करोड़ रुपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की जा चुकी है। अब प्रशासनिक स्वीकृति के लिए कंसलटेंट कंपनी प्रस्ताव तैयार कर रही है। नोनेरा पेयजल परियोजना से कोटा व बूंदी के 752 गांवों को जोड़ा जाना है, जिसमें बूंदी जिले के 366 गांव हैं। केशवरायपाटन, बूंदी, तालेड़ा व नैनवां के हैं 366 गांव जिन गांवों को नोनेरा बांध से पानी मिलना है। ये गांव बूंदी, केशवरायपाटन, तालेड़ा व नैनवां के हैं। नैनवां उपखंड के कुछ गांव केशवरायपाटन विधानसभा क्षेत्र में भी आते हैं। जिले के 3 बड़े कस्बे भी जुड़ेंगे नोनेरा पेयजल परियोजना से नोनेरा पेयजल परियोजना से बूंदी जिले के 366 गांवों के साथ-साथ तीन बड़े कस्बे भी जुड़ेंगे। इनमें केशवरायपाटन, कापरेन व लाखेरी शामिल है।
डूबत क्षेत्र में आई जÞमीनों के मिलने लगा है मुआवजा
डेम बनाने में जो जमीन डूब क्षेत्र में आ रही है उनके मुआवजा की प्रक्रिया लगभग पूर्ण कर ली गई है जिसमें से कई लोगों के खाते में मुआवजे की राशि भी डाल दी गई है जो अन्य लोग हैं उनकी कुछ फॉर्मेलिटी है वह भी पूरी होने के बाद उनके खाते में उनकी मुआवजे की राशि डाल दी जाएगी जिसमें इटावा में 22 करोड़ और सुल्तानपुर क्षेत्र में 37 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जा रहा है।
बड़ोद काली सिंध पुलिया पर रहेगा 8 मीटर पानी
बड़ोद कालीसिंध पुलिया पर रहेगा 8 मीटरबड़ोद कालीसिंध पुलिया पर रहेगा 8 मीटरबांध में जल संग्रहित होने की स्थिति में श्योपुर इटावा मार्ग पर बड़ोद कस्बे के पास कालीसिंध नदी की पुलिया पर 8 मीटर पानी रहेगा । पुलिया के डूबने से यहां पर नए पुल का निर्माण किया जाएगा।
13 जिलों में पेयजल व सिंचाई के लिए मिलेगा पानी:
सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता साबिर हुसैन ने बताया कि इस बांध के निर्माण से 13 जिलों को पेयजल उपलब्ध कराने की योजना है इन जिलों में अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, दौसा,जयपुर अजमेर, टोंक, कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ आदि शामिल है ।
यह है योजना
करीब 37 हजार पांच सौ करोड़ की यह योजना जो कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में मंजूर हुई थी। जिसका कार्य प्रथम चरण में कालीसिंध नदी पर नोनेरा के पास 1595.06 करोड़ की कार्य योजना तैयार की गई है। जिसमें बांध का स्ट्रक्चर करीबन 601 करोड़ की लागत से निर्मित होगा। बांध की सतह से ऊंचाई 26 मीटर होगी, इसमें कुल 27 गेट होंगे। जिसमें जल संग्रहण की क्षमता 226.65 मिलियन घन मीटर होगी।

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