मुकदमा दायर करने के बाद न्याय के इंतजार में वरिष्ठ नागरिक
कोई प्रभावी कार्रवाई न्याय प्रशासन की ओर से नहीं की जा रही है
वरिष्ठ नागरिकों को रेल, रोडवेज सहित सभी जगह प्राथमिकता, लेकिन उनके मुकदमों के निस्तारण के लिए अलग से नहीं कोई व्यवस्था
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट सहित प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में वरिष्ठ नागरिक अपने मुकदमों में न्याय होने का इंतजार कर रहे हैं। हाईकोर्ट में करीब 6.51 लाख से अधिक मुकदमें लंबित चल रहे हैं। इनमें से 16 फीसदी से अधिक प्रकरण वरिष्ठ नागरिकों की ओर से दायर किए हुए हैं। इसी तरह प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में लंबित 23.26 लाख प्रकरणों में से 1.10 लाख से अधिक प्रकरण सीनियर सिटीजन की ओर से पेश किए गए हैं। वरिष्ठ नागरिकों के इतनी बड़ी संख्या में लंबित मुकदमें होने के बावजूद भी उनके निस्तारण के लिए कोई प्रभावी कार्रवाई न्याय प्रशासन की ओर से नहीं की जा रही है।
न अलग बेंच न लोक अदालत
ऐसा नहीं है कि वरिष्ठ नागरिकों के प्रकरणों की जल्द सुनवाई नहीं हो सकती हो, लेकिन इसके लिए हाईकोर्ट प्रशासन को इनके निस्तारण को प्राथमिकता देनी होगी। वरिष्ठ नागरिकों के मुकदमों की सुनवाई के लिए के लिए अलग से न तो न्यायाधीश अधिकृत किए गए हैं और ना ही साल में चार बार आयोजित होने वाली लोक अदालत में इन मुकदमों को अलग से सूचीबद्ध किया जाता है। यदि साल में एक बार भी सिर्फ इनके मुकदमों के निस्तारण के लिए लोक अदालत आयोजित की जाए तो वरिष्ठ नागरिकों को राहत मिल सकती है। हाईकोर्ट में भी नियमित रोस्टर से अलग एक न्यायाधीश को इनके प्रकरणों को सुनने के
लिए अधिकृत किया जा सकता है।
क्या कहते हैं वरिष्ठ नागरिक
इस संबंध में वरिष्ठ नागरिक रेखा शर्मा का कहना है कि उनका पेंशन से जुड़ा प्रकरण वर्ष 2017 से हाईकोर्ट में लंबित चल रहा है। हाईकोर्ट की ओर से नोटिस जारी करने के बाद विभाग ने अपना जवाब पेश कर दिया है, लेकिन बीते कई सालों से केस का नंबर सुनवाई के लिए नहीं आ रहा। कई बार मामला संबंधित एकलपीठ के समक्ष सूचीबद्ध तो हुआ, लेकिन अदालती समय समाप्त होने के कारण उस पर सुनवाई नहीं हुई।
हाईकोर्ट ने वरिष्ठ नागरिक की उम्र 65 साल निर्धारित की है। वरिष्ठ नागरिकों के नए मुकदमों को कॉज लिस्ट में ऊपर स्थान दिया जाता है, लेकिन उनके पुराने मामलों की सुनवाई नहीं हो पा रही है। इन लंबित प्रकरणों पर भी हाईकोर्ट प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।
- प्रहलाद शर्मा, अध्यक्ष, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, जयपुर।
Comment List