चीन का संदेश
चीन ने नया सीमा कानून बनाकर संदेश दे दिया है कि सीमाओं पर उत्पन्न विवादों को वह स्वीकार नहीं करता।
चीन ने नया सीमा कानून बनाकर संदेश दे दिया है कि सीमाओं पर उत्पन्न विवादों को वह स्वीकार नहीं करता। जहां-जहां सीमाओं पर वह काबिज है, उसी का हिस्सा है। यह कानून 1 जनवरी 2022 से लागू होगा। इस कानून के तहत चीन की सेनाओं को गश्त करने व निर्माण कार्य करने का अधिकार चीन का मकसद कोई छिपी बात नहीं है। वह पहले से ही पड़ोसी देशों की जमीनों पर दादागीरी से कब्जा करता चला आ रहा है। लेकिन यह कानून एक ऐसे वक्त में लाया गया है जब भारत के साथ उसका सीमा विवाद चल रहा है। पूर्वी लद्दाख में उसने भारतीय सीमा के कुछ केन्द्रों पर कब्जा कर रखा है और पक्के निर्माण भी। दोनों देशों के बीच में काफी तनाव है। इसके साथ ही चीन ने सैन्य स्तर की वार्ताओं का क्रम भी जारी रखा हुआ है, जो उसकी गहरी चाल का हिस्सा है। लद्दाख के अलावा चीन ने अरुणाचल प्रदेश व सिक्किम सीमा पर भी सैन्य गतिविधियां बढ़ा रखी हैं और निर्माण कार्य भी कर रहा है। उसके भविष्य के इरादे क्या हैं, इसके बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। फिर दोनों देशों के बीच दशकों पुराना सीमा विवाद भी चल रहा है, जिनको निपटाने के लिए चीन कतई गंभीर नहीं है। अब तो उसने सीमा संबंधी कानून बनाकर अपनी दुराग्र्रहिता व शत्रुता के आचरण से अवगत करा दिया है। भारत के साथ उसके सीमा विवादों को लेकर अक्सर तनाव बना रहता है। चीन दावा कर रहा है कि उसने अपनी सीमा से लगते बारह देशों के साथ तो सीमा विवादों का समाधान निकाल लिया है। ऐसे में अब भारत और भूटान ही बचे हैं। इसमें भारत के साथ सीमा विवाद काफी पेचीदा और जटिल है। समय-समय पर होने वाले विवादों व तनाव ने इसे ज्यादा बिगाड़ दिया है। ऐसे में चीन अपने भूमि कानून का इस्तेमाल कब और कैसे करेगा। इसमें कोई संदेह भी नहीं होना चाहिए। हर देश को अपनी क्षेत्रीय अखण्डता, संप्रभुता व सीमा की सुरक्षा का अधिकार है और उसे कानून बनाने का भी, लेकिन चीन का नया कानून कुछ नए संकेत भी देता नजर आता है। नए कानून में चीन ने सबसे ज्यादा जोर सीमाओं पर निर्माण, बसावट व आबादी के साथ सम्पर्क आदि बना दिया है। इसमें सीमा की रक्षा पर भी जोर है। यह भी साफ कहा है कि जिस जमीन पर उसका कब्जा है, वह उसकी ही मानी जाएगी। यानी दूसरे देशों की कब्जाई जमीन को चीन नहीं छोड़ेगा। चीन पहले से ही करता चला आ रहा है अब वह कानून की आड़ में और अड़ियल रुख अपनाएगा और संघर्ष की धमकी देगा। चीन का नया कानून एक तरफा होते हुए भी भारत के लिए काफी चुनौती भरा है।
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