खबर छपी तो अधिकारियों ने भ्रष्टाचार छिपाने को लगा दिए 2500 नए पौधे
नवज्योति का खुलासा : अतिरिक्त प्रधान मुख्य वनसंरक्षक की जांच तक प्लांटेशन में थे मात्र 150 पौधे
वर्ष 2022 से 31 जुलाई 2024 तक कागजों में 8-8 हजार पौधों को पिलाया जा रहा था पानी ।
कोटा। कोटा वनमंडल के लखावा प्लांटेशन-8 में पौधों के संधारण के नाम पर हुए भ्रष्टाचार का एक और सनसनीखेज खुलासा हुआ है। दैनिक नवज्योति में खबर छपने के बाद वन अधिकारियों की पोल खुली तो उन्होंने अपना भ्रष्टाचार छिपाने के लिए गत जुलाई के प्रथम सप्ताह में 2500 नए पौधे लगा दिए। जबकि, अतिरिक्त मुख्य प्रधान वनसंरक्षक केसी मीना के गत 27 मई को हुए निरीक्षण में यहां 150 पौधे भी नहीं मिले थे। ऐसे में उनकी रिपोर्ट पर सितम्बर माह में पी एंड एम गणना दल ने जांच की तो पूरे प्लांटेशन में 2300 पौधे ही मिले। जबकि, इससे पहले तक वन अधिकारी कागजों में 8-8 हजार पौधे बताकर पानी पिलाने, निराई-गुड़ाई व चौकीदारी के नाम पर लाखों के फर्जी बिल बनाकर भुगतान उठाते रहे।
पौधे लगाए, रिकॉर्ड में नहीं किया चार्ज
लखावा प्लांटेशन वर्ष 2021 का है। जिसका प्रथम वर्ष 2022 में शुरू हुआ था, तब यहां 8000 पौधे लगाए जाने थे। लेकिन, इतने पौधे कभी लगाए ही नहीं गए। लेकिन, वन अधिकारियों ने लाडपुरा रेंजरों से मिलीभगत कर साल-दर-साल 8-8 हजार पौधे कागजों में जीवित बताकर बिल उठाते रहे। गत 24 मई को नवज्योति ने खबर छाप भ्रष्टाचार उजागर किया तो 27 मई को अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक केसी मीणा जयपुर से कोटा पहुंच कर लखावा प्लांटेशन-8 का निरीक्षण किया। इस दौरान मौके पर 150 पौधे भी नहीं मिले। जब मामले की जांच खुली तो कोटा वनमंडल के अधिकारियों ने अपना भ्रष्टाचार छिपाने के लिए जुलाई के प्रथम सप्ताह में 2500 पौधे नए सिरे से लगवाकर बीजारोपण करवाया। जिसे रिकॉर्ड में चार्ज नहीं किया गया।
नवज्योति की खबर पर लगी सत्यता की मुहर
अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक केसी मीना ने अपनी जांच रिपोर्ट में दैनिक नवज्योति में गत 24 मई को प्रकाशित न पौधे न चौकीदार, किसकी सुरक्षा में खर्च किए लाखों रूपए...शीर्षक से छपी खबर के हर एक तथ्य को सही बताया। उन्होंने यहां कि जब मौके पर पौधे ही नहीं है तो 2 साल तक किसके संधारण के नाम पर लाखों रूपयों के बिल कैसे बना लिए गए। मीना ने चिंता जताई कि विभाग का इतना बड़ा सिस्टम होने के बाद भी कोई अधिकारी-कर्मचारी कार्य के नाम पर बजट का बेजा इस्तेमाल कैसे कर सकता है। यदि, नवज्योति खबर नहीं छापता तो इतनी बड़ी गड़बड़ी शायद कभी उजागर नहीं होती।
सरकारी धन का जमकर किया दुरुपयोग
एपीसीसीएफ की रिपोर्ट के अनुसार, लखावा प्लांटेशन-8 में वर्ष 2022 से 31 जुलाई 2024 तक कभी 8000, 7200, 6500, 6300 तो कभी 6800 पौधे लगाना, निराई-गुड़ाई, चौकीदारी, 5500 खड्ढ़े खोदना, दीवारों की मरम्मत, 5000 रनिंग मीटर वी-डिच खुदाई सहित अन्य कार्यों के बिल बिना कार्य किए ही उठा लिए। अधिकारियों का प्लांटेशन पर ध्यान देने के बजाए सिर्फ सरकारी धन का दुरूपयोग करने पर ही रहा। नतीजन, 3 साल में 150 पौधे भी पनप नहीं सके। जबकि, मेटिगेटिव मैजर्स में प्लांटेशन का एनएच-76 के सहारे हरितिमा पटटी विकसित करना उद्देश्य था, परन्तु यहां सिर्फ धन का ही दुरूपयोग ही हुआ है।
प्लांटेशन चारों तरफ से खाली, कहां पिलाया 8 हजार पौधों को पानी
