भारत-रूस संबंध
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी एक दिवसीय भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अकेले में व्यापक बातचीत के बाद सोमवार को अपने बयान में भारत को एक बहुत बड़ी शक्ति, एक मित्र राष्ट्र और वक्त की कसौटी पर खरा उतरा मित्र बताया।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी एक दिवसीय भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अकेले में व्यापक बातचीत के बाद सोमवार को अपने बयान में भारत को एक बहुत बड़ी शक्ति, एक मित्र राष्ट्र और वक्त की कसौटी पर खरा उतरा मित्र बताया। यह बात संभवत: चीनी नेताओं के कान में भी पहुंची होगी, जिन्होंने सालों से भारत से दोस्ती की बातें करते-करते हर वक्त भारत को धोखा दिया और भारत की चिंताओं व दोस्ती की कीमत को नहीं समझा। राष्ट्रपति पुतिन के बयान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत-रूस के संबंधों में कभी बदलाव नहीं हुआ और हमें अपनी दोस्ती पर नाज है। दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी प्रगाढ़ हो रही है। भारत-रूस के प्रतिनिधि मण्डलों की बैठक के बाद दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों के साथ कुल 28 समझौतों पर सहमति बनी। सबसे बड़ा समझौता ऐके-203 असाल्ट राइफलें के निर्माण पर हुआ। उत्तर प्रदेश के अमेटी कस्बे में 6 लाख से ज्यादा अत्याधुनिक ऐके-203 असाल्ट राइफलों के निर्माण का कारखाना स्थापित होगा, जिसमें रूस के सहयोग से संयुक्त निर्माण होगा। इसके अलावा आत्म निर्भरता के क्षेत्र में छोटे व बड़े हथियारों पर आधारित सैन्य सहयोग जारी रहेगा और सैन्य सहयोग की अवधि 2021 से बढ़ाकर 2031 तक बढ़ाने का भी समझौता हुआ। इसके अलावा दोनों देशों के बीच सैन्य तकनीक सहयोग जारी रखने पर समझौता हुआ। भारत-रूस के बीच शिखर वार्ता चीन को रास नहीं आ रही है। इस शिखर वार्ता में पूर्व चीन द्वारा बड़ी कूटनीतिक प्रतिक्रियाएं दी जा रही थीं। पुतिन के साथ रक्षा मंत्री ने भारत के रक्षा मंत्री के साथ वार्ता की और वार्ता में सिंह ने चीन का नाम लिए बिना पूर्वी लद्दाख में चल रही सैन्य गतिविधियों का जिक्र किया। रूस के विदेश मंत्री ने भारत के विदेश मंत्री ने मुलाकात की और उन्होंने रूस से एस 400 मिसाइलें खरीदे जाने के बारे में कहा कि अमेरिका सहित कोई भी देश भारत की सार्वभौमिकता व अपनी रक्षा की तैयारियों से नहीं रोक सकता। बदलते विश्व के घटनाक्रमों के बीच भारत व रूस की दोस्ती मजबूती से आगे बढ़ रही है। भारत-रूस के बीच काफी पुराने रिश्ते हैं और उनमें उतार-चढ़ाव भी आते रहे हैं, लेकिन रूस भारत का सहयोग करने में कभी पीछे नहीं रहा।
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