रूसी राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा से पहले 'ड्यूमा' ने सैन्य रसद समझौते को दी मंजूरी
भारत-रूस सैन्य सहयोग को मजबूती
रूसी ड्यूमा ने भारत-रूस रसद समर्थन समझौते को मंजूरी दी, जिससे सैन्य कर्मियों, जहाज़ों और विमानों की तैनाती एवं पारस्परिक उपयोग आसान होगा। फरवरी 2025 में हस्ताक्षरित यह समझौता संयुक्त अभ्यास, मानवीय मिशन और आपदा राहत को सुचारू करेगा। पुतिन की भारत यात्रा से पहले यह बड़ा रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
मास्को। रूसी संसद के निचले सदन 'ड्यूमा' ने मंगलवार को भारत के साथ एक प्रमुख अंतर-सरकारी समझौते को मंजूरी प्रदान की जिसमें एक-दूसरे के क्षेत्र में सैन्य कर्मियों के साथ-साथ सैन्य जहाजों एवं विमानों को भेजने की प्रक्रिया शामिल है। यह रसद समझौता 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए चार दिसंबर से शुरू हो रही राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नयी दिल्ली की राजकीय यात्रा से पहले रक्षा सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
फरवरी 2025 में भारतीय राजदूत विनय कुमार और तत्कालीन रूसी उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन द्वारा हस्ताक्षरित रसद समर्थन के पारस्परिक समझौते के माध्यम से दोनों देशों के बीच संयुक्त अभ्यास, प्रशिक्षण, मानवीय मिशन एवं आपदा राहत कार्यों के लिए सैन्य सुविधाओं, हवाई क्षेत्र एवं बंदरगाहों के पारस्परिक उपयोग की सुविधा प्राप्त होगी है। इससे आर्कटिक जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में भी परिचालन सुचारू हो सकेगा।
एजेंसी ने कहा कि, समझौते में, रूस की सैन्य इकाइयों, नौसैनिक जहाजों एवं सैन्य विमानों को भारतीय क्षेत्र में भेजने की प्रक्रियाओं पर रूसी सरकार एवं भारत सरकार के बीच समझौता और भारत की सैन्य इकाइयों, नौसैनिक जहाजों और सैन्य विमानों को रूसी क्षेत्र में भेजने और उनके पारस्परिक सैन्य समर्थन पर 18 फरवरी, 2025 को मास्को में हस्ताक्षरित समझौते की पुष्टि की जाएगी। एक विस्तृत नोट में इस बात पर बल दिया गया है कि, यह समझौता सैनिकों की तैनाती, नौसेना के जहाजों द्वारा बंदरगाहों पर आने-जाने तथा रूसी एवं भारतीय सैन्य विमानों द्वारा हवाई क्षेत्र और हवाई क्षेत्र अवसंरचना के उपयोग को सुविधाजनक बनाएगा।
दस्तावेजों में अभ्यास, प्रशिक्षण, मानवीय सहायता, आपदा राहत और अन्य संयुक्त गतिविधियों में दोनों देशों की सैन्य संरचनाओं, नौसैनिक जहाजों और सैन्य विमानों के लिए रसद सहायता की व्यवस्था की रूपरेखा भी तैयार की गई है। कैबिनेट ने इस बात पर बल दिया कि इस समझौते के माध्यम से हवाई क्षेत्र का पारस्परिक उपयोग आसान होगा और रूसी तथा भारतीय युद्धपोतों को एक-दूसरे के बंदरगाहों तक पहुंचने में आसानी होगी। कुल मिलाकर यह समझौता दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को काफ़ी मजबूत करेगा।

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