स्मार्ट सिटी का दशहरा - मेला मैदान मांगता मरम्मत
शहरा मेले से पहले मरम्मत पर होंगे लाखों रुपए खर्च
लाइटों के खम्बे तक आधे गायब।
कोटा। नगर निगम कार्यालय के पास स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों रुपए की लागत से तैयार किए गए दशहरा मैदान की हर साल की तरह फिर से दुर्दशा हो गई है। यहां मैदान में पीछे की तरफ लगे बिजली के खम्बे तक आधे गायब हो गए हैं। वहीं टूटफूट भी काफी हो गई है। दिल्ली के प्रगति मैदान की तर्ज पर दशहरा मैदान को बनाने का प्रयास तो किया गया। करीब 80 करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च करने के बाद भी हालांकि यह वैसा बन नहीं सका। लेकिन इसकी देखरेख तक सही ढंग से नगर निगम नहीं कर पा रहा है। यही कारण है कि यहां सुरक्षा गार्ड होने के बावजूद मैदान से आए दिन सामान तक चोरी हो रहे हैं। खास तौर से खतरे की परवाह किए बिना बिजली के खम्बे, लाइटें व डीबी के ढक्कन व तार तक चोर व स्मैकची ले जा रहे हैं। दशहरा मैदान में तुलसी माता मंदिर की तरफ और किशोरपुरा थाने के सामने के हिस्से में दुकानों के आगे लगे बिजली के कई खम्बे आधे गायब हो गए हैं। शुरुआत में इनकी संख्या कम थी लेकिन न तो सुरक्षा गार्डों ने और न ही निगम अधिकािरयों ने ध्यान दिया तो चोर व स्मैकचियों के हौंसले बुलंद होते गए। जिससे चोरी होने वाले बिजली के खम्बों की संख्या भी लगातार बढ़ती ही जा रही है। महंगे खम्बे होने के बावजूद स्मैकची व चोर उन्हें चंद रुपयों में बेचकर अपने नशे की पुड़िया का इंतजाम कर रहे हैं। पूर्व में इन बिजली के खम्बों से लाइटें और डीबी से उनके ढक्कन व तार तक चोरी हो चुके हैं।
घास बढ़ी, फायर बॉक्स टूटे
दशररा मैदान के पूरे कच्चे हिस्से में घास काफी बड़ी हो गई है। काफी समय से घास की कटाई नहीं होने से वह इतनी बड़ी हो गई है कि मैदान किसी जंगल से कम नहीं लग रहा। इन कच्ची जगह पर मेले के दौरान ठेले खड़े होने के अलावा कई दुकानें लगाई जाती है। ऐसे में मेले से पहले इस घास को भी कटवाना होगा। वहीं मैदान में आग से से सुरक्षा के लिए फायर सिस्टम लगा हुआ है। जिसके लिए पानी के पाइप रखने के बॉक्स जगह-जगह पर बने हुए हैं। लेकिन उनमें से अधिकतर बॉक्स के ढक्कन तक टूट चुके हैं। घास के बीच दबे होने से उनका पता नहीं चल रहा है लेकिन जैसे ही घास कटेगी तो उनकी दुर्दशा उजागर हो जाएगी।
दीवारों के पत्थर व नाली के ढकान टूटे
दशहरा मैदान में हर साल दशहरा मेले से पहले उसकी मरम्मत पर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। लेकिन कुछ समय बाद फिर मैदान की हालत वैसे ही हो जाती है। वर्तमान में भी विजयश्री रंगमंच के पीछे और श्रीराम रंगमंच के पिछले हिस्से में सीढ़ियों की दीवार से पत्थर उखड़ रहे हैं। जिनके ढेर मैदान में ही लगे हुए हैं। इसी तरह से पूरे मैदान में कई जगह पर नालियों के ढकान तक टूटे हुए हैं। जिससे उन्हें फिर से ढकने पर खर्चा करन्\ाा पड़ेगा। वहीं मैदान की अधिकतर नालियों के जाम होने से गंदा पानी मैदान में फेल रहा है।
नलों की टोटियां तक गायब
दशहरा मैदान में मेले के दौरान आने वाले हजारों लाखों लोगों की सुविधा के लिए जगह-जगह पर पीने के पानी की व्यवस्था की हुई है। वहां प्लास्टिक के नल लगाए हुए हैं। लेकिन देखरेख के अभाव में अधिकतर नलों से टोटियां तक गायब व चोरी हो चुकी हैं। हालांकि अभी वह काम नहीं आ रही। लेकिन मेले के दौरान पानी की जरूरत पड़ने पर फिर नए सिरे से नलों में टोटियां लगानी पड़ेंगी। इनके अलावा की कई अन्य टूटफूट मैदान में हो रही है। जिनकी मरम्मत पर निगम को खर्चा करना पड़ेगा।
नाम उकेरकर की दुर्दशा
मैदान में जगह-जगह दीवारों पर लोगों ने विशेष रूप से फुटकर दुकानें लगाने वालों ने अपने नाम लिखकर दीवारों की दशा ही बिगाड़ दी है। कई जगह पर सफेद चूने से तो कई जगह पर पत्थरों से उकेरकर नाम लिख दिए हैं। विशेष रूप से जन सुविधाओं व पीने के पानी की जगह के पास कई जगह पर इस तरह की हालत देखी जा सकती है।
इनका कहना है
दशहरा मैदान में एक साल में हो सकता है कई जगह पर छोटी-छोटी टूटफूट हो सकती है। बरसात में घास भी बढ़ जाती है। इसके लिए मेला समिति की बैठक में निर्माण व मरम्मत संबंधी कार्य करवाने का निर्णय लिया जा चुका है। कई कामों के टेंडर जारी करने की प्रक्रिया की जा रही है। साथ ही निगम के स्तर पर होने वाले कामों को शीघ्र कर दिया जाएगा।
- ए.क्यू कुरैशी, एक्सईएन, नगर निगम कोटा दक्षिण
मैदान में लगे बिजली के खम्बों से पूर्व में लाइटें चोरी हो जाती थी। उससे सीख लेते हुए पिछली बार ऐसी लाइटें लगाई जो मेले के बाद खोलकर स्टोर में रख दी थी। इस बार मेले के दौरान फिर से उन्हें लगा दिया जाएगा। वहीं बिजली के खम्बे चोरी होने की जानकारी नहीं है। वैसे मैदान में सुरक्षा गार्ड तैनात हैं। उन्होंने भी इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी।
- सचिन यादव, एक्सईएन(विद्युत), नगर निगम कोटा उत्तर
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