अतिरिक्त मुख्य प्रधान वनसंरक्षक केसी मीना ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया कि बिलों में 5500 गड्ढ़े खोदे गए है। जबकि, वर्ष 2022 से ही 8000 पौधें लगाने से लेकर अनेकों बार पानी पिलाना, बार-बार निराई-गुड़ाई, सुरक्षा निगरानी के नाम पर बिल बनाकर भुगतान उठाया गया है। जबकि, निरीक्षण के वक्त पूरा क्षेत्र खाली पाया गया। यदि, 8 हजार पौधे होते तो 3 साल में यहां जंगल विकसित हो चुका होता। लेकिन, प्लांटेशन में चारों तरफ घूमने पर भी पौधे नजर नहीं आए। हालांकि, कुछ जगह मामूली निशान मिले हैं, जिन्हें देख ऐसा नहीं लगा कि यहां कोई गड्ढ़ा खोदकर पौधा लगाकर थांवला बनाया गया हो और उनकी निराई-गुड़ाई की गई हो। अत: प्लांटेशन के नाम पर घोर लापरवाही की गई है। मौके पर कार्य हुआ ही नहीं, मात्र औपचारिकता की गई है। अधिकांश भुगतान बिना कार्यों के ही उठाए गए हैं।
पी एंड एम गणना दल की जांच में यूं खुली भ्रष्टाचार की पोल
अतिरिक्त प्रधान मुख्य वनसंरक्षक केसी मीना की रिपोर्ट पर मूल्यांकन एवं प्रबोधन कोटा को प्लांटेशन का सर्वे कर पौधों की जांच सौंपी गई। इस पर पी-एंड-एम की 7 सदसीय टीम ने गत 30 सितम्बर से 4 अक्टूबर तक प्लांटेशन में पौधों की वास्तविक संख्या की जांच की तो यहां 2300 पौधे मिले। जिनकी ऊंचाई बमुश्किल 8 से 10 इंच थी। पीएंडएम की जांच रिपोर्ट में बताया गया कि यह प्लांटेशन पूरी तरह से फेल है और पूर्व में जो कार्य जिस मात्रा में करना बताया गया वह मौके पर गणना के समय नहीं पाया गया। यदि, जुलाई 2024 के प्रथम सप्ताह में बारिश के समय 2500 पौधे इस प्लांटेशन में नहीं लगाए जाते तो पीएंडएम गणना दल को मौके पर 2300 पौधें भी नहीं मिलते। इससे स्पष्ट है कि अतिरिक्त प्रधान मुख्य वनसंरक्षक केसी मीना के निरीक्षण तक यहां 150 पौधे भी नहीं थे।
पर्यावरण प्रेमी बोले- न केवल प्रकृति बल्कि सरकार के साथ भी धोखा
भ्रष्टाचार करने वालों से हो रिकवरी
पौधे लगाने के नाम पर जिन वन अधिकारियों ने भ्रष्टाचार किया है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही प्लांटेशन संधारण में अब तक जितनी राशि खर्च हुई है, उनकी रिकवरी इन संबंधित अधिकारियों से वसूली जानी चाहिए। वहीं, लखावा प्लांटेशन जैसे प्रदेश के अन्य प्लांटेशनों की जांच हो तो बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार उजागर होगा।
- बाबूलाल जाजू, प्रदेश प्रभारी, पीपुल फॉर एनीमल
एसीबी खुद संज्ञान लेकर दोषियों के खिलाफ करें कार्रवाई
वन मंडल कोटा में लोकसेवकों द्वारा भ्रष्टाचार किया जाना नई बात नहीं हैं। यह भ्रष्टाचार छिपाने के उद्देश्य से पारदर्शिता नियमों की पालना नहीं करते। जिम्मेदार लोकसेवकों द्वारा यहां असम्यक लाभ प्राप्त किया गया है। इनका यह कृत्य आपराधिक प्रवृति की श्रेणी में आता है, जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अन्तर्गत परिभाषित है। नियमानुसार यहां वन विभाग की जगह भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों को स्वत: ही संज्ञान लेकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। क्योंकि वन विभाग की जांच पक्षपातपूर्ण होगी।
- तपेश्वर सिंह भाटी, एडवोकेट एवं पर्यावरणविद्
जिम्मेदारों पर हो सख्त कार्रवाई
प्लांटेशन में भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों ने न प्रकृति बल्कि सरकार से भी विश्वासघात किया है। राजकोष से लाखों रुपयों का गबन कर पर्यावरण को क्षति पहुंचाने वाले संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। नियमानुसार प्लांटेशन फेल होने पर जिम्मेदार अधिकारियों से रिकवरी किए जाने का प्रावधान है।
- अजय दुबे, वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट, भोपाल
रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी
उच्चाधिकारियों को मामले की रिपोर्ट भेज दी है। मैं इसमें कमेंट्स नहीं कर सकता।
- रामकरण खैरवा, संभागीय वनसंरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक वन विभाग कोटा
डीएफओ ने नहीं दिया जवाब
मामले को लेकर नवज्योति ने कोटा डीएफओ को फोन कर पक्ष जानना चाहा लेकिन उन्होंने फोन अटैंड नहीं किया। इसके बाद उन्हें मैसेज किया गया लेकिन जवाब नहीं मिला।
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