दहशत के साए में जीने को मजबूर हैं लोग
सार संभाल के अभाव में चार दशक पुरानी पेयजल टंकी का गिरने लगा मलबा
टंकी का मलबा गिरने के बाद पेयजल विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर टंकी के चारों तरफ केवल जाल लगा दिया है।
खातौली। पुरानी खातौली स्थित चार दशक पुरानी पेयजल विभाग की टंकी सार संभाल के अभाव में पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। गत दिनों टंकी का मलबा गिरने के बाद इसके आसपास रहने वाले लोग दहशत के साए में जीने को मजबूर हैं। टंकी का मलबा गिरने के बाद पेयजल विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर टंकी के चारों तरफ केवल जाल लगा दिया है। जिससे कि कोई टंकी पर ना चढ़ सके।
लोगों ने की टंकी को जमींदोज करने की मांग
स्थानीय लोगों ने जलदाय विभाग के अधिकारियों से जल्द से जल्द जर्जर हो चुकी इस पेयजल टंकी को जमींदोज करने की मांग की है। लोगों ने कहा कि अगर जल्दी ही इस टंकी को नहीं हटाया गया तो यह कभी भी बड़ी दुर्घटना का सबब बन सकती है।
समीप की मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए आते-जाते वक्त इस जर्जर टंकी के गिरने का डर लगा रहता है। विभाग को इसे जल्द ही गिरा देना चाहिए। टंकी के बगल में हमारा मकान बना हुआ है। जब से टंकी का मलबा गिरा है, हम लोग दहशत में हंै। कभी भी दुर्घटना हो सकती है। विभाग इसे जल्द से जल्द सुरक्षित तरीके से गिरा दे तो समस्या का समाधान हो।
-बफाती मोहम्मद, क्षेत्रवासी
मेरा मकान भी टंकी के पास ही है। परिवार के सदस्यों के साथ ही मैं भी टंकी का मलबा गिरने के बाद से डरा हुआ हूं। दिन में दुकान पर जाने के बाद भी डर लगा रहता है कि कहीं कोई हादसा ना हो जाए।
-जाकिर लोहार, क्षेत्रवासी
पेयजल टंकी के पास से आम रास्ता होने से पुरानी खातौली अपने घर आने-जाने के लिए इस मार्ग से होकर गुजरना पड़ता है। ऐसे में डर लगा रहता है कि कहीं कोई हादसा ना हो जाए।
-रणवीर सिंह, निवासी, पुरानी खातौली
हमारा मकान टंकी के ही पास होने से रात को भी हम डर के मारे सो नहीं पाते। जरा सी आहट होती है तो दौड़ कर बाहर निकलकर देखते हैं कि कहीं टंकी तो नहीं गिर गई है। अभी कुछ दिन पहले ही टंकी का छज्जा गिर चुका है। जिससे हादसा होते-होते बचा।
-मोहम्मद रफीक, क्षेत्रवासी
इनका कहना है
सुरक्षा के मद्देनजर टंकी के चारों तरफ तारों की जाली लगा दी है। ताकि छोटे बच्चे खेलते-खेलते टंकी के नीचे नहीं जा पाएं। इसका प्रपोजल बनाकर आगे भेज दिया गया है। जैसे ही मंजूर हो जाएगा तो इसको हटवा देंगे।
-रवि यादव, जेईएन, जलदाय विभाग
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