अब दुष्कर्म पीड़िताओं को न्याय की बनी उम्मीद, सरकार ने डीएनए की तीन लैब को दी मंजूरी, पेंडेंसी में आएगी कमी

डीएनए के 18 हजार से अधिक मामले हैं पेंडिंग, कैमिस्ट्री को भी किया मजबूत

अब दुष्कर्म पीड़िताओं को न्याय की बनी उम्मीद, सरकार ने डीएनए की तीन लैब को दी मंजूरी, पेंडेंसी में आएगी कमी

न्याय की बात करें तो 15 हजार दुष्कर्म के केस सिर्फ एफएसएल रिपोर्ट नहीं आने पर पेंडिंग चल रहे हैं और दरिंदगी करने वाले आरोपियों को सजा नहीं मिल सकी है। 

जयपुर। दैनिक नवज्योति ने 22 अगस्त 2024 के अंक में ‘सिस्टम पर सवाल: प्रदेश में डीएनए के 18 हजार मामले पेंडिंग, जिनमें 15 हजार पोक्सो और बलात्कार... बढ़ती पेडेंसी की चिंता को लेकर एफएसएल ने मांगे थे डीएनए और साइबर के लिए संसाधन, बजट में मिली शराब की जांच के लिए कैमिस्ट्री लैब’ नामक शीर्षक से समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद गृह विभाग और सरकार ने गम्भीरता से लेते हुए डीएनए के तीन खण्ड स्थापित करने के आदेश जारी कर दिए। डीएनए खण्ड के लिए 15 करोड़ रुपए (पांच करोड़ रुपए प्रति स्थान) की आवश्यकता होगी। इसके लिए भारत सरकार गृह मंत्रालय की ओर से निर्भया फण्ड योजना के तहत राशि ली जाएगी। 

पेंडेंसी का लगा ढेर
एफएसएल में संसाधनों की कमी के कारण अब तक राजस्थान में डीएनए के 18 हजार से अधिक केस पेंडिंग हैं। जब समय पर हर रिपोर्ट नहीं मिलती तो कई केस में पुलिस अधीक्षक एफएसएल विभाग को डीओ लेटर जारी करते हैं और कोर्ट समय पर जांच रिपोर्ट नहीं भेजने के कारण एफएसएल अधिकारियों को तलब करते हैं। वहीं एफएसएल विभाग में डीएनए और साइबर जांच के मामलों की बात की जाए तो डीएनए और साइबर में स्टाफ जीरो है। डीएनए के 18 हजार केसों में से 15  हजार केस दुष्कर्म और पॉक्सो के हैं। हर माह 300 से अधिक केसों की पेंडेंसी बढ़ रही है। यानि न्याय की बात करें तो 15 हजार दुष्कर्म के केस सिर्फ एफएसएल रिपोर्ट नहीं आने पर पेंडिंग चल रहे हैं और दरिंदगी करने वाले आरोपियों को सजा नहीं मिल सकी है। 

एफएसएल ने क्या मांगा
एफएसएल पॉक्सो और दुष्कर्म के केस में डीएनए जांच की बढ़ती पेंडेंसी को लेकर विभाग ने गृह विभाग को प्रस्ताव बनाकर भेजा। इसमें डीएनए को मजबूत करने की बात कही गई और करीब 20 यूनिट शुरू करने के लिए प्रस्ताव भेजा। एक यूनिट में करीब छह एक्सपर्ट होते हैं। इस तरह करीब 20 डीएनए जांच करने वैज्ञानिकों को देने के लिए पत्र भेजा गया। इसके अलावा बढ़ते साइबर अपराधों की जांच के लिए भी एक भी एक्सपर्ट नहीं होने के कारण चार चार यूनिट करीब 25 एक्सपर्ट देने का प्रस्ताव भेजा गया। कहा गया कि यदि ये प्रस्ताव मान लिया जाता है तो एफएसएल डीएनए जांच की पेंडेंसी को बहुत कम सकती है। 

सरकार ने डीएनए के तीन खण्ड को खोलने की स्वीकृत जारी कर दी है। संसाधन मिलने और भर्ती होने के बाद यहां डीएनए जांच शुरू कर दी जाएगी। सरकार की इस सकारात्मक पहल से पेंडेंसी में कमी आएगी। 
-डॉ. अजय शर्मा, एफएसएल निदेशक राजस्थान

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