गहलोत के तीन कार्यकाल में अंबिका सोनी रहीं सबसे लकी प्रभारी

अंबिका सोनी के कार्यकाल में मिली सबसे ज्यादा सीटें

गहलोत के तीन कार्यकाल में अंबिका सोनी रहीं सबसे लकी प्रभारी

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तीन बार मुख्यमंत्री बनने के दौरान प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अंबिका सोनी सबसे कामयाब प्रदेश प्रभारी रहीं।

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तीन बार मुख्यमंत्री बनने के दौरान प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अंबिका सोनी सबसे कामयाब प्रदेश प्रभारी रहीं। शेष दो कार्यकाल में भी प्रभारी बने, लेकिन सोनी के कार्यकाल के समय जैसी सफलता हासिल नहीं हो पाई। गहलोत के पहले कार्यकाल 1998 में कांग्रेस के सबसे ज्यादा 156 विधायक जीतकर आए थे। प्रभारियों की इस फेरहिस्त में इस बार प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की सफलता भी आंकलन कांग्रेस गलियारों में किया जा रहा है। गहलोत वर्ष 1998, 2008 और 2018 में कांग्रेस सरकार आने पर मुख्यमंत्री बने। तीनों कार्यकाल में अलग अलग प्रदेश प्रभारी रहे।

अंबिका सोनी के कार्यकाल में मिली सबसे ज्यादा सीटें
पहली बार कांग्रेस की सरकार बनी जब वरिष्ठ कांग्रेस नेता अंबिका सोनी प्रदेश प्रभारी थी और माधवराव सिंधिया स्क्रीनिंग कमेटी चेयरमैन थे। उस समय कांग्रेस की 156 सीटें आई थी। पहली बार गहलोत जब सीएम बने तो प्रदेशाध्यक्ष भी वो ही थे और वे विधायक भी नहीं थे। आलाकमान के एक लाइन के प्रस्ताव के बाद वे मुख्यमंत्री बने और उस समय के दिग्गज नेता परसराम मदेरणा,बलराम जाखड़, रामनिवास मिर्धा और सोनाराम जैसे नेताओं का दबदबा था।

वासनिक नहीं दिखा पाए सोनी जैसा कारनामा
दूसरे कार्यकाल 2008 में मुकुल वासनिक प्रदेश प्रभारी थे और प्रदेशाध्यक्ष डॉ.सीपी जोशी की अगुवाई में चुनाव लड़ा गया था। कांग्रेस को 96 सीटें मिली थी और सीपी जोशी खुद एक वोट से चुनाव हार गए थे। इसके बाद दूसरे दावेदार के तौर पर अशोक गहलोत बचे थे। गहलोत ने बसपा के छह विधायकों को कांग्रेस में शामिल कर सरकार बनाई थी।

इस कार्यकाल में भी गहलोत अपनी जादूगरी दिखाने में कामयाब हुए थे,लेकिन वासनिक उस समय अंबिका सोनी जैसे कार्यकाल को दोहरा नहीं पाए थे।

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पाण्डे के समय भी नहीं पार हो पाई 100 सीटें
गहलोत के तीसरे कार्यकाल में 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी। उस समय पीसीसी चीफ सचिन पायलट की अगुवाई में लड़े गए चुनाव में अविनाश पाण्डे प्रदेश प्रभारी थे। कांग्रेस इस चुनाव में भी 99 सीटों पर आकर अटक गई थी और राजनीति में जादूगरी दिखाने वाले गहलोत युवा नेतृत्व को पछाड़कर तीसरी बार सीएम बनने में कामयाब हुए।

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