फ्रांसीसी प्रधानमंत्री ने किया पेंशन सुधार विधेयक के लिए संवैधानिक शक्ति का उपयोग
बोर्न ने देश के संविधान के अनुच्छेद के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल किया
बोर्न ने नेशनल असेंबली में कहा, हम अपनी पेंशन के भविष्य पर दांव नहीं लगा सकते हैं और यह सुधार आवश्यक है। मैं संसदीय लोकतंत्र में विश्वास करती हूं मैं अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार हूं।
पेरिस। फ्रांस की प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न ने पेंशन सुधार विधेयक को पारित करने के लिए अपनी संवैधानिक शक्ति का इस्तेमाल किया है।
बोर्न ने देश के संविधान के उस अनुच्छेद के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल किया जो विवादास्पद पेंशन सुधार विधेयक को बिना मतदान के नेशनल असेंबली में पारित करने की अनुमति प्रदान करता है।
पेंशन सुधार विधेयक के तहत २०२७ से सेवानिवृत्ति की आयु दो वर्ष बढ़कर ६४ होने लगेगी। इस विधेयक के समर्थन में कुल १९३ फ्रांसीसी सीनेटरों ने मतदान किया जबकि विरोध में ११४ वोट पड़े।
बोर्न ने नेशनल असेंबली में कहा, हम अपनी पेंशन के भविष्य पर दांव नहीं लगा सकते हैं और यह सुधार आवश्यक है। मैं संसदीय लोकतंत्र में विश्वास करती हूं मैं अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार हूं।
फ्रांसीसी संविधान के अनुच्छेद ४९ के पैराग्राफ तीन के अनुसार, प्रधानमंत्री अपने मंत्रिपरिषद के परामर्श से नेशनल असेंबली में बिना मतदान के किसी विधेयक को लागू कर सकता है। नेशनल असेंबली अगर इस पर वीटो करना चाहे तो उसके पास एकमात्र विकल्प सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कराना है।
प्रधानमंत्री बोर्न की घोषणा के कुछ घंटों बाद ही, फ्रांस की प्रमुख यूनियनों ने देश के कामकाजी लोगों को 23 मार्च को ९वीं सामान्य लामबंदी में शामिल होने का आह्वान किया।
सरकार द्वारा इस अनुच्छेद का उपयोग करने के खिलाफ पेरिस के कॉनकॉर्ड स्क्वायर में लगभग ६,००० लोगों ने प्रदर्शन किया जिसमें उनकी सुरक्षा बलों से झड़प हुई और ३८ लोगों की गिरफ्तारी हुई।
बोर्न ने जनवरी में पेंशन सुधार योजना का ब्योरा दिया था, जिसके अंतर्गत २०३० तक सेवानिवृत्ति की उम्र तीन-तीन माह बढ़कर ६२ से ६४ हो जाएगी और एक गारंटीकृत न्यूनतम पेंशन दिया जाएगा। योजना के अंतर्गत, २०२७ तक पूर्ण पेंशन प्राप्त करने के लिए कम से कम ४३ वर्ष की सेवा आवश्यक होगी।

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