बेजुबानों के भी बनें तारणहार, सड़कों पर डाल रखा डेरा

आधा दर्जन ग्राम पंचायतों में गौशाला की दरकार, राहगीर झेल रहे मुसीबत

बेजुबानों के भी बनें तारणहार, सड़कों पर डाल रखा डेरा

जिम्मेदार इस ओर ध्यान देवें, तो इन आवारा मवेशियों को भी बसेरा मिल जाएं।

भण्डेड़ा। भण्डेड़ा क्षेत्र में लगभग आधा दर्जन ग्राम पंचायतों के अधीन गांवों में गौशाला की दरकार होने से यहां इन कस्बों, ग्रामीण अंचलों सहित ढाणियों में हजारों की संख्या में आवारा मवेशी इधर उधर डमडोला खाते हुए नजर आते है। इन्हें गांव व कस्बों में बैठने की ठोर के अभाव में यह पशु आबादी की मुख्य सड़कों के चौराहे, सड़कें व बाजारों में चौक पर सीसी सड़कों पर ढेरा जमा लेते है। अचानक पशु आपस में भीड़ जाते है, जो यहां से गुजरने वाले राहगीरों को भी चोटिल कर देते है। जिम्मेदारों की अनदेखी से यह बेजुबान आवारा पशुओं को दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ रहा है। आखिरकार पशु भी करें तो क्या करें। इन मुख्य सड़कों के किनारे किसानों की जमीन में फसलें होने से आसपास पशु नजर आते ही उनको दूर भगा देते है। अपनी फसल को बचाने के लिए इसी तरह दूसरी तरफ जाते ही दूसरे किसान भी इसी तरह करने से यह पशु इधरउधर टहलकर मुख्य सड़कों व चौराहों को ही अपना सहारा मानकर सड़कों पर बैठ जाते है। इसी दौरान राह से गुजरने वाले राहगीर के समय अचानक पशु आपस में झगड़ते है। उनको चपेट में लेकर राहगीरों सहित वाहनों को क्षति पहुंचा देते हैं। कभी-कभार तो राहगीरों को भी घायल कर देते है। पर जिम्मेदार आमजन की इस समस्या को दरकिनार कर रहे है। क्षेत्र की आधा दर्जन ग्राम पंचायतों में बेजुबान मवेशी इधर उधर भटक रहे है। इनके लिए कोई तारणहार नहीं बन रहा है। इनकी संख्या में दिनोंदिन इजाफा हो रहा है। पर उचित ठोर के अभाव में इनको परेशानियां झेलनी पड़ रही है। जिम्मेदार इस ओर ध्यान देवें, तो इन आवारा मवेशियों को भी बसेरा मिल जाएं। एवं सड़कों पर इनकी वजह से होने वाली दुर्घटनाओं से भी बचा जा सकता है।

खेतों व कुओं से जो भी ग्रामीण व किसान वर्ग गांव में आते समय रास्ते में व खेतों के आसपास में नजर आनेवाले आवारा पशुओं को घेरते हुए गांव में ले आते है। कुछ समय इधरउधर भटकते हुए पेट भरने के लिए फिर दूसरी तरफ घूमते हुए पेट भरने के लिए खेतो की तारबंदी तक तोड़कर फसलों को नुकसान पहुंचा देते है।  फिर गांव की तरफ भगाने का प्रयास किया जाता हैं।
- जयलाल गुर्जर, निवासी गुजरियाखेड़ा

आवारा पशुओं के लिए गौशाला के नहीं होने से यहाँ पर आसपास के गांवों में हजारों की संख्या में आवारा पशु नजर आते है, जो दिनरात इधरउधर भटकते रहते हैं। बरसात के समय आवारा पशु मुख्य सड़कों को अपना सहारा मानकर ढेरा ढालने को मजबूर होना पडता है। बरसात के बंद होने पर सड़कों पर ही बैठ जाते है।           
- किशनगोपाल शर्मा, निवासी भण्डेड़ा

क्षेत्र में आसपास में गौशाला के नहीं होने से यह आवारा पशु सड़कों पर जमा हो जाते है। यहाँ से दोपहिया वाहनों के राहगीर गुजरते समय यह पशु आपस में अचानक झगड़ा करने से राह पर चलने वाले राहगीर चोटिल हो जाते है। पशुओं से आमजनों की समस्या को देखते हुए क्षेत्र में एक बडी गौशाला बने तो आमजन को भी राहत मिले। 
- सुमेर गुर्जर, निवासी रामगंज

