मोदी ने डिजीटल तकनीक में क्रांति में लोकतांत्रिक मूल्यों की अनिवार्यता पर दिया बल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया में डिजीटल तकनीक में हो रही क्रांति में लोकतांत्रिक मूल्यों की अनिवार्यता पर बल दिया।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया में डिजीटल तकनीक में हो रही क्रांति में लोकतांत्रिक मूल्यों की अनिवार्यता पर बल दिया। मोदी ने कहा कि भारत में डिजीटलीकरण के माध्यम से शासन, समावेशन, सशक्तीकरण, कनेक्टिविटी एवं लाभों के हस्तांतरण एवं कल्याणकारी पहल में बदलाव आ रहे है। मोदी ने प्रथम सिडनी डॉयलॉग में मुख्य वक्तव्य में साइबर विश्व के विषय पर आगाह किया कि भविष्य की तकनीक को लेकर दुनिया के लोकतांत्रिक देशों को मानवीय मूल्यों का ध्यान रखना होगा और तकनीक के दुरुपयोग की संभावना से युवाओं को सुरक्षित रखना होगा। उन्होंने कहा कि सिडनी डॉयलॉग में उन्हें निमंत्रित करना ना केवल भारत के लिए सम्मान की बात है, बल्कि यह हिन्द प्रशांत क्षेत्र तथा डिजीटल तकनीक में भारत की केन्द्रीय भूमिका को मान्यता देना है। उन्होंने कहा कि डिजीटल में हर कुछ बदल रहा है। इसने राजनीति, अर्थव्यवस्था एवं समाज को पुनर्परिभाषित किया है तथा संप्रभुता, शासन, नैतिकता, कानून, अधिकारों एवं सुरक्षा को लेकर नये सवाल किए है। इससे अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पद्र्धा, शक्ति एवं नेतृत्व को भी आकार दिया है।
प्रधानमंत्री ने भारत में डिजीटल तकनीक के कारण पांच महत्वपूर्ण बदलावों का उल्लेख करते हुए कहा कि सर्वाधिक विस्तृत जनसूचना अवसंरचना बना रहे हैं। 1.3 अरब भारतीयों के पास एक डिजीटल पहचान है। हम छह लाख गांवों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने वाले है। दूसरा डिजीटल तकनीक के माध्यम से शासन, समावेशन, सशक्तीकरण, कनेक्टिविटी तथा लाभों एवं कल्याणकारी पहल के हस्तांतरण से लोगों के जीवन में परिवर्तन ला रहे हैं। तीसरा-भारत में विश्व का तीसरा सबसे तेजी से बढ़ता स्टार्ट अप ईको सिस्टम है। यूनीकॉन्र्स आ रहे हैं और वह स्वास्थ्य एवं शिक्षा से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा तक हर क्षेत्र में समाधान मुहैया करा रहे हैं। चौथा - भारत का उद्योग एवं सेवा क्षेत्रों खासकर कृषि क्षेत्र में बहुत व्यापक बदलाव हो रहे हैं। हम स्वच्छ ऊर्जा, संसाधनों एवं जैवविविधता के संरक्षण में डिजीटल तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। पांचवा-भारत को भविष्य के लिए तैयार करने के वास्ते बहुत बड़े स्तर पर प्रयास चल रहे हैं। हम 5जी एवं 6जी जैसी टेलीकॉम तकनीक में स्वदेशी क्षमता विकसित करने के लिए निवेश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) एवं मशीन से सीखने के क्षेत्र में काम करने वाले अग्रणी देशों में से एक है, जो एआई का मानव केन्द्रित एवं नैतिक उपयोग पर काम कर रहा है। क्लाउड प्लेटफॉम्र्स एवं कम्प्यूटिंग में मजबूत क्षमताओं को विकसित कर रहे है। यही हमारी डिजीटल संप्रभुता एवं टिकाऊ बने रहने का मंत्र है। हम क्वांटम कम्प्यूटिंग में क्षमताएं विकसित कर रहे हैं। अंतरिक्ष कार्यक्रम हमारी अर्थव्यवस्था एवं सुरक्षा का एक भाग है। इस क्षेत्र को निजी निवेश एवं नवान्वेषण के लिए मुक्त कर दिया गया है।
मोदी ने कहा कि भारत पहले से ही कारपोरेट को साइबर सुरक्षा समाधान एवं सेवाएं देने का प्रमुख केन्द्र है। हमने भारत को साइबर सुरक्षा के लिए एक वैश्विक हब बनाने के लिए हमारे उद्योगों के साथ एक कार्यबल गठित किया है। तकनीक का महत्वपूर्ण उत्पाद डाटा है। भारत में डाटा संरक्षण, निजत एवं सुरक्षा के लिए एक फ्रेमवर्क तैयार किया है। इसी समय हम डाटा का उपयोग लोगों के सशक्तीकरण के लिए कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत को ये सब एक लोकतांत्रिक फ्रेमवर्क में करने का एक अतुलनीय अनुभव है, जिसमें व्यक्तिगत अधिकारों की पूरी गारंटी है। मोदी ने कहा कि भारत की आईटी प्रतिभाएं वैश्विक डिजीटल अर्थव्यवस्था बनाने में मददगार रहीं हैं।
उन्होंने समस्या का समाधान करने में मदद की। भारतीय प्रतिभाओं ने जीवन में तकनीक एवं सेवाओं के उन्नयन में योगदान दिया है। कोविन प्लेटफॉर्म मुफ्त देने एवं उसे ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर बनाने की पेशकश की है। उन्होंने कहा कि क्रिप्टो करेंसी या बिटक्वाइन के उदाहरण लें, तो सभी लोकतांत्रिक देशों के लिए एक साथ काम करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि यह दुरुपयोग में ना आये। इससे हमारे युवा बर्बाद हो सकते है। उन्होंने यह भी कहा कि लोकतांत्रिक देशों के लिए यह आवश्यक है कि वह भविष्य की तकनीक पर मिल कर शोध एवं अनुसंधान करें तथा भरोसेमंद आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करें एवं साइबर तकनीक में सहयोग को बढ़ाएं।
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