पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह गिरफ्तारी वारंट से तलब

पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह गिरफ्तारी वारंट से तलब

राजघराने की संपत्ति को ट्रस्ट बनाकर अधिकार में लेने को माना गलत

 बूंदी। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अलवर राजघराने के सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह को फर्जी डीड के आधार पर ट्रस्ट बनाने के मामले में गिरफ्तारी वारंट से तलब किया है। इस मामले में न्यायालय ने बूंदी के पूर्व जिला प्रमुख श्रीनाथ सिंह हाड़ा एवं भंवर जितेंद्र सिंह के ससुर बृजेंद्र सिंह को भी दोषी मानते हुए गिरफ्तारी वारंट से तलब किया है। कोर्ट ने तीनों को 6 जनवरी 2022 को पेश होने के आदेश दिए है।  बूंदी रियासत के पूर्व नरेश स्व. रणजीत सिंह ने अपने हिस्से की संपत्ति की वसीयत अपने मित्र अविनाश चानना के नाम की थी।  रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद उनके भांजे पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह ने एक ट्रस्ट डीड उजागर की। जिसमें स्व. रंजीत सिंह ने अपनी संपत्ति की ट्रस्टी डीड बनाकर उसे आशापुरा माताजी मंदिर को समर्पित कर दिया। इस वसीयत के अनुसार आशापुरा माताजी मंदिर का इंचार्ज भंवर जितेंद्र सिंह को मुख्य सेवायत बनाया गया था। इस आधार पर स्व. रणजीत सिंह की सारी संपत्ति आशापुरा ट्रस्ट को हस्तानांतरित कर दी गई।  अविनाश चानना के पावर आॅफ अटॉर्नी होल्डर एडवोकेट कान सिंह राठौर ने बताया कि भंवर जितेंद्र सिंह ने वर्ष 2008 में इस ट्रस्ट डीड को बनना बताया है। जबकि 8 मई 2008 को हाईकोर्ट में भंवर जितेंद्र सिंह ने संपत्ति विवाद के मामले में स्व. रणजीत सिंह के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने न्यायालय से उनके मामा स्वर्गीय रणजीत सिंह को जेल भेजने की अपील की थी। जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया था। उसी दौरान रणजीत सिंह ने न्यायालय में शपथ पत्र देकर अनुरोध किया था कि मेरी और जितेंद्र सिंह के बीच संपत्ति का बंटवारा कर दिया जाए मुझे मेरे हिस्से की संपत्ति दे दी जाए जिसका कि मैं अपने जीवन काल में उपयोग, उपभोग कर सकूं। इसी दौरान भंवर जितेंद्र सिंह ने स्व. रणजीत सिंह के द्वारा उनकी संपत्ति की ट्रस्ट डीड बनाना बताया जिसमें भंवर जितेंद्र सिंह को मुख्य सेवारत मनोनीत किया गया था।

एक तरफ जेल भेजने की अपील, दूसरी तरफ ट्रस्ट डीड
एडवोकेट राठौड़ ने बताया कि उन्होंने न्यायालय में इसी आधार पर पुलिस की अंतरिम रिपोर्ट को चुनौती दी थी कि एक तरफ भंवर जितेंद्र सिंह संपत्ति मामले में न्यायालय की अवमानना पर अपने मामा रणजीत सिंह को जेल भेजने की अपील कर रहे थे। उसी समय उनके मामा कैसे यह ट्रस्ट डीड कर सकते हैं और जब इस ट्रस्ट डीड के आधार पर जितेंद्र सिंह स्व. रणजीत सिंह की संपत्ति के मुख्य कर्ता-धर्ता हो गए थे तो फिर उन्होंने मामा के खिलाफ संपत्ति का केस उनकी मृत्यु के बाद तक क्यों चलाए रखा था। एडवोकेट कान सिंह राठौर ने बताया कि इस मामले में स्व. रणजीत सिंह के मित्र अविनाश चानना ने ट्रस्ट डीड को फर्जी बताते हुए वर्ष 2017 में कोतवाली पुलिस थाने में भंवर जितेंद्र सिंह और ट्रस्ट के अन्य पदाधिकारियों पूर्व जिला प्रमुख श्रीनाथ सिंह हाडा, बृजेंद्र सिंह के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवाया था। भंवर जितेंद्र सिंह ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस मुकदमे को खारिज करने की अपील की थी जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया था। जबकि बूंदी पुलिस ने इस मामले में एफआर लगाकर मामला न्यायालय में पेश कर दिया था। न्यायालय में अविनाश चानना ने पुलिस द्वारा लगाई गई अंतरिम रिपोर्ट को चुनौती दी।


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