कहा जाता है कि संतान अपने फर्ज को छोड़ सकती है, लेकिन मां कभी भी अपनी संतान का बुरा नहीं देख सकती। वह अपनी जान की बाजी लगाकर भी बच्चों की रक्षा करती है।
मेडिकल कॉलेज कोटा में बुधवार को पहली बार किडनी ट्रांसप्लांट किया गया जो सफल रहा। एक मां ने अपने बेटे को किड़नी दी। कोटा के 16 डॉक्टरों की टीम ने करीब पांच घंटे से अधिक समय में किडनी ट्रांसप्लांट किया।
मनोहरथाना कस्बा निवासी नीलू परतानी को जब पता चला कि पति अमित की किडनी खराब है तो अपनी किडनी देकर पति जान की बचाई। पति का हौसला बढ़ाते हुए एवं स्वयं भी हौसला रखते हुए जिंदगी से हार नहीं मानी।