आखिर विदेशी सैलानियों को क्यों नहीं आकर्षित कर पा रही कोटा नगरी

बड़े होटल्स, एयरपोर्ट और विदेशों में प्रचार की कमी बन रही बाधा

आखिर विदेशी सैलानियों को क्यों नहीं आकर्षित कर पा रही कोटा नगरी

जब तक सरकार डेस्टिनेशन को प्रमोट करने के लिए काम नहीं करेगी तब तक बेनिफिट नहीं होगा।

कोटा। कोटा शहर आज पर्यटन की दृष्टि से बहुत समृद्ध हैं। विदेशी पर्यटकों के आकर्षण के लिए कोटा शहर में वह सब कुछ है जो पूरे प्रदेश में कहीं नहीं हैं। लेकिन उसके बाद भी कोटा को देश विदेश में पर्यटन के मानचित्र पर उभारने के प्रयासों के लिए जो प्रयास किए जाने चाहिए वैसे अब तक नहीं किए गए। यहीं कारण है कि विदेशी पर्यटक कोटा के समीप बूंदी देखने तो आते हैं किन्तु कोटा नहीं आते। कुछ विदेशी पर्यटक अगर कोटा आते हैं तो वह निजी ट्रैवल कंपनियों व टूर ऑपरेटर्स की मेहनत का नतीजा है। कोटा में हवाईसेवा शुरू होने से भी पर्यटन को और भी बढ़ावा मिलेगा। कोटा में विदेशी पर्यटकों के  नहीं आने की क्या वजह है, इस बारे में टूर ऑपरेटर और स्थानीय पर्यटन विभाग से दैनिक नवज्योति ने बात की तो कई चीजें सामने आई, उनमें कोटा में एयरपोर्ट का नहीं होना भी बड़ी वजह है।

क्या कमी है
- होटल्स की वजह से डेस्टिनेशन प्रमोट होता है। हमारे यहां शुरू से होटल्स की कमी रही है। उस लेवल के होटल्स नहीं हैं जिससे फॉरेन टूरिस्ट को प्रमोट किया जा सकें। अतिथि देवो भव वाली बात हैं वह हमारे क्षेत्र में नहीं हैं। क किसी भी डेस्टीनेशन को टूर ऑपरेटर प्रमोट करता है। इसके लिए टूर ऑपरेटर्स, और  दिल्ली-मुंबई में ट्रेवल कंपनीयों को प्रमोट करना होता है। उन्हें वहां जाकर बताना होता है या बुलाना पड़ता है कि हमारे पास ये चीजें हैं। इसे देखो और  बताओ आपको क्या चाहिए । 
- ट्रैवल एजेन्ट  डेस्टीनेशन को शामिल करने में  इसलिए भी डरता हैं कि उन्हें पूरी इनवेन्ट्री चाहिए । एक होटल में 60 से लेकर 85 कमरे हो तो उसे डेस्टिनेशन शामिल करने में परेशानी नहीं होती हैं। बूंदी में यहां से बहुत ज्यादा कमरे होटल्स में है। हमारे यहां हेरीटेज प्रोपर्टी में कुल मिलाकर 55 से 60 कमरे निकलते है। 60 कमरों में क्या टूरिज्म चला पाएंगे। 
-  एयरपोर्ट आवश्यकता है। छोटे-छोटे गांवों में टूरिज्म डेस्टीनेशन पर एयरलाइंस है। कोटा बड़ा शहर है यहां रिक्वायरमेंट है।  एयरपोर्ट होगा तो कनेक्टिविटी बढ़ेगी । जब तक सरकार डेस्टिनेशन को प्रमोट करने के लिए काम नहीं करेगी तब तक बेनिफिट नहीं होगा।

