अस्पतालों में ड़ेंगू मरीजो की भीड़, बैड फुल
एसएमएस, जेकेलोन, कांविटया सहित जयपुर के सभी अस्पतालों में मरीजों का हाउसफुल : निजी अस्पतालों में भी काफी संख्या में पहुंच रहे मरीज
जयपुर। कोरोना पर लगाम के बाद अब डेंगू का डंक मरीजों को पीड़ा पहुंचा रहा है। अब डेंगू, चिकनगुनिया और मौसमी बीमारियों के मरीजों के लिए सरकारी और निजी अस्पतालों में नो बैड्स की स्थिति है। चिकित्सा विभाग के लचर सिस्टम के कारण प्रदेश में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया ने कहर मचा रखा है और इसका सबसे ज्यादा असर राजधानी में देखने को मिल रहा है।
एसएमएस मेडिसिन की सभी यूनिट फुल, जेकेलोन में हाल खराब:
एसएमएस हॉस्पिटल में इन दिनों मौसमी बीमारियों के कारण ओपीडी 12 से 13 हजार प्रतिदिन है। जनरल मेडिसिन की 10 यूनिट हैं, जो डेंगू, मलेरिया, वायरल बुखार जैसी मौसमी बीमारियों के कारण सभी वार्ड्स फुल हैं। मरीज वार्डों के बाहर जमीन पर लेटकर इलाज ले रहे हैं। यही हाल जेकेलोन अस्पताल का भी है, यहां एक हजार बैड क्षमता है, लेकिन सभी फुल हैं। गलियारों तक में बैड्स लगा दिए हैं, लेकिन मरीजों के अनुपात में इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। आईसीयू में भी जगह नहीं बची हैं। ऐसे में कम गंभीर बच्चों को सेठी कॉलोनी स्थित अस्पताल में भेजा जा रहा है। इसके अलावा शहर के शास्त्री नगर स्थित कांवटिया, जयपुरिया, गणगौरी सहित अन्य सरकारी और निजी अस्पतालों में भी बैड्स फुल होने की स्थिति है।
ये है स्थिति:
मरीजों की बात करें तो सरकारी और निजी अस्पतालों में ही अब तक करीब पांच हजार मरीज डेंगू के सामने आ चुके हैं, जिन्हें सरकारी आंकड़ों में दर्ज ही नहीं किया है। साथ ही 2 दर्जन से ज्यादा मौतें भी जयपुर में हो चुकी हैं। जबकि सरकारी आंकड़ों में डेंगू के मरीज आधे भी नही है। विशेषज्ञों की मानें तो आंकड़ों में यह हेरफेर इसलिए हो रहा है, क्योंकि चिकित्सा विभाग केवल एलाइजा टेस्ट को ही अधिकृत मानता है और कार्ड टेस्ट में पॉजिटिव आने वाले मरीजों को आंकड़ों में शामिल नहीं किया जाता है। ऐसे में कार्ड टेस्ट और डेंगू जैसे लक्षण वाले मरीजों की गिनती ही नहीं की जाती।
इनका कहना है:
-केस बढ़ रहे है, लेकिन डेंगू पर काबू के लिए शहर में एंटीलार्वा एक्टिविटी करवा रहे हैं। सभी तरह के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। -डॉ. नरोत्तम शर्मा, सीएमएचओ, जयपुर।
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