500 मीटर में 53 जगह से टूटी मुकुंदरा की सुरक्षा दीवार
दीवारें तोड़ रास्ता बना रहे माफिया, बर्बाद हो रहा वन्यजीवों का हैबीटॉट
माफियाओं का गिरोह लगातार मुकुंदरा में सक्रिय है।
कोटा। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व माफियाओं के हत्थे चढ़ चुका है। यहां न तो जंगल सुरक्षित है और न ही बेजुबान वन्यजीवों की जिंदगी। हालात यह हैं, 500 मीटर के दायरे में 53 जगहों से मुकुंदरा की सुरक्षा दीवार माफियाओं ने तोड़ दी और जंगल में आने-जाने का रास्ता बना दिया। यह जानते हुए भी वन विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है। नतीजन, माफिया मुकुंदरा का दामन नोंच रहा। वन सम्पदा चोरी कर बेजुबान वन्यजीवों का आशियाना भी उजाड़ रहा है। इसके बावजूद वन विभाग आंखे मूंदे बैठा है। दरअसल, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की बोराबांस रेंज में नयागांव से डायवर्जन चैनल तक जगह-जगह से सुरक्षा दीवार माफियाओं ने तोड़ रास्ता बना दिया है।
नयागांव से डायवर्जन चैनल तक टूटी दीवारें
मुकुंदरा की बोराबांस रैंज 12 हजार 684 हैक्टेयर में फैली हुई है। नयागांव से डायवर्जन चैनल तक करीब 500 मीटर के दायरे में जंगल की 53 जगहों से सुरक्षा दीवार टूटी हुई है। माफियाओं ने दीवारें तोड़ आने-जाने का रास्ता बना लिया है। इस इलाके में रात के अंधेरे में खनन होता है और दिन के उजाले में पत्थर, मिट्टी, ग्रेवल ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में भरकर चोरी कर रहे हैं। वहीं, अवैध कटान व मवेशियों की चराई हो रही है।
प्रभावित हो रहा वन्यजीवों का जीवन चक्र
बोराबांस रैंज के जंगलों में लेपर्ड, हिरण, लोमड़ी, भालू, हायना, नीलगाय सहित कई वन्यजीवों का नेचुरल हैबीटॉट है। अवैध खनन, वाहनों का शौर, पत्थर तोड़ने की आवाज, घुसपैठ सहित अन्य संदिग्ध गतिविधियों से उनका प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है। साथ ही जैव विविधता भी खत्म हो रही है। वन्यजीवों का जीवन चक्र प्रभावित होने से उनका अस्तित्व खतरे में पड़ रहा है।
दिन-रात बेधड़क दौड़ती ट्रैक्टर-ट्रॉली
नाम न छापने की शर्त पर स्थानीय निवासियों ने बताया कि बोराबांस रैंज में कई वर्षों से अवैध खनन, पेड़ों की कटाई, मिटटी व पत्थरों की चोरी सहित अन्य अवैध गतिविधियां चल रही हैं। इसकी जानकारी अधिकारियों को भी है। माइनिंग व तस्करी का काला खेल मिलीभगत से चल रहा है। माफियाओं का गिरोह लगातार मुकुंदरा में सक्रिय है। दिन-रात जंगलों में बेधड़क ट्रैक्टर-ट्रॉलियां दौड़ती हैं।
टाइगर की टेरीटरी में चर रहे मवेशी
मुकुंदरा में वर्तमान में दो टाइगर है। दोनों बाघ-बाघिन का मूवमेंट बोराबांस के वनक्षेत्र सेल्जर में रहता है। रावतभाटा रोड स्थित सेल्जर के पिछले हिस्से की दीवारें टूट रही है। जहां ग्रामीणों के मवेशी चर रहे हैं। मवेशियों को लाने-ले जाने के लिए पशुपालक अंदर तक घुस जाते हैं। जिससे टाइगर और इंसानों के बीच संघर्ष की आशंका बनी रहती है।
क्या कहते हैं वन्यजीव प्रेमी मिलीभगत से चल रहा खेल
नयागांव से जवाहर सागर तक रैंजर, वनपाल, सहायक वनपाल, फोरेस्ट गार्ड, बॉर्डर होमगार्ड बड़ी संख्या में तैनात रहते हैं। जब ट्रैक्टर-ट्रॉलियां आती हैं तब एक भी कर्मचारी नजर आता है। ऐसे में वन अधिकारियों की माफियाओं से सांठ-गांठ की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। जंगल और जंगल के प्राणियों की सुरक्षा के लिए स्थानीय स्टाफ गंभीर नहीं है। लापरवाह अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
- देवव्रत सिंह हाड़ा, संस्थापक, पगमार्क फाउंडेशन
बोराबांस रैंज के जंगलों में लेपर्ड, हिरण, लोमड़ी, भालू, हायना, नीलगाय सहित कई वन्यजीवों का नेचुरल हैबीटॉट है। ऐसे में जंगल में लगातार अवैध गतिविधियां होने से पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ता है और वन्यजीव वहां से पलायन कर जाते हैं, फिर कभी लौटकर नहीं आते। ऐसे में उन्हें दूसरी जगह अपना वजूद कायम रखने के लिए अनगिनत संघर्षों का सामना करना पड़ता है।
- एएच जैदी, नेचर प्रमोटर
इनका कहना है
बोराबांस रेंज की 150 हैक्टेयर वनभूमि पर क्लोजर बनाने के लिए प्रपोजल भेजा हुआ है। यहां लोगों ने अवैध बाड़े बनाकर अतिक्रमण कर रखा है। जिसे पुलिस व जिला प्रशासन के सहयोग से पहले अतिक्रमण हटाए जाएंगे। इसके बाद ही दीवार बनाई जाएगी।
- जनक सिंह, रेंजर, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व
नए अधिकारी के न आने तक मैं कार्यवाहक के रूप में जिम्मेदारी निभा रहा हूं। यदि, ऐसी गतिविधियां चल रही है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। जंगल और जंगल के प्राणियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।
-अनुराग भटनागर, डीसीएफ, एवं कार्यवाहक डीएफओ मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व
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