नई तकनीकों से ब्रेन ट्यूमर अब लाइलाज नहीं, जीत सकते हैं जिंदगी की जंग
देश में हर एक लाख लोगों में से 10 लोगों को ब्रेन ट्यूमर की समस्या, राजस्थान में हर साल 28 हजार से ज्यादा मरीज आ रहे सामने
जयपुर। ब्रेन ट्यूमर अब तक मस्तिष्क की खतरनाक बीमारी मानी जाती थी। बीमारी की पहचान होने पर मरीज अपने जीने की आशा छोड़ देते थे, लेकिन चिकित्सा विज्ञान में आई नई तकनीकें ब्रेन ट्यूमर के मरीजों के लिए वरदान साबित हुई हैं। देशभर की बात करें तो हर एक लाख लोगों में से 8 से 10 लोगों को ब्रेन ट्यूमर हो रहा है। वहीं राजस्थान में हर साल 28 हजार से ज्यादा मरीज किसी ना किसी कारण से ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित हो रहे हैं। वहीं एसएमएस अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग की ओपीडी में भी हर रोज 5 से 7 मरीज ब्रेन ट्यूमर से ग्रसित होकर इलाज के लिए आ रहे हैं।
क्या है ब्रेन ट्यूमर
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के सीनियर न्यूरोसर्जन डॉ. मनीष अग्रवाल ने बताया कि हमारे शरीर में कोशिकाएं लगातार विभाजित होती रहती हैं, कोशिकाएं मरती हैं और उनकी जगह नई कोशिकाएं जन्म लेती हैं। इस व्यवस्था में किसी कारण से गड़बड़ी होने पर नई कोशिकाएं तो पैदा होती रहती हैं लेकिन पुरानी कोशिकाएं नहीं मरती। धीरे-धीरे कोशिकाओं और ऊतकों की एक गांठ बन जाती है, जिसे हम ट्यूमर कहते हैं। जरूरी नहीं कि सभी ट्यूमर कैंसर के हो। ब्रेन ट्यूमर दो तरह के होते हैं बिनाइन और मेलिग्नेंट। बिनाइन साधारण और मेलिग्नेंट ट्यूमर कैंसरस होते हैं।
सीटी स्कैन-एमआरआई से होती पहचान
सीनियर न्यूरोसर्जन डॉ. यशपाल सिंह राठौड़ ने बताया कि ब्रेन ट्यूमर की पहचान करने के लिए रोगी का इमेजिंग टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट के तहत रोगी के ब्रेन का सीटी स्कैन, एमआरआई और पेट स्कैन किया जाता है। इसके बाद सर्जरी की प्लानिंग और निर्णय लेने की प्रक्रिया शुरू होती है।
एंडोस्कोपिक सर्जरी से आसान हुआ उपचार
ब्रेन ट्यूमर होने पर इसका इलाज सर्जरी से ही संभव होता है। एंडोस्कोपी की मदद से शरीर के कई अंगों की सर्जरी संभव होने लगी है, लेकिन ब्रेन ट्यूमर के लिए भी इस तकनीक का इस्तेमाल अब किया जाने लगा है। एंडोस्कोपिक सर्जरी की सहायता से मरीज को बड़ा चीरा नहीं लगाना होता और की-होल सर्जरी से ही उसका ट्यूमर निकाल दिया जाता है। इससे मरीज की रक्त वाहिकाओं को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचता और कम रक्तस्त्राव से उसकी सर्जरी हो जाती है।
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