कभी सर्दी-कभी गर्मी तो कभी बारिश ने बिगाड़ा सेहत का मिजाज, इंफ्लुएंजा वायरस की चपेट में आमजन

बदलते मौसम से अस्पतालों में बढ़े मौसमी बीमारियों के मरीज

कभी सर्दी-कभी गर्मी तो कभी बारिश ने बिगाड़ा सेहत का मिजाज, इंफ्लुएंजा वायरस की चपेट में आमजन

राहत की बात यह है कि जितने भी मरीज इन वायरस की चपेट में आ रहे है उसमें 90 फीसदी केस हल्के लक्षण वाले हैं।

जयपुर। कभी सर्दी, कभी गर्मी तो कभी बेमौसम बरसात के कारण इन दिनों आमजन की सेहत का मिजाज बिगड़ हुआ है। इन दिनों शहर में सर्दी-जुकाम, तेज खांसी और बुखार के मामले अचानक से तेजी से बढ़ रहे हैं। 

वैसे तो यह मौसम के बदलाव के कारण है, लेकिन इंफ्लूएंजा-ए वायरस के सब वैरिएंट एच-3 एन-2 भी इसमें एक बड़ी वजह है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम बदलने के कारण आमतौर पर नॉर्मल वायरल लोड रहता है, लेकिन इन दिनों मरीज के तेज बुखार के बाद लम्बे समय तक खांसी, बदन दर्द और कमजोरी की शिकायत ज्यादा आ रही हैं। एसएमएस अस्पताल की ओपीडी में आने वाला हर तीसरा या चौथा मरीज एच-3 एन-2 या इससे मिलते-जुलते वायरस की चपेट में आ रहा है। हालांकि राहत की बात यह है कि जितने भी मरीज इन वायरस की चपेट में आ रहे है उसमें 90 फीसदी केस हल्के लक्षण वाले हैं।

मौसम में बदलाव के साथ वायरस एक्टिव:एसएमएस मेडिकल कॉलेज के जनरल मेडिसिन के सीनियर प्रोफेसर डॉ. पुनीत सक्सैना ने बताया कि मौसमी बीमारियों के दौरान इस बार ओपीडी में ज्यादातर मामले एच-3 एन-2 के सामने आ रहे हैं। इससे मिलते जुलते अपर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (यूआरआई), एडिनो वायरस, पैरा इंफ्लुएन्जा वायरस भी सक्रिय है।

ये वायरस मौसम में बदलाव के साथ एक्टिव होते हैं और तेजी से फैल रहे हैं। इसमें बुखार सामान्यतया चार से पांच दिन रहता है, लेकिन कुछ केस में आठ से दस दिन में भी बुखार ठीक नहीं हो रहा। मरीजों में बुखार टूटने के बाद खांसी शुरू होती है और यह लम्बे समय तक रहती है। 
नहीं करें एंटीबायोटिक का सेल्फ  यूज: डॉ. सक्सैना ने बताया कि डॉक्टर को दिखाए बिना मेडिकल स्टोर से एंटी बायोटिक्स या अन्य दवाइयां लेने से बचें। कई वायरस में लाइन आफ  ट्रीटमेंट अलग होता है। 

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वहीं कुछ मरीज जांच में वायरल इंफेक्शन के अलावा बैक्टिरियल बीमारी से भी पीड़ित होते हैं। ऐसे में एंटीबायोटिक्स का सेल्फ  यूज करने से बचें। डॉक्टर को दिखाने और जांच करवाने के बाद जो डॉक्टर दवाइयां लिखे उसे ही लेना चाहिए।

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ये है बचाव: विशेषज्ञों के अनुसार ये बीमारी ड्रॉपलेट्स से भी फैलती है। जिस तरह कोविड से बचने के लिए लोग मास्क पहनते है उसी तरह मास्क पहनना चाहिए। हाथों को समय-समय पर साबुन या सेनेटाइजर से साफ  रखें। जो व्यक्ति खांस या छींक रहा है उनसे दूर रहे या उनसे खांसते वक्त रूमाल का उपयोग करने के लिए कहे।

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