एनआईआरएफ रैंकिंग में आरटीयू को लाकर प्रदेश की पहली टेक्निकल यूनिवर्सिटी बनाएंगे : प्रो. चौधरी

राजस्थान की एक भी सरकारी यूनिवर्सिटी एनआईआरएफ रैंकिंग में शामिल नहीं

एनआईआरएफ रैंकिंग में आरटीयू को लाकर प्रदेश की पहली टेक्निकल यूनिवर्सिटी बनाएंगे : प्रो. चौधरी

राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलगुरु का साक्षात्कार।

कोटा। राष्ट्रीय स्तर पर उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और अनुसंधान के मानकों को परखने वाली नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फे्रमवर्क में राजस्थान की कोई भी सरकारी यूनिवर्सिटीज शामिल नहीं है। जिससे सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों की शैक्षणिक  गुणवत्ता, अनुसंधान और प्लेसमेंट के दावों पर सवालिया निशान खड़े हो गए। जबकि, इस रैंकिंग से विश्वविद्यालयों की साख देश-दुनिया में परखी जाती है। लेकिन, इस बार एनआईआरएफ रैंकिंग में राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय का नाम चमकाने की तैयारियां चल रही हैं।  आरटीयू के निवनियुक्त कुलगुरु प्रो. निमित चौधरी ने कार्यभार ग्रहण करते ही रैंकिंग को लेकर पूरी ताकत से जुट गए हैं। दैनिक नवज्योति को दिए साक्षात्कार में प्रो. चौधरी ने स्पष्ट कर दिया है कि इस बार रैंकिंग में आरटीयू का नाम होगा। इसके लिए टास्क फोर्स भी गठित कर दी गई है, जिसने इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया है।

सवाल : वर्तमान में आरटीयू की कोई एनआईआरएफ रैंकिंग नहीं है, इस बार विश्वविद्यालय को रैंकिंग में शामिल करने की आपकी क्या रणनीति है?
जवाब-  आरटीयू को इस रैंकिंग में लाना ही मेरी पहली प्राथमिकता है। ताकि, देश की टॉप यूनिवर्सिटीज की रैंकिंग में राजस्थान से आरटीयू का नाम शुमार हो सके। इसके लिए हमने टास्क फोर्स का गठन भी कर दिया है, जो यह काम देखेगी। जामिया मिलिया इस्लामिया विवि देश की टॉप-3 रैंकिंग में है। जब मैंने जामिया के मुकाबले आरटीयू के शिक्षकों की काबिलियत देखी तो जरा भी फर्क नहीं आया।  यहां के शिक्षक इतने काबिल हैं कि आरटीयू को नेशनल  इंस्टीट्यूशनल की टॉप रैंकिंग में ला सकते हैं। 
सवाल : कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग में पिछले 5 वर्षों से कंप्यूटर लैब बंद पड़ी है, छात्र बिना प्रैक्टिकल किए ही पास हो रहे हैं, इस पर विश्वविद्यालय क्या कदम उठा रहा है?
जवाब -  मैं, हर डिपार्टमेंट का निरीक्षण कर रहा हूं। मैकेनिकल व इलेक्ट्रीकल विभाग में जाकर व्यवस्थाएं देखी है। हर डिपार्टमेंट का जायजा लिया जा रहा है। हमने स्पेशलाइजेशन कमेटी गठित कर दी है, जो हर डिपार्टमेंट का फिजिकली दौरा करेगी। कहां क्या कमी है, किस चीज की आवश्यकता है, उसे पूरा किया जाएगा।  
सवाल : आरटीयू में शिक्षकों के प्रमोशन पिछले 10 वर्षों से लंबित हैं, इस दिशा में क्या कार्यवाही की जा रही है?
जवाब - यदि, शिक्षक दुखी होंगे तो कोई भी व्यवस्था कभी सही नहीं हो सकती। प्रमोशन उनका जायज हक है, जो मिलना ही चाहिए। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। कुछेक जगहों पर रुकावट आ रही है, जिसे दूर किया जा रहा है। इसके लिए एक टीम को काम पर लगा दिया है, जो शिक्षकों से जुड़ी जानकारी अपडेट की जा रही है। जैसे ही हमें सरकार से अनुमति मिलेगी तुरंत प्रमोशन कर दिए जाएंगे। 
ई-स्पोर्ट्स और इनडोर गेम्स की सुविधाएं बहुत ही खराब स्थिति में हैं, इनमें सुधार के लिए क्या योजनाएं बनाई जा रही हैं?
सवाल : यह सही है कि स्पोर्ट्स की सुविधाओं में कमी है। जिसमें हम विस्तार करेंगे। पढ़ाई के साथ खेलकूद भी जरूरी है, क्योंकि स्पोर्ट्स भी उतना ही जरूरी है, जितना इंजीनियरिंग। हम विद्यार्थियों को नेशनल लेवल का इंफ्रास्ट्रेक्चर डवलप करकें देंगे। 
सवाल : आप स्वयं पर्यटन विभाग से हैं, ऐसे में पर्यटन और तकनीकी शिक्षा के संयोजन से नया कोर्स करने की योजना है?
जवाब : बिलकुल, ऐसा करने का मेरा मन है। आज पूरी दुनिया का ट्यूरिज्म टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है। जहां तक अकेडमिक इनपुट की बात है, हमने इस संबंध में तैयारी शुरू कर दी है। हम पूरी दुनिया में एनालिसिस कर रहे हैं कि ट्यूरिज्म में इंजीनियरिंग को लेकर कहां क्या कोर्सेज हैं। इसके लिए मैंने एक टीम को काम पर लगा दिया है, जो पिछले 5 दिनों से इसी काम में लगी हुई है। 
सवाल : आरटीयू और  इसके अधीन कॉलेजों में कई पदाधिकारी एवं डीन लंबे समय से एक ही पद पर जमे हैं, क्या निकट भविष्य में कोई प्रशासनिक फेरबदल होने की संभावना है?
जवाब :  अभी इसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है, यदि ऐसा है तो दिखवा लेंगे। 
सवाल : विश्वविद्यालय में छात्रों के प्लेसमेंट प्रतिशत को बढ़ाने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
जवाब : हमारा मकसद बच्चों को इतना काबिल बनाना है कि कम्पनियों को उनकी जरूरत रहें न की हमें। स्टूडेंट्स की स्किल इतनी डवलप करनी है कि कम्पनियों को अच्छा चलना है तो उन्हें आरटीयू के बच्चे लेने ही होंगे। 
सवाल : चर्चा है, आरटीयू में जानबुझकर छात्रों को बैक दी जा रही है, ताकि विवि को फीस के रूप में राजस्व प्राप्त हो?
जवाब : ऐसा बिलकुल भी नहीं है। लेकिन, इस बात पर हमने चर्चा जरूर की है कि बच्चों के बैक क्यों आ रही है और हम क्या कर सकते हैं। यदि, कुछ कमियां होंगी तो उन्हें सुधारा जाएगा। 

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