मौसम की मार से बड़े अस्पतालों के ब्लड बैंकों में चल रही रक्त की कमी

एबी नेगेटिव और ओ नेगेटिव की किल्लत, डेंगू ने बढ़ाई खपत

मौसम की मार से बड़े अस्पतालों के ब्लड बैंकों में चल रही रक्त की कमी

एमबीएस अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में 564 यूनिट और मेडिकल कॉलेज अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में 340 यूनिट रक्त संग्रतिह है।

कोटा । मानसून सीजन के चलते कोटा शहर के दोनों बड़े अस्पतालों के ब्लड बैंकों में रक्त की कमी चल रही है। इस सीजन में डेंगू, मलेरिया, स्क्रबटायफस और अन्य मौसमी बीमारियों के मरीज बढ़ने से अस्पतालों में रक्त की खपत भी बढ़ गई है। दोनों ही अस्पतालों में हर रोजाना 200 से 250 यूनिट रक्त की आवश्यकता पड़ रही है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल और एमबीएस अस्पताल स्थिति दोनों ब्लड बैंकों की क्षमता करीब 2500 हजार यूनिट है जिसमें से ब्लड बैंकों के पास अभी करीब 900 यूनिट ब्लड मौजूद है। एमबीएस अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में 564 यूनिट और मेडिकल कॉलेज अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में 340 यूनिट रक्त संग्रतिह है।

 बारिश के कारण हो रही रक्त की कमी
संभा के दोनों सबसे बड़े अस्पतालों में मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है। वर्तमान में मेडिसिन विभाग की ओपीडी में हर रोज 300 से 400 मरीज आ रहे हैं। साथ ही दोनों अस्पतालों की ओपीडी हर दिन 4 हजार से ज्यादा हो रही है। ऐसे में मरीजों की संख्या ज्यादा होने से भर्ती भी ज्यादा संख्या में करना पड़ रहा है। मेडिसिन विभाग की ओपीडी में ज्यादा संख्या डेंगू और स्क्रबटायफस के मरीजों की आ रही है। गौरतलब है कि डेंगू के दौरान मरीज को रक्त और एसडीपी की आवश्यकता अधिक होती है। ऐसे में रक्त की खपत बढ़ गई है, वहीं बारिश के मौसम के चलते बड़े रक्तदान शिविर नहीं लग पा रहे हैं। जिससे ब्लड डोनेशन की प्रक्रिया भी धीमी हो गई है। हालांकि अस्पताल प्रशासन की ओर से शिविर लगाकर रक्त की कमी को पूरा किया जा रहा है।

थैलिसीमिया में रोज 20 से 30 यूनिट आवश्यकता 
अस्पतालों में रक्त की सबसे ज्यादा खपत प्रसव, आॅपरेशन, एक्सीडेंट केस और थैलिसीमिया के मरीजों के लिए होती है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल और एमबीएस अस्पताल दोनों के आपातकालीन में हर दिन करीब 30 से 40 छोटी बड़ी सर्जरी होती हैं। ऐसे में यहां भी एक आॅपरेशन के लिए कम से कम एक यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है। वहीं दोनों अस्पतालों में करीब 30 से 40 यूनिट रक्त थैलिसीमिया के मरीजों के लिए आवश्यक होता है। 

नेगेटिव ब्लड डोनर मिलने पर ही उपलब्ध
अस्पतालों ब्लड बैंकों में पॉजिटिव ग्रुप के ब्लड फिर भी आसानी से मिल जा रहे हैं। लेकिन नेगेटिव ब्लड के लिए लोगों को इधर उधर भटकना पड़ रहा है। दरअसल ब्लड बैंक में पॉजिटिव ब्लड का डोनेशन पर्याप्त मात्र में मिल जाता है लेकिन नेगेटिव ब्लड ग्रुप के डोनर उपलब्ध नहीं होने के कारण रिप्लेसमेंट में ही ब्लड दिया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में ओ नेगेटिव की 2-3 यूनिट और एबी नेगेटिव की 2 यूनिट हैं वहीं एमबीएस ब्लड बैंक में ओ नेगेटिव की 3-4 यूनिट और एबी नेगेटिव की भी इतनी ही यूनिट बची हुई हैं। 

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लोगों का कहना है
 मुझे ब्लड कैंसर है ऐसे में शनिवार को ओ नेगेटिव ब्लड की आवश्यकता थी। जिसके लिए मैं मेडिकल कॉलेज अस्पताल गया तो वहां रिप्लेसमेंट में ही ब्लड मिल रहा था। डोनर नहीं मिलने से एमबीएस स्थित ब्लड बैंक आए तो यहां भी वही स्थिति थी। जिसके बाद जैसे तैसे डोनर मिलने के बाद शाम को 8 बजे करीब डोनेशन होने के बाद ब्लड मिल पाया।
- हीरालाल जांगिड़, खटकड़, बूंदी

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हमारे एक रिश्तदार अस्थि रोग विभाग में भर्ती थे। उनकी सर्जरी के लिए 2 यूनिट रक्त की आवश्यकता थी। ऐसे में रक्त के लिए इधर उधर भटकते रहे। जिसके बाद बड़ी मुश्किल से डोनर मिलने पर रक्तदान हुआ और ब्लड मिला।
- परवानी बानो, विज्ञान नगर

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इनका कहना है
ब्लड बैंक में स्थिति कंट्रोल में नेगेटिव ब्लड के लिए डोनर नहीं होने से जरूर समस्या आ जाती है। एसडीपी भी मरीजों को तुरंत उपलब्ध करा दी जाती है और आरडीपी की भी ब्लड बैंक में 76 यूनिट मौजूद हैं। संग्रहण बढ़ाने के लिए लगातार शिविर लगाने का कार्य कर रहे हैं।
- डॉ. धर्मराज मीणा, अधीक्षक, एमबीएस अस्पताल

मौसम के चलते ब्लड बैंक में रक्त की थोड़ी कमी चल रही है, हालांकि अभी स्थिति को काबू में हैं। रक्त का संग्रहण बढ़ाने के लिए लगातार लोगों को प्रोत्सहित कर रहे हैं और शिविर लगा रहे हैं। साथ ही नेगेटिव ब्लड ग्रुप वाले रक्तदाताओं को लगातार संपर्क में रखा जा रहा है।
- डॉ. अशुतोष शर्मा, अधीक्षक, मेडिकल कॉलेज अस्पताल

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