आखिर कहां गायब हो गई चंबल घड़ियाल सेंचुरी से अजगर व मगरमच्छ की लाश, जानकर भी अनजान बनते रहे अधिकारी
पंचनामा पोस्टमार्टम, प्रोटोकॉल की जमकर उड़ी धज्जियां
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के अधीन राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल सेंचुरी में शेड्यूल-1 के एनिमल्स के शव छिपाए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है
कोटा। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के अधीन राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल सेंचुरी में शेड्यूल-1 के एनिमल्स के शव छिपाए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। 12 दिन पहले गरड़िया महादेव व भंवरकुंज के पास चंबल नदी में शिकारियों के जाल में फंसे अजगर और मगरमच्छ के शव मिले थे। जिनका प्रोटोकॉल के तहत विधिवत शव का निस्तारण करवाने के बजाए, अधिकारियों ने शव मिलने से ही मना कर दिया। दैनिक नवज्योति ने मामले से जुड़े साक्ष्य उच्चाधिकारियों के समक्ष रखे तो विभाग में हड़कम्प मच गया। दरअसल, गत 9 फरवरी को चंबल घड़ियाल सेंचुरी में पर्यटकों को मछुआरों के जाल में लिपटा अजगर का शव मिला था। इसके अगले ही दिन 10 फरवरी को 12 फीट लंबे मगरमच्छ की संदिग्ध हालत में लाश मिली। जिसकी सूचना संबंधित वनकर्मियों को भी दी गई। इसके बावजूद शव का न तो मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाया गया और न ही मौका पंचनामा बनवाया। इतना ही नहीं शव मिले जाने से भी इंकार किया। जब नवज्योति ने जीपीएस कोर्डिनेट मय फोटो भेजे तो अधिकारियों के होश उड़ गए।
12 दिन से लाश गायब, जानकर भी अनजान बनते रहे अधिकारी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, गत दिनों सीसीएफ ऑफिस स्थित जेटी से ट्यूरिस्ट बोट से ट्यूरिस्ट गरड़िया महादेव तक चंबल सफारी को गए थे। 9 फरवरी को गरड़िया महादेव के पास नदी में मगरमच्छ का शव संदिग्ध हालात में मिला। इसके अगले दिन 10 फरवरी को भंवरकुंज के सामने कोटिया भील फोर्ट के पास मछुआरों के जाल में फंसी अजगर की लाश मिली। जिसकी जानकारी विभाग को दी गई। इस पर कार्रवाई करने के बजाए मामला छिपाते रहे। 15 फरवरी को फोटो-वीडियो सामने आने पर मामले का खुलासा हुआ तो वनकर्मियों ने अगले ही दिन 16 फरवरी को अलसुबह शव को गायब कर दिया। नवज्योति ने अधिकारियों को मामले से अवगत कराया तो उन्होंने अनभिज्ञता जताते हुए पल्ला झाड़ लिया। इसके बाद जीपीएस कोडिनेट भेजे तो अधिकारियों के होश उड़ गए। पिछले 12 दिन से जलीय जीवों की डेड बॉडी गायब है और अधिकारियों को होश तक नहीं।
जीपीएस कोर्डिनेट भेजे तो उड़े अधिकारियों के होश
दैनिक नवज्योति ने शनिवार को मुकुंदरा डीएफओ से मामले को लेकर सम्पर्क किया तो उन्होंने मगरमच्छ व अजगर के फोटो-वीडियो कोटा चंबल घड़ियाल क्षेत्र के होने से इंकार कर दिया। साथ ही उनके शव मिलने से भी मना कर दिया। इस पर नवज्योति ने सैटेलाइट जीपीएस कोर्डिनेट के साथ फोटो भेजे।
क्या कहता है प्रोटोकॉल
