सफाई कर्मियों की फौज, फिर भी अपना मूल काम नहीं कर पा रहा निगम
गीला सूखा कचरा अलग हुआ न ट्रेचिंग ग्राउंड का समाधान
जनता को राहत के साथ स्वच्छता सर्वेक्षण की रैकिंग के लिए है आवश्यक।
कोटा । नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण में जहां करीब तीन हजार तो स्थायी सफाई कर्मचारी हैं और 700 से अधिक अस्थायी कर्मचारी हैं। उसके बाद भी निगम अपना मूल काम ही नहीं कर पा रहा है। गीला सूखा कचरा अलग करने व ट्रेचिंग ग्राउंड ऐसे काम हैं जिनसे आमजन को तो राहत मिलेगी है साथ ही स्वच्छता रैकिंग सुधार में भी सहयोगी होंगे। शहर में साफ सफाई का जिम्मा नगर निगम का है। मेन रोड की सफाई हो या वार्डों की। नालियों की सफाई हो या घरों से निकलने वाले कचरे को एकत्र करने की। यह काम आसान हो इसके लिए दो निगम बनाए गए। वार्डों को छोटा कर उनकी संख्या बढ़ाई गई। निगम के दोनों बोर्ड को बने हुए करीब साढ़े तीन साल का समय हो चुका है। हर साल सफाई पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। उसके बाद भी न तो शहर साफ नजर आ रहा है और न ही लोगों को राहत मिलने के साथ निगम अपनी रैकिंग सुधार पा रहा है।
टिपरों में एक साथ ही डल रहा कचरा
नगर निगम की ओर से टिपरों के माध्यम से घर-घर कचरा संग्रहण कराया जा रहा है। कोटा उत्तर के सभी 70 व कोटा दक्षिण के 80 वार्डों में यह काम किया जा रहा है। हर वार्ड में दो से तीन टिपर लगे हुए हैं। जिनमें गीला व सूखा कचरा अलग-अलग डालने की सुविधा तो है लेकिन घरों से ही दोनों तरह का कचरा टिपरों में एक साथ डाला जा रहा है। भाजपा के पिछले बोर्ड के समय से ही यह सुविधा शुरु की गई है लेकिन अभी तक भी वर्तमान बोर्ड भी उसे पूरी तरह से लागू नहीं कर सका है। ऐसे में निगम को ट्रेचिंग ग्राउंड में कचरे का सेग्रीगेशन करवाना पड़ रहा है। सूत्रों के अनुसार स्वच्छता रैकिंग में गीला-सूखा कचरा अलग-अलग होने के अंक है। निगम द्वारा यह व्यवस्था लागू नहीं करने से निगम को इस श्रेणी में अंक ही नहीं मिल रहे। निगम की ओर से इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने की बातें तो की जा रही हैं लेकिन उसे लागू नहीं किया गया।
ट्रेचिंग ग्राउंड बड़ी समस्या
शहर से रोजाना करीब 400 टन से अधिक निकल रहे कचरे को नांता स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड में डाला जा रहा है। जिससे यहां कचरे के पहाड़ लगे हुए हैं। उस कचरे में हर साल गर्मी के सीजन में आग लगने पर उससे निकलने वाले जहरीली गैस व धुएं से आस-पास की बस्ती में रहने वाले हजारों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में भी करीब एक से डेढ़ महीने से ट्रेचिंग ग्राउंड के कचरे में लगातार आग सुलग रही है। जिसे बुझाने के लए अब तक लाखों लीटर पानी डाला जा चुका है। गुरुवार को भी निगम की दमकलें आग बुझाने में लगी रही। स्थानीय लोगों ने ट्रेचिंग ग्राउंड हटाओं के नाम से अभियान चलाया हुआ है। लेकिन निगम अधिकारी अभी तक न तो कचरे का और न ही आग का पूृरी तरह से समाधान कर सके हैं। सूत्रों के अनुसार ट्रेचिंग ग्राउंड के कचरे का समाधान करने के अंक भी रैकिंग में जुड़ते हैं। लेकिन एनजीटी के आदेश व निर्देश के बाद भी निगम अधिकारी इसका समाधान नहीं कर सके। हालांकि निगम द्वारा कचरे के निस्तारण पर करीब 16 करोड़ रुपए से अधिक का खर्चा किया जा चुका है।
हर बार पिछड़ रहे रैंकिंग में
नगर निगम द्वारा सफाई से संबंधित अपनो मूल काम ही नहीं करने का कारण है कि हर साल केन्द्रीय शहरी मंत्रालय की ओर से होने वाले स्वच्छता सर्वेक्षण में कोटा के दोनों निगमों की रैकिंग लगातार पिछड़ रही है। कोटा पहले 100 शहरों में भी जगह नहीं बना सका है। हर बार 300 से 400 शहरों में शुमार हो रहा है। इस साल भी सर्वेक्षण होना है। लेकिन निगम अधिकारियों ने अभी तक उस दिशा में कोई प्रयास शुरू नहीं किए हैं। निगम प्रयास करे, जनता सहयोग करेगी: नयापुरा निवासी राजेश विजय ने कहा कि कोटा को इंदौर बनाने की बातें तो की जाती है लेकिन काम नहीं करते। गुमानपुरा निवासी सौरभ मिगलानी का कहना है कि अधिकतर घरों में एक ही डस्टबीन है। जिसमें गीला और सूखा कचरा डाला जा रहा है। न तो घरों में और न ही निगम के टिपरों में अलग-अलग कचरा डालने की सुविधा है। जिससे समस्या का कभी भी समाधान नहीं हो सकता।
नगर निगम की ओर से शहर को साफ रखने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। समय पर वार्डों में टिपर नियमित जा रहे हैं। कचरा पाइंट से कचरा समय पर उठ रहा है। जहां तक गीला सूखा कचरा अलग करने की बात है निगम से अधिक लोगों को इस बारे में जागरूक होने की जरूरत है। इंदौर में जनता स्वयं जागरूक है सफाई के प्रति। ट्रेचिंग ग्राउंड के कचरे के निस्तारण के लिए सरकार से बजट मिले तो काम हो।
- तनुज शर्मा, स्वास्थ्य अधिकारी नगर निगम कोटा उत्तर
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