उदयपुर में दिखी दुर्लभ 'एनोमालूस नवाब' तितली
प्रदेश के तितली विशेषज्ञ मुकेश पंवार ने बताया कि सेक्टर 14 में पर्यावरणीय विषयों की जानकार और तितलियों पर शोध कर रही नेहा मनोहर ने अपने गार्डन में इस तितली को देखा है।
उदयपुर। नैसर्गिक सौंदर्य से लकदक समृद्ध जैव विविधता वाले मेवाड़-वागड़ अंचल में दुर्लभ कीट-पतंगों, वन्यजीवों एवं वनस्पति के देखे जाने का सिलसिला जारी है। इसी श्रृंखला में रविवार को शहर के सेक्टर 14 में एक दुर्लभ तितली 'एनोमालूस नवाब' दिखाई दी है।
प्रदेश के तितली विशेषज्ञ मुकेश पंवार ने बताया कि सेक्टर 14 में पर्यावरणीय विषयों की जानकार और तितलियों पर शोध कर रही नेहा मनोहर ने अपने गार्डन में इस तितली को देखा है। उन्होंने बताया कि यह तितली अपने गार्डन में अंजीर के फल से रस पीती हुई देखी और इसका फोटो क्लिक किया। उन्होंने बताया कि इसका वैज्ञानिक नाम चरैक्स एग्रेरियस है और खुले पंखों में इसका आकार 9-10 सेमी होता है। यह तितली आमतौर पर खेर के पेड़ पर अपनी लाईफ साइकिल पूरा करती है और पके फलों का रस पीना पसंद करती है। जंगल इन्हें ज्यादा पसंद है परंतु शहरी क्षेत्र में इसका दिखाई देना दुर्लभ है।
उन्होंने बताया कि विश्व में पहली बार इसकी लाइफ साइकल सागवाड़ा से उन्होंने ही की थी। उन्होंने बताया कि आमतौर पर राजस्थान में इसे कॉमन नवाब ही समझा जाता रहा है, पुराने रिसर्च पेपर्स में 'एनोमालूस नवाब का उल्लेख नहीं मिलता है। राजस्थान में हमेशा ही 'एनोमालूस नवाब ही मिला है, कोमल नवाब राजस्थान में कभी देखा नहीं गया है। उन्होंने बताया कि कॉमन नवाब को बंद पंख में देखने पर पंख के ऊपरी सिरे पर एक ही स्पॉट होता है, जबकि 'एनोमालूस नवाब' में दो स्पॉट होते है।
इधर, देश के ख्यातनाम तितली विशेषज्ञ पीटर स्मैटिक ने भी उदयपुर के शहरी क्षेत्र में 'एनोमालूस नवाब' को देखे जाने को दुर्लभ बताया है। उन्होंने कहा कि अधिकांश वन क्षेत्रों में पाई जाने वाली एनोमालूस नवाब तितली अधिक नमी वाले वन क्षेत्रों की अपेक्षा कम नमी वाले वन क्षेत्रों में ही दिखाई देती है।
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