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आबादी के मकान मालिकों का कहना है कि आवारा पशुओं के लिए गौशाला नहीं होने से यह पशु गांव में निवास करते है। बरसात के समय मकानों के बरामदे में जमा हो जाते है, जो बरामदे के आंगन में गोबर करने से दीवारों तक छीटे लग जाते है। बडी मुश्किल से हररोज हटाना पडता है। आवारा पशुओं के लिए गौशाला का निर्माण हो तो राहत मिल पाए। 
- बाबूलाल सैन, निवासी रामगंज

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बाजारों में रात के समय दुकानदार अपनी दुकानें बंद कर घर जाते समय बरामदे के रस्सी बांधकर जाते है कि आवारा पशु अंदर नही आए व गंदगी नही करें, पर पशु बरसात से खुद को बचाने के लिए रस्सी को भी तोड़ देते है व दुकानों के शट्टरों के पास पहुंचकर बैठ जाते है। रातभर गंदगी करते रहते हैं। सुबह दुकान मालिक पहुंचने पर पहले पशुओं को हटाना पडता है, फिर गन्दगी को दूर करने के लिए पानी लाकर सफाई करने के बाद दुकानों में पहुंच पातें है। 
- नीरूशंकर शर्मा, निवासी बांसी

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क्षेत्र में गौशाला के नहीं होने से आवारा पशुओं को अपना पेट भरने के लिए लोगों के डंडे भी खाने पडते है। आवारा पशुओं को बहुत भारी पीडा सहनी पड़ती है। गौशाला हो तो इन पशुओं को भी राहत मिले साथ में राहगीरों को सड़क पर आवाजाही के दौरान इनसे खतरा नहीं हो। 
- राजवीर गुर्जर, निवासी फलास्थूनी

गौशाला का निर्माण हर ग्राम पंचायत मे बहुत आवश्यक हो गया है। आवारा पशुओं का खतरनाक आंतक हो रहा है। दुकानदार सबसे ज्यादा परेशान है। साथ ही आवारा पशुओं के कारण रोज दुर्घटना हो रही है। सरकार जल्द ही इस नवाचार के लिए कदम उठाएं तो आमजन को राहत मिले।
- अवधेश कुमार जैन, दुकानदार बांसी

क्षेत्र में तीन से चार ग्राम पंचायतों की सटी हुई सीमा में एक उच्च क्षमता की गौशाला का निर्माण हो तो आवारा गौवंश इधर उधर नहीं भटकते फिरेंगे एवं सड़कों पर आवागमन करनेवाले राहगीरों को भी इससे निजात मिले। गौवंश की इस समस्या को जिम्मेदार गंभीरता से देखें। इस समस्या का समाधान भी जल्द करें। मंहगें दामों में किसान खाद बीज लगाते है। आवारा पशु एक बार फसल में पहुंचते ही चौपट कर देते है। किसान देखकर हैरान हो जाते है। 
- अर्चना कंवर हाडा, सदस्य  पंचायत समिति हिण्डोली

गौशाला के अभाव में क्षेत्र के सभी वर्ग परेशान है। लगभग तीन-चार ग्राम पंचायत में अच्छी-सी जगह देखकर सरकार द्वारा गौशाला के लिए लगभग चार-पांच हजार आवारा पशुओं को रखने की क्षमता के आधार पर जगह आंवटन करना चाहिए व फिलहाल जब तक चारदीवारी नहीं हो, तब तक तारबंदी हो जाए। आवारा पशुओं के लिए आशियाना उपलब्ध हो तो किसानों व सड़कों पर पशुओं से होने वाली दुर्घटनाओं से निजात मिल सकें। हम ग्राम पंचायत की तरफ से जिला कलेक्टर से भी इस संबंध में मांग करेंगे। 
- बीना बाई मीणा, सरपंच  ग्राम पंचायत मरां

जनप्रतिनिधि ने बताया कि सरकार चार से पांच ग्राम पंचायत की सीमा में अच्छी जगह देखकर लगभग पचास बीघा भूमि गौवंश के लिए आवंटित करें, तो आवारा पशुओं से किसान वर्ग, एवं सड़क पर आवागमन के समय राहगीर व आबादी में निवासरत आमजनों को भी राहत मिले। 
- सत्यप्रकाश शर्मा (भाया), सरपंच  ग्राम पंचायत बांसी

 

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