तेल एक्सपोर्ट में गिरावट : रूस को एक महीने में 32 हजार करोड़ का नुकसान, खरीददार कम कर रहे तेल खरीदना
कमाई भी कम हो गई
निर्यात में गिरावट के साथ-साथ यूराल क्रूड की कीमतें भी गिरीं। यह 8.2 डॉलर प्रति बैरल घटकर 43.52 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई। एक बैरल में लगभग 159 लीटर तेल होता है।
मॉस्को। रूस के तेल निर्यात में नवंबर में भारी गिरावट आई है। यह यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से सबसे निचला स्तर है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि खरीदार रूस से तेल खरीदना कम कर रहे हैं। अमेरिका के कड़े प्रतिबंधों और यूक्रेन के बढ़ते हमलों का भी इस पर असर पड़ा है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी ने अपनी नई रिपोर्ट में बताया है कि नवंबर में रूस के तेल निर्यात में 420 किलो बैरल प्रति दिन (केबी/डी) की कमी आई। इससे कुल निर्यात घटकर 6.9 मिलियन बैरल प्रतिदिन (एमबी/डी) रह गया। निर्यात की मात्रा में कमी और कीमतों में गिरावट के कारण रूस की तेल से होने वाली कमाई भी कम हो गई। नवंबर में यह कमाई 11 अरब डॉलर रही, जो पिछले साल इसी महीने की तुलना में 3.6 अरब डॉलर कम है। आईईए ने यह भी कहा कि निर्यात की मात्रा और कीमतें दोनों गिरी हैं। इससे रूस की तेल निर्यात से होने वाली कमाई फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से सबसे कम हो गई है।
यूराल क्रूड की कीमतों में भारी गिरावट
निर्यात में गिरावट के साथ-साथ यूराल क्रूड की कीमतें भी गिरीं। यह 8.2 डॉलर प्रति बैरल घटकर 43.52 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई। एक बैरल में लगभग 159 लीटर तेल होता है। यह फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से सबसे निचला स्तर है। आईईए के अनुसार, इस गिरावट के कारण रूस की निर्यात से होने वाली कमाई युद्ध शुरू होने के बाद से किसी भी महीने में सबसे कम रही।
शैडो फ्लीट पर भी दिखाई दिया असर
आईईए ने बताया कि यूक्रेन ने रूस के उन जहाजों पर हमले किए जो प्रतिबंधों को तोड़कर तेल ले जाते थे। इन्हें शैडो फ्लीट कहा जाता है। इसके अलावा, समुद्री तेल सुविधाओं पर भी हमले हुए। इन हमलों के कारण नवंबर में काला सागर से होने वाले रूस के समुद्री तेल निर्यात का लगभग आधा हिस्सा रुक गया।
रूस की तेल रिफाइनरियों पर हमले
रूस पर शिपमेंट और कीमतों के मामले में यह दबाव तब पड़ रहा है जब वह धीमी आर्थिक वृद्धि, प्रतिबंधों के संचित प्रभाव और यूक्रेन के उसके ऊर्जा ढांचे पर हमलों से जूझ रहा है। गर्मियों और शुरूआती शरद ऋतु में यूक्रेन ने रूस की तेल रिफाइनरियों पर हमले तेज कर दिए थे। इससे देश के अंदर पेट्रोल की कीमतें बढ़ गईं और कुछ रूसी क्षेत्रों को ईंधन की राशनिंग करनी पड़ी।

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