रूसी जिरकॉन की तूफानी रफ्तार से लैस होगी भारत की ब्रह्मोस-2 मिसाइल

2027 में हो सकता है ब्रह्मोस-2 का पहला परीक्षण

रूसी जिरकॉन की तूफानी रफ्तार से लैस होगी भारत की ब्रह्मोस-2 मिसाइल

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके रूसी समकक्ष निकोलाई पत्रुशेव ने पिछले हफ्ते अपनी बैठक के दौरान ब्रह्मोस-2 के हाइपरसोनिक वेरिएंट के साझा डवलपमेंट की संभावनाओं पर चर्चा की।

मॉस्को। भारत और रूस ब्रह्मोस मिसाइल के हाइपरसोनिक वर्जन पर काम कर रहे हैं। इसे ब्रह्मोस-2 का नाम दिया गया है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके रूसी समकक्ष निकोलाई पत्रुशेव ने पिछले हफ्ते अपनी बैठक के दौरान ब्रह्मोस-2 के हाइपरसोनिक वेरिएंट के साझा डवलपमेंट की संभावनाओं पर चर्चा की। शंघाई सहयोग संगठन के एनएसए स्तर की बैठक से इतर दोनों देशों के एनएसए की मुलाकात के दौरान रूस से रक्षा आपूर्ति और रक्षा क्षेत्र में सहयोग पर बातचीत हुई। रूस हाइपरसोनिक मिसाइलों के डवलपमेंट में अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों से आगे है। इसे आधुनिक युद्ध में गेम-चेंजर हथियार माना जाता है। ब्रह्मोस-2 नाम की इस मिसाइल को बनाने में दुनिया की सबसे तेज गति से चलने वाली मिसाइल जिरकॉन की तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। जिरकॉन दुनिया की सबसे तेज गति से चलने वाली हाइपरसोनिक मिसाइल है। जिरकॉन मिसाइल की गति 11000 किलोमीटर प्रति घंटा है और रेंज 1000 किलोमीटर तक की है। जिरकॉन को पनडुब्बी, युद्धपोत और जमीन पर मौजूद लॉन्च प्लेटफॉर्म से फायर किया जा सकता है। वहीं, वर्तमान में ब्रह्मोस दुनिया की एकमात्र ऐसी मिसाइल है जिसे जमीन, हवा, पानी और पनडुब्बी जैसे चार प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है। इस मिसाइल को भारत और रूस ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। ब्रह्मोस मिसाइल की वेरिएंट्स की रेंज 300 से 700 किलोमीटर के बीच है।

रूसी समाचार एजेंसी तास के अनुसार, ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीईओ अतुल राणे ने बताया था कि ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के हाइपरसोनिक वेरिएंट ब्रह्मोस-2 का डवलपमेंट अडवांस स्टेज में है। इस वेरिएंट में रूस की जिरकॉन मिसाइल की तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने बताया था कि ब्रह्मोस-2 की पहली उड़ान 2027 या 2028 में आयोजित की जा सकती है। ब्रह्मोस-2 को रूस की रिसर्च एंड प्रोडक्शन एसोसिएशन आफ मशीन-बिल्डिंग    और भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन एक साथ मिलकर डेवलप कर रहे हैं।

मिसाइल की डिजाइन पर पहले से ही हो रहा है काम
ब्रह्मोस के सीईओ अतुल राणे ने बताया कि दोनों पक्ष ब्रह्मोस-2 के डिजाइन पर पहले से ही काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जैसे ही रूस से हमें जिरकॉन मिसाइल की तकनीक मिलेगी, हम इसे डेवलप करना शुरू कर देंगे। हमने पहले ब्रह्मोस-2 के परीक्षण को 2021 के लिए प्लान किया था, लेकिन कुछ दिक्कतों के बाद इसे 2024 के लिए निर्धारिक किया। अब लगता है कि 2027 में ही ब्रह्मोस-2 का परीक्षण किया जा सकता है। उन्होंने खुद बताया कि ब्रह्मोस-2 में जिरकॉन मिसाइल की कई विशेषताएं शामिल होंगी। हालांकि, यह रूस पर निर्भर करता है कि जिरकॉन की कौन सी तकनीक को वह प्रदान करेगा।

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