9 फरवरी को ही पता लग गया था चंबल में पड़ी लाश, फिर भी नहीं करवाया पोस्टमार्टम
न मौका पंचनामा न कब्जे में शव, रहस्य बनी मौत
वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए पुख्ता कदम उठाने को कार्यवाही करनी चाहिए थी, जो नहीं किया गया। वन अधिकारियों की लापरवाही से वन्यजीवों का संरक्षण व सुरक्षा खतरे में पड़ गई है।
कोटा। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के अधीन राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल सेंचुरी में गत दिनों संदिग्ध परिस्थितियों में मिली अजगर और मगरमच्छ की लाश के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। वन विभाग को पहले दिन से ही पता लग गया था कि चंबल नदी में अजगर और मगरमच्छ की लाश पड़ी है। इसके बावजूद शवों को कब्जे में लेकर प्रोटोकॉल के तहत निस्तारण करवाने के बजाए आंखें मूंदी रखी। वन्यजीवों की सुरक्षा के प्रति जिम्मेदारों की घोर लापरवाही उजागर हुई तो अफसरों की नींद खुली और शवों को ढूंढने के लिए सर्च किया। लेकिन, तब तक फिशिंग जाल में फंसे अजगर और संदिग्ध मगरमच्छ का शव गायब हो चुके थे। नतीजन, शेड्यूल-वन के एनिमल्स के शव के साथ उनकी मौत के कारण भी रहस्य बन गए। दरअसल, दैनिक नवज्योति के पास ऐसे साक्ष्य मौजूद हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि वन विभाग को 9 फरवरी को ही चंबल घड़ियाल सेंचुरी में दोनों एनीमल के शव पड़े होने की जानकारी मिल चुकी थी। इसके बावजूद मामले को छिपाते रहे और जनता को गुमराह किया।
पता होने के बाद भी मामलाछिपाना संदेहप्रद :
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के चंबल घड़िया सेंचुरी में गत 9 फरवरी को ही विभाग को भंवरकुंज के पास फिशिंग नेट में फंसी अजगर की लाश और भंवरकुंज के पास संदिग्ध हालात मिली 12 फीट लंबे मगरमच्छ की डेड बॉड़ी पड़ी होने की सबूत के साथ जानकारी मिल गई थी। इसके बावजूद उनके शवों को कब्जे में ना लेना, मौका पंचनामा न बनवाना, पोस्टमार्टम न करवाना सहित गंभीर मामले को छिपाकर वन उच्चाधिकारियों और जनता गुमराह करना वन कर्मियों व अफसरों की कार्यशैली को सवालों के घेरे में लाता है। साथ ही मंशा पर संदेह पैदा करता है।
एफआईआर दर्ज नहीं करना घोर लापरवाही :
मामला उजागर होने के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं करना घोर लापरवाही दर्शाता है। जबकि, प्रोटोकॉल के अनुसार, वन अधिकारियों को शेड्यूल वन के एनिमल के शव मिलने पर प्रकरण दर्ज कर मौका पंचनामा बनाना था। इसके बाद शवों का पोस्टमार्टम करवाकर मौत के कारणों का पता लगाने के लिए सैंपल जांच के लिए लैब भिजवाने थे। साथ ही वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए पुख्ता कदम उठाने को कार्यवाही करनी चाहिए थी, जो नहीं किया गया। वन अधिकारियों की लापरवाही से वन्यजीवों का संरक्षण व सुरक्षा खतरे में पड़ गई है।
प्रोटोकॉल का खुला उल्लंघन, 18 दिन से शव लापता :
वन्यजीव विशेषज्ञ नागार्जुन बिंदू कहते हैं, जानकारी होने के बावजूद विभाग द्वारा छिपाया जाना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। शेड्यूल वन के एनिमल की लाश गायब है। डेड बॉडी गायब हुई या करवा दी गई। इसकी उच्च स्तरीय जांच करवाकर पर्दाफाश करना चाहिए। हालांकि, फिशिंग नेट में फंसी अजगर की लाश से जाहिर होता है कि घड़ियाल सेंचुरी में अवैध मत्सत्याखेट करने वालों का गिरोह सक्रिय है। जिससे चंबल में बसी बेजुबानों की दुनिया खतरे में है।
पोस्टमार्टम होता तो मौत के रहस्यों से उठता पर्दा :
चंबल घड़ियाल सेंचुरी में मृत मिले वन्यजीवों की डेड़बॉडी मिलना बेहद जरूरी है। ताकि, पोस्टमार्टम में मौत के सटीक कारणों का पता लग सके। पीएम नहीं होने से कई तरह के सवाल जहन में उठते हैं, जिसमें पानी में जहर, प्रदूषण का स्तर, जानवरों में फैली बीमारी सहित अन्य शामिल है। समय पर कारणों का पता लगने से अन्य जलीय जीवों की जान बचाई जा सके। उच्चाधिकारियों को मामले की निष्पक्ष जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
-बाबूलाल जाजू, पर्यावरणविद् एवं प्रदेशाध्यक्ष पीपुल्स फॉर एनिमल सोसायटी
हर दिन मर रहे मगरमच्छ,रिकॉर्ड में नहीं ले रहा विभाग :
चंबल सेंचुरी में इनलीगल फिशिंग करने वालों का समूह पूर्णरूप से सक्रिय है। ऐसे में जाल में फंसने से आए दिन मगरमच्छ सहित अन्य वन्यजीवों की मौत होती है। लेकिन, मुकुंदरा प्रशासन उनको रिकॉर्ड में नहीं लेता। यही वजह है विभाग के पास हर माह वन्यजीवों की मौत का आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। जिसका खामियाजा, वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर पॉलिसी नहीं बन पाने के रूप में भुगतना पड़ता है। मुकुंदरा उपवन संरक्षक की इससे बड़ी लापरवाही क्या होगी कि 9 फरवरी को ही मामले की जानकारी मिलने के बावजूद कार्रवाई नहीं की गई। अफसरों की लचरता से बेजूबानों की जान खतरे में पड़ गई है। उच्चाधिकारियों को मामले की गंभीरता को देखते हुए कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
- तेपेश्वर सिंह भाटी, पर्यावरणविद् एवं एडवोकेट
गंभीर अपराध पर सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू ने साधी चुप्पी, जवाब से बचती रहीं :
शेड्यूल वन एनीमल के शवों का गायब होना तथा जानकारी होने के बावजूद प्रोटोकॉल का खुला उल्लंघन किए जाने के मामले में मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक (सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू) शिखा मेहरा ने चुप्पी साध ली है। मामले में उनका पक्ष जानने के लिए नवज्योति ने फोन किए लेकिन उन्होंने रिसिव नहीं किए। इसके बाद उन्हें मैसेज किए, जिसे पढ़कर भी जवाब नहीं दिया। वन्यजीवों की सुरक्षा का दायित्व होने के बावजूद गंभीर मामले को नजरअंदाज करना समझ से परे है।
मामले की जांच चल रही है। रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
-सुगनाराम जाट, संभागीय वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक मुकुंदरा टाइगर रिजर्व
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