दुनिया में धीरे-धीरे बढ़ रहा है हिजाब पर प्रतिबंध का दायरा, यूरोप सहित कई देशों में सार्वजनिक स्थानों से लेकर शिक्षण संस्थानों तक में रोक
संसद में फरवरी 2026 में पेश होगा प्रस्ताव
डेनमार्क सरकार ने बुर्का और निकाब पर प्रतिबंध को स्कूलों व विश्वविद्यालयों तक बढ़ाने का ऐलान किया है। आप्रवासन मंत्री रासमस स्टॉकलंड के अनुसार, चेहरा ढकने वाले परिधान शैक्षणिक माहौल के अनुकूल नहीं हैं। प्रस्ताव फरवरी 2026 में संसद में आएगा।
जयपुर। डेनमार्क सरकार ने ऐलान किया है कि वह बुर्का और निकाब (पूरे चेहरे को छुपाने वाले इस्लामी आवरण) पर पहले से लागू प्रतिबंध को अब स्कूलों और विश्वविद्यालयों तक भी बढ़ाना चाहती है। इस बात की घोषणा डेनमार्क के आप्रवासन और समावेशन मंत्री रासमस स्टॉकलंड ने की, जिन्होंने कहा, बुर्का, निकाब या अन्य किसी ऐसे परिधान का शैक्षणिक वातावरण में कोई स्थान नहीं होना चाहिए जो लोगों के चेहरे को छुपाता हो। यह प्रस्ताव संसद में फरवरी 2026में पेश किया जाएगा। डेनमार्क में पहले से ही 1 अगस्त 2018 से सार्वजनिक स्थानों पर पूरे चेहरे को ढकने वाले परिधानों पर प्रतिबंध लागू है, जिसके तहत उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाया जाता है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि यह कानून व्यापक रूप से लागू नहीं होता क्योंकि बुर्का/निकाब पहनने वाली महिलाओं की संख्या कम है।
अब तक कितने देशों में बुर्का/चेहरा ढकने वाले परिधानों पर प्रतिबंध
पूरे दुनिया भर में कई देश ऐसे हैं जिन्होंने बुर्का, निकाब या चेहरे को ढकने वाले परिधानों पर पूरी तरह या आंशिक रूप से प्रतिबंध लगा रखा है। इनमें से अधिकतर यूरोपीय देश हैं, जबकि कुछ अन्य देशों में भी ऐसे नियम हैं।
प्रमुख देश जहां प्रतिबंध लागू है
फ्रांस : 2011 में सार्वजनिक स्थानों पर पूरा चेहरा ढकने वाले परिधानों पर प्रतिबंध लगाया गया था।
बेल्जियम : सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का/निकाब बैन।
बुल्गारिया : पूरे चेहरे को ढकने वाले परिधान पर प्रतिबंध।
डेनमार्क : 2018 से सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिबंध, अब स्कूल/विश्वविद्यालय भी शामिल।
ऑस्ट्रिया : कुछ जगहों पर हेडस्कार्फ और बालों ढकने पर प्रतिबंध के साथ नया कानून।
नीदरलैंड : सार्वजनिक स्थानों और परिवहन में प्रतिबंध।
स्विट्जरलैंड : 1 जनवरी 2025 से बैन लागू।
जर्मनी : कुछ राज्यों में प्रतिबंध।
इटली : कुछ स्थानीय अधिकार क्षेत्र में प्रतिबंध।
स्पेन (कैटलोनिया) : कुछ क्षेत्रों में बैन।
लक्समबर्ग : पूर्णतया बैन।
नॉर्वे : नर्सरी, स्कूल और यूनिवर्सिटी में प्रतिबंध।
कोसोवो : सार्वजनिक स्कूलों में बैन।
बोस्निया और हजेर्गोविना : न्यायिक संस्थानों में प्रतिबंध।
यूरोप के बाहर कहां-कहां बुर्का/नकाब पर प्रतिबंध
यूरोप (ईयू से बाहर)
ब्रिटेन : राष्ट्रीय बैन नहीं, लेकिन स्कूलों, अदालतों व कार्यस्थलों में स्थानीय नियम
रूस : राष्ट्रीय स्तर पर बैन नहीं, कुछ क्षेत्रों/स्कूलों में प्रतिबंध
एशिया
चीन (शिनजियांग) : बुर्का, निकाब और धार्मिक प्रतीकों पर सख्त प्रतिबंध
श्रीलंका : 2019 आतंकी हमलों के बाद सुरक्षा कारणों से चेहरा ढकने पर रोक
ताजिकिस्तान : सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का/विदेशी परिधान बैन
उज्बेकिस्तान : आंशिक प्रतिबंध, सार्वजनिक स्थलों पर नियंत्रण
अफ्रीका
चाड : आतंकी घटनाओं के बाद बुर्का पर प्रतिबंध
कांगो : सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने पर रोक
गैबॉन : सुरक्षा कारणों से बुर्का/निकाब बैन
मध्य-पूर्व
तुर्की : पहले सरकारी संस्थानों में बैन था, अब अधिकांश प्रतिबंध हटाए गए।
विवाद और बहस
बुर्का और निकाब पर प्रतिबंध का मुद्दा गहन विवाद में रहा है। समर्थक इसका तर्क देते हैं कि यह समाजिक एकीकरण और पहचान की स्पष्टता के लिए जरूरी है, जबकि आलोचक इसे धार्मिक स्वतंत्रता और महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन मानते हैं। मानवाधिकार समूहों का मानना है कि यह कानून धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा दे सकता है। डेनमार्क सरकार भी यह साफ कर चुकी है कि यह कानून धर्म की आजादी को खत्म नहीं करता, बल्कि उसका मकसद लोकतंत्र और समाज में खुलापन बनाए रखना है।

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