विश्व स्ट्रोक दिवस आज :देश में हर साल 18 लाख से ज्यादा नए मरीज, समय पर इलाज नहीं तो मरीज हो जाता है लकवाग्रस्त

विश्व स्ट्रोक दिवस आज :देश में हर साल 18 लाख से ज्यादा नए मरीज, समय पर इलाज नहीं तो मरीज हो जाता है लकवाग्रस्त

युवाओं में बढ़े स्ट्रोक के मामले, राज्य में रोजाना 400 शिकार

 जयपुर। युवाओं में स्ट्रोक (लकवे) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। देश में हर साल 18 लाख से ज्यादा ब्रेन स्ट्रोक के नए मरीज आते हैं। अकेले राजस्थान में प्रतिदिन लगभग 400 मरीज अस्पतालों में स्ट्रोक का इलाज कराने आ रहे हैं। स्ट्रोक के बाद ब्रेन की प्रति मिनट 20 लाख कोशिकाएं मरने लगती हैं। शुरुआती कुछ घंटो के भीतर इलाज नहीं किया जाए तो मरीज हमेशा के लिए लकवाग्रस्त हो सकता है।


ये हैं लक्षण
    चेहरा टेढ़ा हो जाना।
    हाथों-पैरों में सूनापन या कंपन होना।
    आवाज बदलाना।
    शरीर के एक हिस्से में कमजोरी के साथ ताकत कम हो जाना आदि।

ऐसे करें बचाव
    रक्तचाप को नियंत्रण में रखना।
    तंबाकू और सिगरेट का सेवन न करना।
    शारीरिक व्यायाम, योगा सहित पौष्टिक आहार और खानपान पर संयम बरतें।

सर्दियों में बढ़ते है स्ट्रोक के मामले, कोरोना से रिकवर लोगों में खतरा ज्यादा
सर्दियों में स्ट्रोक होने की संभावना बढ़ जाती है। रक्त वाहिकाएं सिकुड़ने लगती हैं। दिमाग में कम मात्रा में आॅक्सीजन सप्लाई का भी खतरा होता है। यदि कोई व्यक्ति पहले से ही डायबिटीज या बीपी से पीड़ित हो या उसकी रक्त वाहिकाओं में पहले से ही वसा का जमाव हो तो मुमकिन है कि उनमें पहले से कोई जमा क्लॉट स्ट्रोक में तब्दील हो जाए।
-डॉ. पृथ्वी गिरि, न्यूरोलॉजिस्ट, नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल जयपुर

गलत और अनुचित खानपान की आदत, जीवनशैली में बदलाव और शारीरिक निष्क्रियता के कारण आज युवाओं में भी स्ट्रोक के मामले बढ़ने लगे हैं। शुरूआती लक्षणों में ही विशेषज्ञ डॉक्टर्स से परामर्श और उपचार से कई हद तक बीमारी पर काबू पाया जा सकता है और स्ट्रोक की गंभीरता पर उपचार के लिए ऑपरेशन या सर्जरी की जा सकती है।
-डॉ. एसपी पाटीदार न्यूरोलॉजिस्ट और डॉ. पंकज सिंह न्यूरो सर्जन

कोविड संक्रमण में थ्रोम्बोसिस यानी खून जमने का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए स्ट्रोक व अन्य न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। पोस्ट कोविड रिकवरी के दौरान किसी भी मामूली लक्षण को नजरअंदाज न करें।
-डॉ. केके बंसल, सीनियर न्यूरो सर्जन, नारायणा अस्पताल

स्ट्रोक बहुत गंभीर बीमारी है। दुनिया में होने वाली मौतों में स्ट्रोक दूसरा प्रमुख कारण है जबकि विकलांगता होने के मामलों में स्ट्रोक तीसरा प्रमुख कारण है। बचाव के लिए रक्तचाप को नियंत्रण में रखना जरूरी है। नियमित योगा करना चाहिए।
-डॉ. सोमदेव बंसल, न्यूरो सर्जन

रिस्क फेक्टर का मैनेजमेंट करके स्ट्रोक की दर को कम किया जा सकता है। स्ट्रोक मस्तिष्क के एक हिस्से में होने वाली वह क्षति है जो रक्त प्रवाह में रुकावट के कारण होता है। स्टोक से चेहरा टेढ़ा हो जाता है।
-डॉ. श्रवण कुमार चौधरी,  कंसल्टेंट न्यूरोलॉजी, मणिपाल हॉस्पिटल

 

Post Comment

Comment List

Latest News