Rajasthan Assembly Elections History: 1952 के चुनाव के बाद 17 विधानसभाओं में हुए थे उपचुनाव
विधानसभा चुनाव- 1952 में कांग्रेस को 82, अखिल भारतीय रामराज्य परिषद को 24, सोशलिस्ट पार्टी को एक, भारतीय जनसंघ को 8, कृषक लोक पार्टी सात, अखिल भारतीय हिंदू महासभा को 2 और किसान मजदूर प्रजा पार्टी को एक सीट और 35 निर्दलीय प्रत्याशियों को जीत मिली थी।
राजस्थान में विधानसभा तथा लोकसभा के लिए प्रथम निर्वाचन 1952 में सम्पन्न हुए थे। विधानसभा के चुनाव 29 फरवरी 1952 को हुए थे। विधानसभा के 140 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए 616 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। इसमें 20 दो सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र और 120 एकल सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र थे। चुनाव में कांग्रेस को 82, अखिल भारतीय रामराज्य परिषद को 24, सोशलिस्ट पार्टी को एक, भारतीय जनसंघ को 8, कृषक लोक पार्टी सात, अखिल भारतीय हिंदू महासभा को 2 और किसान मजदूर प्रजा पार्टी को एक सीट और 35 निर्दलीय प्रत्याशियों को जीत मिली थी। मलारना से कांग्रेस के टिकट पर जीते टीकाराम पालीवाल पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री बने।
सुखाड़िया-जोशी और शेखावत भी बाद में बने प्रदेश के मुख्यमंत्री
कांग्रेस की ओर से जीतने वाले मोहनलाल सुखाड़िया (उदयपुर शहर), हरिदेव जोशी (डूंगरपुर) और भैरोंसिंह शेखावत दांतारामगढ़ सीट से भारतीय जनसंघ के टिकट पर चुनाव जीते, जो आगे चलकर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
उपचुनाव का रिकॉर्ड
पहली बार 1952 के विधानसभा के चुनाव के बाद विभिन्न कारणों से 17 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हुए। यह भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है। 11 उपचुनाव तो इसलिए हुए कि न्यायालय ने इनके विजेताओं के चुनाव अवैध घोषित कर दिए थे। पहले चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री टीकाराम पालीवाल मलारना और महुवा दोनों सीटों से चुनाव लडे और जीते। इसके बाद उन्होंने मलारना सीट छोड़ी। पालीवाल सर्वसम्मति से कांग्रेस विधायक दल के नेता चुने गए और 3 मार्च 1952 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। जयनारायण व्यास इस चुनाव में हार गए थे बाद में वे किशनगढ़ से उपचुनाव जीतकर आए और सत्ता के लिए संघर्ष शुरू हो गया। टीकाराम पालीवाल आठ माह तक ही मुख्यमंत्री रह पाए और अतंत उन्होंने इस्तीफा दे दिया। जयनारायण व्यास 1 नवंबर, 1952 को राजस्थान के मुख्यमंत्री बने।
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