इजरायल से युद्ध में उलझे हमास के सामने गहराया वित्तीय संकट गाजा में लड़ाकों का वेतन रोका, नेतन्याहू की चाल सफल
युद्ध विराम के बाद मिली बड़ी रकम
इजरायल के साथ बीते डेढ़ साल से जंग में उलझा फिलिस्तीनी गुट हमास वित्तीय संकट का सामना कर रहा है।
गाजा। इजरायल के साथ बीते डेढ़ साल से जंग में उलझा फिलिस्तीनी गुट हमास वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। हमास की आर्थिक हालत ऐसी हो चुकी है कि उसके पास अपने कर्मचारियों को देने के लिए भी फंड नहीं बचा है। गाजा पट्टी में जंग से हुई भारी तबाही और इजरायल की बेंजामिन नेतन्याहू सरकार ओर से गाजा पट्टी में मानवीय सहायता रोक देने की वजह से हमास का संकट बढ़ा है। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अरब खुफिया अधिकारियों के हवाले से मिली जानकारी के आधार पर अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, अरब खुफिया अधिकारियों का कहना है कि खासतौर से इजरायल के गाजा पट्टी की मानवीय सहायता बंद करने से हमास की यह हालत हुई है। हमास इस सहायता का इस्तेमाल अपनी कमाई के लिए करता था। हमास व्यापारियों पर टैक्स लगाता था और विदेशी मुद्रा का इस्तेमाल करके मानवीय मदद खरीदता था। इस मदद को वह गाजा में बेचकर मुनाफा कमाता था।
2007 से गाजा पर कर रहा है शासन : फिलिस्तीनी गुट हमास 2007 से गाजा पट्टी को नियंत्रित कर रहा है। फिलिस्तीनी चुनाव जीतने और प्रतिद्वंद्वियों को हिंसक तरीके से हटाने के बाद हमास ने 2007 में गाजा पट्टी पर पूरी तरह से नियंत्रण हासिल किया था। हमास ने अक्टूबर, 2007 में इजरायल पर एक बड़ा हमला भी किया था। इस हमले के बाद इजरायली सेना गाजा में बमबारी कर रही है।
युद्ध विराम के बाद मिली बड़ी रकम :
इस साल जनवरी में हुए युद्धविराम और बंधक समझौते के बाद मानवीय सहायता बढ़ी थी, जिससे हमास को अच्छी खासी रकम मिली। इसके बाद मार्च में इजरायल ने गाजा में सहायता भेजना बंद कर दिया, जिससे यह सिलसिला रुक गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि इजरायल के साथ युद्ध से पहले कतर से हमास को हर महीने 1.5 करोड़ डॉलर मिल रहे थे। इसके अलावा कई देशों, खासकर तुर्की से उसने 50 करोड़ डॉलर जुटाए थे। हमास ने वित्तीय संकट बढ़ने के बाद गाजा में कई सरकारी कर्मचारियों का वेतन आधा कर दिया गया है। हमास ने अपने लड़ाकों के वेतन में भी कमी कर दी है। इस बीच इजरायली रक्षा मंत्री ने कहा है कि गाजा पट्टी में मानवीय सहायता फिर से शुरू की जा सकती है। हालांकि उन्होंने साफ किया कि ऐसा निजी कंपनियों के जरिए किया जाएगा, ताकि हमास को बाईपास किया जा सके।

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