टूर ऑपरेटर्स की-पर्सन
द रॉयल हाड़ौती ट्रैवल्स के नीरज भटनागर बताते है कि टूरिज्म फेयर आईटीबी(इंडियन ट्रेवल बाजार) यूरोप में लगता है। इसमें दिल्ली के टूर ऑपरेटर्स अपने-अपने पैकेजिस लेकर जाते है। उस पैकेज को यूरोप में क्लाइंट को सेल करते है। फिर उनके मार्फत विदेशी पर्यटक आते हैं। इस सिम्प्ल  प्रक्रिया को किसी ने भी नहीं किया । राजस्थान टूरिज्म ने भी नहीं किया है। हमारे पास महल हैं, नेचर है एक्टिविटी है। लेकिन इस प्रमोट नहीं कर पाए। 

कोरोना से पहले आते थे करीब 3500 विदेशी पर्यटक 
कोटा में जर्मनी के लोग ज्यादा आते है। कोविड के पहले करीब 3500 विदेशी पर्यटक हर सीजन ( सितंबर से मार्च ) में आते थे।  2019-20 तक भी यहीं था। अभी बिल्कुल कम है। अभी तो जो आ रहे ट्रांंजिट नाइट यानि एक नाइट के लिए  आ रहे है। 

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विदेशी पर्यटक को क्या पसंद आता है
कोटा साफ सुथरा शहर लगता है चौड़ी-चौड़ी सड़कें है। पुराना शहर  पुरानी सिटी, पुराना हेरीटेज विदेशी पर्यटकों को बहुत लुभाता है। चंबल की बोट सफारी ,कोटा गढ़ पैलेस की पेंटिंग पसंद की जा रही है। पर्यटक लोकल लोगों को शॉपिंग करते देखना पसंद करते है। कोटा में उन्हें यह सबसे अच्छा लगता है कि उन्हें कोई दुकानों में आने के लिए जबरन खींचता नहीं है। शॉपिंग, हेरीटेज, बिल्डिंग्स पारंपरिक खाना उन्हें ये सब कोटा में अच्छा लगता है।

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हमारे पास वह चीजें हैं जो पूरे राजस्थान में नहीं है।  चंबल में फ्लोरा-फॉना में वेरियस वेजीटेशन हैं अश्वगंधा, शखपुष्पी के पौधे  हैं जो कहीं भी नहीं मिलते। हाड़ौती में हर्बल खेती होती हैं। जो पूरे राजस्थान में नहीं होती है। एग्रो टूरिज्म,वाइल्ड लाइफ टूरिज्म, टाइगर रिजर्व  ब्लैक बग सेंचुरी सोरसन में, बर्ड वॉचिंग उम्मेदगंज एरिया मेंं  है।  वल्चर्स की एशिया की बिगेस्ट कॉलोनी है,क्रोकोडाइल सेंचुरी है,लेपर्ड्स  है। जरूरत है, पांच व सात सितारा होटल्स की जिनमें 80कमरे  हो, अच्छे हो जो सिर्फ लैजर टूरिज्म के लिए काम करते हो। अपने आप टूरिस्ट आ जाएंगें। एक सीजन में सभी टूर ऑपरेटर्स को बुलाकर प्रमोट किया जाए । 
- नीरज भटनागर, प्रोपराइटर द रॉयल हाड़ौती ट्रैवल्स एवं उपाध्यक्ष हाड़ौती ट्यूरिज्म डेवलपेंट सोसायटी, कोटा

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कोरोना के बाद विदेशी पर्यटकों की संख्या में कमी आई हैं। कोटा में विदेशी पर्यटक आइटीनरी वाइज आते हैं गढ़ पैलेस घूमकर, चंबल में बोटिंग करके निकल जाते हैं। यहां उदयपुर, अजमेर पुष्कर की तरह विदेशी टूरिस्ट नहीं घूमते।  कोटा की ऑक्युपेंसी में कमरे महंगी दर पर हैं यहां पहले से कॉरपोरेट क्लाइंट, एजुकेशन ट्यूरिज्म से हाइक रहती हैं । अब गेटवे हाड़ौती भी खुल रहा है। कनेक्टिविटी बढ़ने से आवाजाही बढ़ेगी। ग्रीन एयरपोर्ट तैयार हो जाएगा तो बहुत बड़ा रेवोल्यूशन आएंगा।
- संदीप श्रीवास्तव, सहायक निदेशक पर्यटन, कोटा

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