वाइल्ड लाइफ रिसर्चर रवि कुमार ने बताया कि शेड्यूल वन के एनिमल की किसी भी परिस्थिति में मौत होने पर सर्वप्रथम एफआईआर दर्ज की जाती है फिर मेडिकल बोर्ड गठित कर पोस्टमार्टम करवाकर सैंपल जांच के लिए फोरेंसिक व डब्ल्यूडब्ल्यूएआई को भेजे जाते हैं। इसके बाद वन्यजीव चिकित्सकों व अधिकारियों की मौजूदगी में शव का अंतिम संस्कार किया जाता है। लेकिन, इस मामले में न केवल प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया गया बल्कि शव को गायब कर जघन्य अपराध को अंजाम दिया गया। जलीय जीवों की सुरक्षा में घोर लापरवाही बरतने वाले वन अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।
प्रत्यक्षदर्शी बोले-मगरमच्छ व अजगर को मृत देख दिल दुखा
9 फरवरी को हम दो साथी चंबल सफारी को गए थे। जहां गरडिया महादेव के पास नदी किनारे मगरमच्छ पानी में मगरमच्छ का शव देखा। उसकी शरीर फूलकर पानी में तैर रहा था। बेजूबान की ऐसी बेकद्री देख दिल दुखा। जलीय जीवों की सुरक्षा को विभाग गंभीर नहीं है। यहां फोरेस्ट का लॉ इंफोर्समेंट बिलकुल भी नहीं है।
- विशाल राठौड़, स्टूडेंट नीट यूजी
मैं अपने दोस्तों के साथ 10 फरवरी को चंबल सफारी पर गया था। कोटिया भील फोर्ट के पास मछली पकड़ने के जाल में अजगर का शव फंसा हुआ मिला था। जिसे नजदीक से देखा तो उसका शरीर जाल के कारण कई जगहों से कटा हुआ था।
- गौरव चतुर्वेदी, अंशुल त्रिपाठी, (परिवर्तित नाम) पर्यटक
इस बारे में पहले से मुझे कुछ पता नहीं है, आपके द्वारा ही मामला संज्ञान में आया है। डीएफओ व सीसीएफ से पता कर आवश्यक कार्रवाई करेंगे।
- शिखा मेहरा, प्रधान मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जयपुर
आपके द्वारा ही मामला संज्ञान में आया है। डीएफओ से पता करेंगे और 9 व 10 फरवरी को मामला सामने आ गया था तो अब तक सूचना क्यों नहीं दी गई। किस स्तर पर लापरवाही बरती गई, इसकी जांच करवाएंगे, जिसमें जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
- सुगनाराम जाट, संभागीय मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक मुकुंदरा
मामले से संबंधित फोटो आए थे, हमने टीम मौके पर भेजी थी लेकिन वहां कोई वन्यजीव की डेड बॉडी नहीं मिली। जीपीएस कोर्डिनेट नहीं होने से यह लोकेशन यहां की है या नहीं, इसका कोई आइडिया नहीं है।
- मूथू एस, डीएफओ मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व
शव छिपाया जाना गंभीर
मगरमच्छ व अजगर की जाल में फंसी लाश 9 व 10 फरवरी को मिल गई थी। जिसकी जानकारी वनकर्मियों को थी। इसके बावजूद अधिकारी शव मिले जाने से इंकार करते रहे। शेड्यूल-1 के वन्यजीव की मृत्यु पर विधि अनुसार निस्तारण नहीं किया जाना व प्रकरण उजागर होने के बाद भी दोनों वन्यजीवों के शव मृत्यु के स्थान पर नहीं मिलना या उन्हें जिम्मेदारों द्वारा छुपाया जाना गंभीर है, जो मुकुन्दरा में वन्यजीव संरक्षण को लेकर जिम्मेदारों की घोर लापरवाही को स्पष्ट कर रहा है। इस प्रकरण के निपटान में जिम्मेदारों का जो लापरवाही व मानमाना पूर्ण आचरण रहा है, उससे यह स्पष्ट है कि वे विधि द्वारा पाबंद नहीं है व विभागीय दिशा निर्देश से खुद को ऊपर समझते है। वहीं, वर्तमान उप वन संरक्षक का अपने अधीनस्थों पर नियंत्रण समाप्त हो चुका है।
- तपेश्वर सिंह भाटी, वन्यजीव विशेषज्ञ एवं एडवोकेट
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