एजेंट रजिस्टर्ड हो जाएं तो सबकी होगी पौ बारह

आरटीओ में दलालों का जमावड़ा: साल 1985 तक बनते थे एजेंटों के लाइसेंस

एजेंट रजिस्टर्ड हो जाएं तो सबकी होगी पौ बारह

एजेंटों के पंजीकृत होने से फर्जी गतिविधियों से निजात मिल सकती है।

कोटा। परिवहन विभाग के कार्यालयों में आज भी एजेंटों का बोलबाला रहता है। परिवहन विभाग से संबंधित सारे काम आॅनलाइन हो जाने के बाद भी इन एजेंटों ने कार्यालयों के भीतर अपनी पेठ जमाई हुई है। परिवहन विभाग में आज भी छोटे से लेकर बड़े काम इन एजेंटों के बिना नहीं किए जा सकते हैं। एजेंटों द्वारा कार्यालय के बाहर ऐसा महौल बना दिया जाता है कि कोई आम इंसान इनके बिना अपना छोटा सा काम भी नहीं करा सकता है। ऐसे में अगर सरकार की ओर से इन एजेंटों को पंजीकृत कर दिया जाए तो विभाग, सरकार के साथ लोगों को भी काम करवाने में आसानी हो सकती है।

पंजीकृत होने पर जाली कामों से मिल सकती है मुक्ति
परिवहन विभाग के सभी कार्यालयों में जाली काम होने की शिकायतें मिलती रहती हैं। जिसमें फर्जी तरीके से लाइसेंस बनाने आरसी नवीनीकरण कराने और फिटनेस टेस्ट पास कराने के कई मामले सामने आते हैं। एजेंट इन कामों को अपने संपर्कों का फायदा उठाकर गलत तरीके से इन सब कार्यों को करा लेते हैं। जिससे फर्जी कामों को बढ़ावा मिलता ही है साथ ही विभाग को भी राजस्व का नुकसान होता है। एजेंटों के पंजीकृत होने से इस तरह के फर्जी गतिविधियों से निजात मिल सकती है।

पंजीकरण के ये फायदे
1. विभाग के अंदर एजेंटों की दखलंदाजी कम होगी।
2. फर्जी तरीके से होने वाले कामों पर रोक लगेगी।
3. एजेंटों को रजिस्टर्ड मेंटेन करने होंगे जिससे उनके कामों का रिकॉर्ड रहेगा।
4. गड़बड़ी सामने आने पर जांच में आसानी होगी।
5. परिवहन से संबंधित कार्य के दौरान उपलब्ध कराने वाले दस्तावेजों की जिम्मेदारी एजेंटों की होगी।

पहले थे पंजीकृत, 1985 में हटी व्यवस्था
परिवहन विभाग द्वारा साल 1985 तक सभी एजेंटों को पंजीकृत कर उन्हें लाइसेंस जारी करने की व्यवस्था थी। जिससे इन एजेंटों को हर कार्य के लिए रजिस्टर्ड मेंटेन करना होता था। जिसकी विभागीय जांच भी होती थी। लेकिन साल 1985 में एजेंट द्वारा दरा में फर्जी लाइसेंस बनाने का मामला सामने आने के बाद सरकार की ओर से सभी एजेंटों के लाइसेंस रद्द कर सभी प्रकार के कार्य विभाग के अधीन कर दिए थे। जिसके बाद से आज तक इन एजेंटों को पंजीकृत करने पर कोई विचार नहीं किया गया है। सरकार अगर बाहर बैठने वाले एजेंटों को पंजीकृत कर उन्हें रेगुलाइज कर देती है तो एजेंटों के लिए भी फायदेमंद होगा। एजेंट भी सही से काम कर पाएंगे, अभी भी लगभग सारे काम एजेंट करते हैं। विभाग के कर्मचारी उसे केवल वेरीफाई करते हैं। साथ ही विभाग के अंदर से बेकार बैठे रहने वाले लोगों की संख्या में भी कमी आएगी।

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पुखराज चौधरी, यातायात सलाहकार
यातायात सलाहकारों पर फर्जी तरीके से काम करने का टैग लगा हुआ है। सरकार अगर हमें पंजीकृत कर लाइसेंस देती है तो उसमें सिक्योरिटी जमा होगी जो केवल सही तरीके से काम करने वाला व्यक्ति ही जमा करा सकेगा। अधिकार होने पर हम भी सही से काम कर पाएंगे।
- विजय प्रजापति, यातायात सलाहकार

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एजेंटों के पंजीकृत होने से पूरा काम कानूनी रूप से हो पाएगा। अभी विभाग में किसी काम के लिए जाने पर इधर उधर भटकना पड़ता है। जिस वजह से अंत में एजेंटों के पास ही जाना पड़ता है।
- इंद्र कुमार, रायपुरा

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परिवहन विभाग में खुद से काम कराने जाओ फिर भी यातायात सलाकारों की मदद लेनी ही पड़ती है। दूसरे विभागों के एजेंटों की तरह इन्हें भी पंजीकृत करने से लोग भी भरोसे के साथ इनसे काम करा सकते हैं।
- विष्णु योगी, कंसुआ

इनका कहना है
परिवहन विभाग के बाहर बैठने वालों को पंजीकृत करने या लाइसेंस देने का कार्य सरकार के स्तर का है। सरकार कानून बनाती है तो इसे लागू करांएगे। ऐसा होने पर विभाग से भी एजेंटों की दखलंदाजी खत्म हो जाएगी।
- दिनेश सिंह सागर, आरटीओ

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