संयम समर्पण सेवा श्रद्धा और समभाव ही सनातन
भानपुरा पीठ के शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानन्द महाराज से नवज्योति की विशेष बातचीत
कौनसा धर्म सनातन है और कैसे, इन सब सवालों पर लोग चर्चा कर रहे हैं।
कोटा। सनातन शब्द को लेकर आज देश भर में चर्चा छिड़ी हुई है। सनातम धर्म क्या है। कौनसा धर्म सनातन है और कैसे, इन सब सवालों पर लोग चर्चा कर रहे हैं। इसी मामले को लेकर नवज्योति ने मध्य प्रदेश की भानपुरा पीठ के शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद महाराज से चर्चा की।
प्रस्तुत हैं उसके अंश
नवज्योति- महाराज देश भर में सनातन शब्द को लेकर चर्चा छिड़ी है। आखिर सनातन धर्म क्या है।
स्वामी ज्ञानानंद जी - सनातन शब्द हर प्राणी, हर मानव को पोषित करने वाला है। सनातन दान, सनातन सेवा,सनातन श्रद्धा,सनातन त्याग, सनातन सत्संग, सनातन समभाव, सनातन संयम, सनातन समर्पण ही उत्कृष्ठ है। सनातन शब्द पोषित करता है वंचित नहीं करता। निर्माण करता है। सनातन ही एक ऐसा शब्द है जो जगत कल्याण करता है। इसकी जड़ इतनी गहरी है कि कभी दीमक नहीं लग सकती है। जैसे एक आंवला होता है। उसकी फांखे अलग अलग हो जाती हैं लेकिन यह सब फांके उसके बीज से जुड़ी रहती हैं। ठीक उसी प्रकार सनातन एक ऐसा बीज है जिसमें सभी जुड़े हैं।
नवज्योति- आप आज के दौर को लेकर क्या कहेंगे। समाज में सब कुछ ठीक चल रहा है क्या?
स्वामी ज्ञानानंद जी - दरअसल हमारे धर्म में संस्कारों का बड़ा महत्व है। समाज से संस्कार खत्म होते जा रहे हैं। दरअसल गर्भाधन ही बिगड़ा हुआ है। जब शुरुआत ही बिगड़ जाएगी तो आगे क्या होगा यह समझ सकते हैं। हमारे समाज में विवाह संस्कार की महत्वता रही है। लेकिन आजकल गंधर्वर् विवाह का प्रचलन बढ़ रहा है। अब तो सरकार रजिस्ट्रेशन करती है। इससे सामाजिक प्रक्रियाओं में विकृति आ रही है। गंधर्व विवाह पहले भी होते थे लेकिन मर्यादा होती थी। अब मर्यादा का खत्म हो रही है।
नवज्योति- धर्म का कमर्शियलाइजेशन हो रहा है। क्या यह ठीक है। हर तरफ बाढ़ सी आई हुई है।
स्वामी ज्ञानानंद जी - पहली बात तो यह है कि आप जिसे जैसे देखेंगे वह वैसा दिखेगा। जांकि रही भावना जैसी, प्रभु मूरत तिन देखी वैसी, कमर्शियलाइजेशन और अंध विश्वास दोनों ठीक नहीं है। फिर भी मैं कहूंगा कि समय लौट रहा है। यह जगत परिवर्तन शील है। रितु लौट कर आती है, दिन लौट कर आते हैं। माह लौट कर आता है। ऐसे ही समय लौट कर आता है।
नवज्योति- हमारी शिक्षा पद्द्ति को लेकर आप क्या कहेंगे।
स्वामी ज्ञानानंद जी - शिक्षा के लिए गुरुकुल पद्द्ति ही ठीक थी। यह पद्द्ति सामाजिक हित में होती थी। अब शिक्षा तो मिल रही है लेकिन संस्कार नहीं मिल रहे है। आज माता पिता की लोग बात नहीं मानते। बड़ों का आदर नहीं करते। वृद्दो को ं गैर जरूरी समझ लिया जाता है। यह कैसी शिक्षा है। सबसे बड़ी दिक्कत तो यह है कि बच्चों में बोध नहीं है। इसमें सामाजिक हित कहां है।
नवज्योति- स्वामी जी अपने बारे में बताइए।
स्वामी ज्ञानानंद जी - 1998 में सन्यास ग्रहण किया। 1990 में भानपुरा पीठ से जुड़ने के बाद रामजन्म भूमि आन्दोलन और 1994 में अल कबीर कत्ल खाने के आन्दोलन में अग्रणी भूमिका निभाई। 1995 में युवाचार्य घोषित किया गया। 2019 में स्वामी दिव्यानन्द के गौ लोक गमन के पश्चात शंकराचार्य घोषित किया गया। शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद महाराज कई दिनों से कोटा के स्टेशन क्षेत्र स्थित श्री राम मंदिर में चातुर्मास कर रहे है।
Comment List