पाकिस्तान ने पहली बार स्वीकार की कारगिल युद्ध में अपनी जिम्मेदारी
देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी
इसे पाकिस्तानी सेना का पिछले 25 साल में पहला स्वीकारनामा माना जा रहा है। इससे पहले पाकिस्तानी सेना के किसी भी जनरल ने पद पर रहते हुए कारगिल युद्ध को लेकर ऐसा स्पष्ट बयान नहीं दिया था।
रावलपिंडी। पाकिस्तानी सेना ने पहली बार सार्वजनिक रूप से भारत के खिलाफ कारगिल युद्ध में अपनी भागीदारी को स्वीकार किया है। पाकिस्तान के रक्षा दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने भारत के साथ युद्धों में मारे गए पाकिस्तानी सैनिकों को सम्मानित किया। इसमें कारगिल युद्ध में मारे गए पाकिस्तानी जवान भी शामिल हैं। पहले पाकिस्तानी सेना कारगिल युद्ध में अपनी सीधी भागीदारी को स्वीकार करने से बचती रही है। रिटायर होने के बाद तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल परवेज मुशर्रफ ने जरूर कारगिल युद्ध को लेकर अपनी गलतियों को स्वीकार किया था। जनरल मुनीर ने कहा कि पाकिस्तानी समुदाय बहादुरों का समुदाय है जो स्वतंत्रता के महत्व और इसके लिए भुगतान करने के तरीके को समझता है। चाहे वह 1948, 1965, 1971 हो या 1999 का कारगिल युद्ध। हजारों सैनिकों ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
इसे पाकिस्तानी सेना का पिछले 25 साल में पहला स्वीकारनामा माना जा रहा है। इससे पहले पाकिस्तानी सेना के किसी भी जनरल ने पद पर रहते हुए कारगिल युद्ध को लेकर ऐसा स्पष्ट बयान नहीं दिया था। यह बयान पाकिस्तान के लंबे समय से चले आ रहे आधिकारिक बयान से अलग है। पाकिस्तान शुरू से दावा करता आया है कि कारगिल युद्ध में कश्मीरी उग्रवादी शामिल थे। जिन्हें वह मुजाहिदीन बताता है। इस कारण वह कारगिल युद्ध में मारे गए अपने सैनिकों के शवों को लेने से भी इनकार कर दिया था। जिसके बाद भारन ने पूरे सैन्य सम्मान के साथ पाकिस्तानी सैनिकों का अंतिम संस्कार किया था।
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