ब्लॉक में 78 स्कूल भवन जर्जर, कई में शिक्षकों का अभाव
20 विद्यालय की मरम्मत के प्रस्ताव भेजे, 2 को ही मिल सकी मंजूरी
इसके बाद से ही बच्चों को गांव के ही एक मंदिर में अध्ययन करवाया जा रहा है।
दीगोद। कस्बे में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों का अभाव है तो दूसरी ओर भवन जर्जर हो रहे हैं। ब्लॉक के करीब 78 स्कूलों को भवनों की मरम्मत का इंतजार है। वहीं क्षेत्र में कई स्कूल ऐसे हैं, जो एक अध्यापक के भरोसे चल रहे हैं। वहीं किसी स्कूल में तो अध्यापक ही नहीं हैं। ऐसे में अन्य जगह से व्यवस्था कर बच्चों को अध्ययन करवाया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो ब्लॉक क्षेत्र में करीब 181 स्कूल हैं, जिनमें कुछ न कुछ सुविधाओं का अभाव है। ब्लॉक क्षेत्र के स्कूलों में बिल्डिंग जर्जर है तो शिक्षकों की कमी होने से अब अभिभावकों का रुझान भी निजी स्कूलों की ओर होने लगा है। मेहंदी गांव के सरकारी स्कूल में स्टाफ की कमी और कमरे की जरूरत है तो जाखडोंद के सरकारी स्कूल में अंग्रेजी और गणित के शिक्षक नहीं हैं और पूरे कमरों की छतें टपकती हैं। इसके कारण अब नामांकन भी घटने लगा है। इधर, वार्ड पंच जगदीश मेघवाल ने बताया कि उकल्दा प्राइमरी स्कूल में 40 से 45 बच्चों का नामांकन है। यहां दो कमरे और एक रसोई बनी हुई है, जिसमें से 21 अगस्त को अचानक एक कमरे की दीवार का कुछ हिस्सा गिर गया।
डूंगरज्या स्कूल में शिक्षकों का अभाव, भवन भी जर्जर
राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय डूंगरज्या में 85 का नामांकन वर्तमान में है। जिनमें से 90 फीसदी मजदूर, किसान वर्ग के बच्चे अध्ययनरत हैं। विद्यालय में 17 स्वीकृत पदों में से मात्र 4 शिक्षक एवं 1 चतुर्थ श्रेणी कार्मिक कार्यरत है। इनमें से भी 1 व्याख्याता के पास प्रधानाचार्य, संकुलाध्यक्ष (संकुलाधीन 5 विद्यालय) का दायित्व है। ऐसे में अंग्रेजी-गणित विषय के लिए तो एक निजी शिक्षक द्वारा शिक्षण कार्य करवाया जा रहा है। यहां के स्कूल में 16 कमरे हैं, लेकिन 11 कमरे पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। केवल 5 कमरे ही ठीक अवस्था में हैं, जिनमें से 2 कमरे कार्यालय एवं पोषाहार इत्यादि में काम आ रहे हैं।
भवन तैयार नहीं, छात्रावास में 20 छात्राओं का दाखिला
ब्लॉक क्षेत्र के 78 स्कूल जर्जर हैं। हालांकि रिकॉर्ड के अनुसार तीन दर्जन स्कूलों की हालत ही जर्जर बताई जा रही है। जिनमें से कुछ समय पहले 20 स्कूलों की मरम्मत के लिए प्लान भेजा था, जिसमें से खैरूला और मूंडला स्कूल का ही मरम्मत के लिए चयन हुआ है। इधर सुल्तानपुर की सरस्वती कॉलोनी में बन रहे बालिका आवासीय छात्रावास भवन के काम की मॉनिटरिंग नहीं होने से काम धीमी गति से चल रहा है। पिछले साल यहां 22 छात्राओं का एडमिशन तो कर दिया था, लेकिन वर्तमान में वे अपने गांव से ही आवाजाही कर रही हैं। ब्लॉक क्षेत्र के 8 स्कूलों में 15 कमरे बनाए जाने की स्वीकृति सरकार ने दे दी है, लेकिन बजट नहीं मिलने से काम शुरू नहीं हो पा रहा है। गनीमत ये रही कि भारत बंद होने के कारण कलक्टर ने अवकाश की घोषणा कर दी थी। जिससे बड़ा हादसा टल गया। इसके बाद से ही बच्चों को गांव के ही एक मंदिर में अध्ययन करवाया जा रहा है।
इनका कहना है
प्रस्ताव भेज दिए गए हैं। जल्द कमरों काम शुरू किया जाएगा। विद्यालय स्टॉफ को निर्देश दिए गए हैं कि बच्चों को दूसरे कमरों पढ़ाया जाए।
-अंजू जागीरवाल, मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी
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